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Raipur. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में गंभीर कलह (CG Women's Commission controversy) खड़ी हो गई है। भाजपा सरकार बनने के बाद नियुक्त हुईं तीन सदस्य—लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका सोरी ने आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक और सचिव अभय सोनवानी पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और नियमों की अवहेलना के आरोप लगाए हैं।
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सदस्यों के आरोप:
एकतरफा निर्णय प्रक्रिया:
सदस्यों का कहना है कि सुनवाई और निर्णय में उन्हें शामिल नहीं किया जाता। अध्यक्ष अकेले अंतिम निर्णय लेती हैं, जबकि नियम के अनुसार दो सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है।
अनधिकृत व्यक्तियों की मौजूदगी:
सुनवाई और मीटिंग के दौरान अध्यक्ष के पति और निजी वकील भी मौजूद रहते हैं, जिससे प्रक्रिया पर सवाल खड़ा होता है।
सचिव पर संदेह:
सचिव अभय सोनवानी सवालों का जवाब नहीं देते और ऐसा प्रतीत होता है कि वे अध्यक्ष के प्रति जवाबदेह हैं, आयोग के प्रति नहीं।
भ्रष्टाचार और निजी अधिकार क्षेत्र का आरोप:
सदस्यों ने कहा कि अध्यक्ष आयोग को अपने निजी अधिकार क्षेत्र की तरह चला रही हैं, और सदस्यों को संभागीय सुनवाई की जानकारी तक नहीं दी जाती।इसी कारण तीनों ने 8 अक्टूबर को सुनवाई का बहिष्कार किया।
राजनीतिक तस्वीरों पर विवाद:
सदस्यों ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष के चेंबर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और भूपेश बघेल की तस्वीरें लगी हैं, जो संवैधानिक संस्था में अनुचित और पक्षपाती हैं। उनका कहना है कि केवल राज्यपाल और मुख्यमंत्री की तस्वीरें होनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ महिला आयोग विवाद को 5 पॉइंट में समझें:
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सदस्यों की अगली कार्रवाई:
तीन सदस्यों ने घोषणा की है कि वे कोर्ट जाएंगे और पूरे प्रकरण की जानकारी विधि विभाग, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को देंगे। सदस्यों का कहना है कि आयोग की कार्यप्रणाली “लोकतांत्रिक भावना के विपरीत” चल रही है।
अध्यक्ष का जवाब:
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक ने इस पूरे विवाद पर कहा कि वह इस पर कुछ नहीं कहेंगी। उन्होंने कहा कि संबंधित जानकारी सचिव ही देंगे।