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CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में मानसून की विदाई भले ही नजदीक आ गई हो, लेकिन दक्षिणी हिस्से यानी बस्तर संभाग में अभी भी बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने अगले 5 दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश और कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ वर्षा की संभावना जताई है। वहीं, मध्य और उत्तरी छत्तीसगढ़ से मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं।
दक्षिण छत्तीसगढ़ में बरसात का दौर
मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण छत्तीसगढ़ में आने वाले कुछ दिनों तक बादल छाए रहेंगे और बिजली की गरज के साथ बारिश हो सकती है। वहीं, रायपुर समेत आसपास के इलाकों में भी अगले 24 घंटों में आंशिक मेघमय आसमान और हल्की बूंदाबांदी के आसार हैं। राजधानी रायपुर में अधिकतम तापमान 31°C और न्यूनतम तापमान 21°C के आसपास रहने का अनुमान है।
किसी जिले में अलर्ट नहीं
सोमवार को मौसम विभाग ने किसी भी जिले के लिए कोई विशेष अलर्ट जारी नहीं किया है। यानी पूरे प्रदेश में मौसम सामान्य रहेगा। पिछले 24 घंटों में कुछ इलाकों में हल्की बारिश जरूर हुई- नानगुर में 40 मिमी तक बारिश दर्ज की गई। वहीं, दुर्ग में 32.6°C सबसे अधिक और पेंड्रा रोड में 16.8°C सबसे कम तापमान दर्ज किया गया।
अब तक 109% ज्यादा बरसात
आमतौर पर अक्टूबर के पहले हफ्ते तक छत्तीसगढ़ से मानसून लौट जाता है, लेकिन इस बार बरसात सामान्य से 109% अधिक रही है।
- सामान्य औसत वर्षा (8 अक्टूबर तक): 28.3 मिमी
- इस बार हुई वर्षा: 59.1 मिमी से अधिक
मौसम विभाग के अनुसार, यह बारिश ‘पोस्ट मानसून’ के तौर पर मानी जा रही है, जो मानसून के लौटने के बाद होती है।
10 दिन देरी से लौटेगा मानसून
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार छत्तीसगढ़ से मानसून की वापसी में देरी हो रही है। आमतौर पर 5 अक्टूबर तक सरगुजा क्षेत्र से मानसून लौटना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार वापसी की प्रक्रिया 15 अक्टूबर के बाद पूरी होने की संभावना है। यानी मानसून करीब 10 दिन देर से लौटेगा।
जिलेवार बारिश के आंकड़े
छत्तीसगढ़ में अब तक 1167.4 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई है।
- बलरामपुर: 1520.9 मिमी (सामान्य से 52% अधिक)
- बेमेतरा: 524.5 मिमी (सामान्य से 50% कम)
- बस्तर, राजनांदगांव, रायगढ़: सामान्य के आसपास बारिश
ये आंकड़े 30 सितंबर तक के हैं और बताते हैं कि इस बार दक्षिणी हिस्सों में बारिश अधिक रही, जबकि कुछ मध्य जिलों में कमी दर्ज की गई।
क्यों गिरती है बिजली?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण जब आपस में रगड़ खाते हैं, तो उनमें बिजली जैसा चार्ज उत्पन्न होता है। कुछ बादलों में पॉजिटिव चार्ज, कुछ में नेगेटिव चार्ज बनता है। जब ये बादल आपस में टकराते हैं, तो बिजली उत्पन्न होती है, जो कभी-कभी धरती तक पहुंच जाती है। धरती पर पेड़, बिजली के खंभे, पानी और धातु के पदार्थ इस बिजली को कंडक्टर के रूप में खींच लेते हैं, जिससे इंसान इसकी चपेट में आ सकता है।
छत्तीसगढ़ में मानसून की वापसी भले ही करीब हो, लेकिन बस्तर संभाग में बारिश का असर अभी कुछ दिन और रहेगा। राज्य के मध्य और उत्तरी हिस्सों में मौसम साफ होने के साथ तापमान में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है।