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छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) घोटाला सूर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लगभग 411 करोड़ के दवा खरीद घोटाले में एक्शन लिया है। ईडी ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा और परिवार की 40 करोड़ की संपत्ति सीज कर दी है। इससे पहले ईडी ने 30-31 जुलाई को दुर्ग, रायपुर, और बिलासपुर में लगभग 20 ठिकानों पर तलाशी ली थी। घोटाले में पहले से छह लोग जेल में हैं। इनमें शशांक चोपड़ा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं।
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घोटाले का कैसे हुआ 411 करोड़ का खेल?
सीजीएमएससी घोटाला 2022 से 2023 के बीच हुआ था। इस घोटाले में रीएजेंट और चिकित्सा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं बरती गई थी। इस मामले की जांच छत्तीसगढ़ एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने शुरू की।
जांच में पता चला कि मोक्षित कॉर्पोरेशन ने निविदा प्रक्रिया में हेराफेरी कर सरकारी खजाने को 411 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। जांच के अनुसार, शशांक चोपड़ा ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को 0.2 से 0.5 प्रतिशत कमीशन देकर निविदाएं हथियाईं और फिर अत्यधिक कीमतों पर रीएजेंट और उपकरण सप्लाई किए।
उदाहरण के लिए
EDTA ट्यूब, जिसकी बाजार कीमत 8 रुपये थी, को 2,352 रुपये में खरीदा गया।
CBC मशीन, जिसकी कीमत 5 लाख रुपये थी, को 17 लाख रुपये में बेचा गया।
95 लाख रुपये के रीएजेंट बिना उपयोग के बर्बाद हो गए, क्योंकि कई स्वास्थ्य केंद्रों में प्रयोगशालाएं या तकनीशियन उपलब्ध ही नहीं थे।
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कार्टेल और टेंडर फिक्सिंग का खेल
ईडी और EOW की जांच में पता चला कि शशांक चोपड़ा ने मोक्षित कॉर्पोरेशन, श्री शारदा इंडस्ट्रीज, और रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स जैसी कंपनियों के साथ मिलकर कार्टेल बनाया। इस कार्टेल ने निविदा प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाई। अन्य कंपनियों को ऊंची कीमतों पर कोटेशन देने के लिए राजी किया गया, ताकि कम कीमत पर ठेका मोक्षित कॉर्पोरेशन को मिल सके।
इस खेल का असर यह हुआ कि मोक्षित ने अधिक कीमतों पर आपूर्ति कर कर बड़ा मुनाफा कमाया। जांच में यह भी पता चला कि CGMSC के वरिष्ठ अधिकारी टेंडर स्क्रूटनी कमेटी के प्रमुख बसंत कौशिक भी शशांक चोपड़ा के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे।
ईडी की कार्रवाई, 40 करोड़ की संपत्ति सीज
30 और 31 जुलाई 2025 को ईडी की रायपुर जोनल ऑफिस ने 50 सदस्यीय टीम और 56 CRPF जवानों के साथ रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, और अन्य स्थानों पर 18 ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें शशांक चोपड़ा, उनके परिवार, और मोक्षित कॉर्पोरेशन से जुड़े परिसर शामिल थे। कई अघोषित लॉकर मिले, जिनमें और संपत्तियों का खुलासा होने की संभावना है। करोड़ों रुपये की जमीन से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए, जो घोटाले की आय से खरीदी गई थीं। इसके बाद बैंक खातों में जमा राशि और 2.5 करोड़ जब्त कर ली।
ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ECIR No. RPZO/07/2025 दर्ज किया है, जो IPC की धारा 409, 120B, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(a), 13(2), और 7(c) पर आधारित है। ईडी अब शशांक चोपड़ा की हिरासत की मांग के लिए विशेष PMLA कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है।
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पहले से जेल में हैं शशांक चोपड़ा और अन्य
इस घोटाले में शशांक चोपड़ा समेत 6 लोग पहले से जेल में हैं। इनमें CGMSC के अधिकारी बसंत कौशिक, छिरोद राउतिया, कमलकांत पटनवार, डॉ. अनिल परसाई, और दीपक कुमार बंधे शामिल हैं। EOW ने जनवरी 2025 में रायपुर, दुर्ग, और पंचकुला (हरियाणा) में छापेमारी कर 18,000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें इनके खिलाफ ठोस सबूत पेश किए गए।
शशांक चोपड़ा ने अपनी जमानत के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे खारिज कर दिया।
मोक्षित कॉर्पोरेशन ब्लैकलिस्ट
CGMSC ने मोक्षित कॉर्पोरेशन को 3 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यह फैसला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समर्थन के बाद लिया गया, जिन्होंने नवंबर और दिसंबर 2024 में CGMSC के अनुबंध रद्द करने के फैसले को सही ठहराया था।
घोटाले का असर और भविष्य के कदम
इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग की खरीद प्रक्रिया में गंभीर खामियों को उजागर किया है। 95 लाख रुपये के रीएजेंट बर्बाद होने और अनुपयोगी उपकरणों की खरीद ने सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया और स्वास्थ्य केंद्रों में सेवाओं को भी प्रभावित किया।
ईडी और EOW की जांच में अब शशांक चोपड़ा के पिता, जो 6 महीने से फरार हैं, और अन्य सह-लाभार्थियों पर भी नजर है। ईडी का दावा है कि इस घोटाले की आय से 100 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का नया निशान मिला है, जिसकी फॉरेंसिक जांच चल रही है।
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