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छत्तीसगढ़ में उजाला ग्राम संगठन की महिलाएं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही हैं। 2022 की दीपावली पर छेरीखेड़ी मल्टी यूटिलिटी सेंटर को मुख्यमंत्री निवास के लिए 5,000 गिफ्ट हैंपर तैयार करने का मौखिक आदेश मिला था।
उजाला ग्राम समूह ने मेहनत से यह काम पूरा किया, और गिफ्ट हैंपर दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों के नेताओं व अधिकारियों को बांटे गए। लेकिन इन मेहनती दीदियों का 1.20 करोड़ रुपये का भुगतान आज तक नहीं हुआ।
लोन लेकर तैयार किए थे हैंपर
उजाला ग्राम समूह की अध्यक्ष मोहनी डहरिया, सचिव परमेश्वरी पाल, कोषाध्यक्ष श्वेता जांगड़े, विजय लक्ष्मी, दामिनी विश्वकर्मा और अन्य सदस्यों ने बताया कि अक्टूबर 2022 में मिशन संचालक एसएलआरएम कार्यालय से 5,000 गिफ्ट हैंपर (2,000, 3,000 और 5,000 रुपये कीमत के) तैयार करने का आदेश मिला।
इतने बड़े ऑर्डर के लिए समूह के पास पर्याप्त धन नहीं था। फिर भी, मुख्यमंत्री निवास से जुड़े होने के कारण उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया। समूह ने क्लस्टर से 35 लाख और बैंक ऑफ बड़ौदा से 10 लाख रुपये का लोन लिया, साथ ही दुकानों से उधार सामग्री खरीदी।
गिफ्ट हैंपर में थीं छत्तीसगढ़ी विशेषताएं
हैंपर में नारियल तेल, मिलेट लड्डू, मुनगा पाउडर, हर्बल चाय, कुकीज, साबुन, शहद, आचार, छत्तीसगढ़ी व्यंजन, अपराजिता के फूल और गोबर के दीये जैसी स्थानीय और पारंपरिक सामग्रियां शामिल थीं। लेकिन सप्लाई के बाद भुगतान के लिए दीदियों को मंत्रालय और एमडी कार्यालय के चक्कर काटने पड़े।
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बैंक लोन और आर्थिक संकट
भुगतान न मिलने से समूह को क्लस्टर ने ‘करप्ट’ घोषित कर कर्ज देना बंद कर दिया। बैंक ऑफ बड़ौदा हर माह समूह के खाते से 8,000 रुपये की किश्त काट लेता है, और पेमेंट में देरी होने पर अतिरिक्त शुल्क भी लगता है। दीदियां धीरे-धीरे लोन चुका रही हैं, लेकिन भारी आर्थिक बोझ तले दब रही हैं।
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सरकार बदली, भुगतान अटका
2023 में विधानसभा चुनाव हुए तो प्रदेश में सरकार बदल गई। कांग्रेस की जगह भाजपा सरकार बन गई। इतना नहीं तीन मिशन संचालक भी बदल गए। पहले तो दीदीयां सप्लाई के बाद छह महीने तक भुगतान स्वत: हो जाने की प्रतिक्षा करती रहीं, क्योंकि उनको भरोसा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय का आदेश है और सरकारी काम है।
जब भुगतान नहीं हुआ तो मिशन संचालक के कार्यालय पहुंची तो केवल आश्वासन दिया जाता रहा और भुगतान का मामला जस का तस रहा। तत्कालीन मिशन संचालक अवनीश शरण ने कहा कि मामला पुराना है और उन्हें ठीक से याद नहीं। वर्तमान मिशन संचालक जयश्री जैन ने भी जानकारी न होने की बात कहते हुए जांच का आश्वासन दिया।
दीदियों को न्याय और भुगतान का इंतजार
अब हाल यह हो गया है कि उजाला ग्राम संगठन की दीदियां सरकार और प्रशासन मात्र मेहनताने की मांग कर रही हैं। इसके बावजूद मिशन संचालक जांच के बाद भुगतान की बात कर फिर आश्वासन को लॉलीपाॅप थमा दिया है। यह मामला सरकार के बाबुओं की लापरवाही और गैरजवाबदेही की ओर इशारा करता है। बाबुओं की लापरवाही और गैरजवाबदेही ने मेहनती महिलाओं को आर्थिक संकट में धकेल दिया है।
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छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार भुगतान | 1.20 करोड़ का भुगतान | महिला स्व-सहायता समूह