'मां मर गई थी मैंने जिंदा किया...', युवक के तर्क पर किरणमयी नायक ने जमकर लगाई फटकार

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने जगदलपुर में एक जनसुनवाई के दौरान अपने अधिकार और संवेदनशीलता का उदाहरण पेश करते हुए एक लेक्चरर बेटे को उसकी मां और छोटे भाई के साथ किए अन्याय पर जमकर फटकार लगाई।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने जगदलपुर में एक जनसुनवाई के दौरान अपने अधिकार और संवेदनशीलता का उदाहरण पेश करते हुए एक लेक्चरर बेटे को उसकी मां और छोटे भाई के साथ किए अन्याय पर जमकर फटकार लगाई। यह मामला बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक का है, जहां पुश्तैनी जमीन और मां की सेवा को लेकर दो भाइयों के बीच विवाद सामने आया।

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मामला क्या था?

90 वर्षीय बुजुर्ग महिला अपने छोटे किसान बेटे के साथ रहती थीं। डेढ़ साल पहले, उनका लेक्चरर बेटा उन्हें अपने साथ ले गया। उसके बाद उसने अपनी मां की अशिक्षा और वृद्धावस्था का फायदा उठाकर गांव की लगभग डेढ़ एकड़ जमीन और पुश्तैनी मकान अपने नाम करवा लिया।

जब छोटे बेटे को इसकी जानकारी हुई, तो उसने इस पर आपत्ति जताई, जिससे दोनों भाइयों के बीच विवाद गहराया। चौंकाने वाली बात यह थी कि बड़े बेटे ने मां के नाम पर राज्य महिला आयोग में ही शिकायत दर्ज करवा दी, जो जांच में झूठी निकली।

जनसुनवाई में क्या हुआ?

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने जनसुनवाई में जब बेटे से पूछा, तो उसने बेहद अजीब तर्क देते हुए कहा कि उसने अपनी मां को ‘जिंदा किया है’ और बचपन में उसकी कमाई से पिता ने जमीन खरीदी थी। इस पर नायक ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा –

"बकवास मत करो। आपको शर्म आनी चाहिए। शिक्षक के नाम पर कलंक हो। मां की सेवा और गरीब भाई की मदद करने के बजाय तुमने संपत्ति हड़प ली। ऐसे लोग समाज को क्या शिक्षा देंगे?"

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आयोग का निर्णय

महिला आयोग ने जांच में पाया कि मां की सहमति के बिना ही बड़े बेटे ने जबरन रजिस्ट्री करवाई थी। आयोग ने इस शिकायत को झूठा और गुमराह करने वाला बताते हुए नस्तीबद्ध कर दिया, ताकि इस आधार पर की गई रजिस्ट्री को शून्य किया जा सके। नायक ने स्पष्ट किया कि आयोग हर मामले में निष्पक्ष रूप से सुनवाई करता है, और यह मामला भी इसका उदाहरण है।

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जनसुनवाई का आयोजन

यह जगदलपुर में आयोग की 9वीं और राज्य की 333वीं जनसुनवाई थी। अध्यक्ष के साथ आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला केसरिया, दीपिका सोरी, ओजस्वी मंडावी भी मौजूद थीं। कुल 8 मामलों की सुनवाई की गई, जिनमें यह मामला सबसे प्रमुख और संवेदनशील रहा।

यह घटना न सिर्फ पारिवारिक लालच और सामाजिक नैतिकता की गिरावट को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि राज्य महिला आयोग जैसी संस्थाएं सामाजिक न्याय के लिए किस हद तक प्रतिबद्ध हैं। अध्यक्ष किरणमयी नायक की सख्ती और संवेदनशीलता इस बात का प्रमाण है कि पीड़ितों की आवाज़ सुनी जा रही है और सत्य की जीत सुनिश्चित की जा रही है।

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