4.36 रुपए में दिनभर का खाना खा रहे छत्तीसगढ़ के 33 लाख बच्चे और माताएं

छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ियों में प्रति व्यक्ति मात्र 4.36 रुपए में बच्चों और माताओं के लिए भोजन दिया जा रहा है। क्या यह पर्याप्त है? जानिए इस बारे में पूरी रिपोर्ट।

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VINAY VERMA
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chhattishgarh minimum food in aanganvadi

Photograph: (the sootr)

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RAIPUR.छत्तीसगढ़ में कुपोषण दूर करने के लिए करने के लिए कई योजनाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन इसका असर हो नहीं रहा है। जब 'द सूत्र' ने इसकी पड़ताल की तो सामने आया सरकार को जितना जमीन पर खर्च करना था उसमें लापरवाही हो रही है।

प्रदेश की आंगनबाड़ियों में बच्चों, गर्भवती और शिशुवती माताओं के खाने पर सरकार केवल 4 रुपए 36 पैसे ही खर्च कर रही है। जिसमें सुबह का नास्ता और दोपहर का खाना शामिल है।

22 पैसे की दाल करेगी सुपोषित

पड़ताल में आंगनबाड़ी में दिए जाने वाले भोजन का मैन्यू, प्रति व्यक्ति भोजन की मात्रा और खर्च का ब्यौरा मिला। इसके अनुसार हर दिन चावल के अलावा, दाल और सब्जी भी देना है।

महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ियों को चावल के लिए 22 पैसे, दाल के लिए 2 रुपए सब्जी के लिए 1 रुपए 60 पैसे, नमक, तेल, मसाले के लिए मात्र 54 पैसे ही देती है। इसके अलावा ईंधन के लिए अलग से 1 रुपए मिलता है। इसी 1 रुपए से सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना बनाना है।

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छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ियों की स्थिति को ऐसे समझें 

  • छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों और माताओं को केवल 4.36 रुपये में भोजन दिया जा रहा है।
  • यह भोजन चावल, दाल, सब्जी और मसाले के साथ तैयार होता है, जिसमें खर्च की सीमा बेहद कम है।
  • प्रदेश में 55,000 आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगभग 33 लाख लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर आहार की आवश्यकता है, जो आंगनबाड़ी में उपलब्ध नहीं हो पा रहा।
  • इस मुद्दे पर सरकार का कहना है कि विस्तार से चर्चा की जाएगी, लेकिन सवाल अभी भी अनसुलझा है।

क्या है खाने का मैन्यू?-

प्रदेश में 55 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें प्रदेश के 3 से 6 साल के करीब 10 लाख बच्चे, 23 लाख शिशुवती और गर्भवती माताएं आती हैं। इनको आवश्यक आहार की पूति करने के लिए गर्म भोजन देने का प्रावधान है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने हर दिन अलग-अलग मैन्यू तैयार किया है। 

  • सोमवार: चावल, छिलके वाली मूंग दाल और सोयाबड़ी-आलू की सब्जी

  • मंगलवार: चावल, चना दाल और सोयाबड़ी के अलावा कोई पत्तेदार सब्जी

  • बुधवार: चावल, मिक्स दाल और सोयाबड़ी-आलू की सब्जी

  • गुरुवार: चावल, अरहर दाल और सोयाबड़ी के अलावा कोई पत्तेदार सब्जी

  • शुक्रवार: चावल, छिलके वाली मूंग दाल और सोयाबड़ी-आलू की सब्जी

  • शनिवार: चावल, मिक्स दाल और सोयाबड़ी-आलू की सब्जी

दोपहर के खाने में इतना आहार जरुरी

गायनीकोलॉजिस्ट गीता बक्शी के अनुसार गर्भवती माताओं को अलग-अलग महीने के अलग आहार की जरुरत होती है। उन्हें दिनभर में 2 बार खाना, 2 बार नाश्ता बेहद जरुरी है। इसके अलावा एक टाइम फ्रूट और ड्राई फ्रूट भी खाना होता है।

दोपहर के खाने की बात करें तो 2-3 आटे की रोटियां, एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल, हरी सब्जी, 1 कटोरी रायता या दही और एक कटोरी सलाद होना अनिवार्य है। जबकि प्रदेश के आंगनबाड़ियों में 45 ग्राम चावल, 20 ग्राम दाल, 50 ग्राम सब्जी का प्रावधान है। 

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क्या यह व्यवस्था सही है?

यह सवाल उठता है कि क्या इतनी कम राशि में पोषक तत्व दिए जा सकते हैं? जहां एक तरफ राज्य सरकार इस योजना को प्रभावी बताती है, वहीं दूसरी तरफ कुपोषण की समस्या लगातार बनी हुई है। क्या यह पर्याप्त है? प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव से इस मुद्दे पर जब पूछा गया, तो उन्होंने इस पर विस्तृत चर्चा के लिए आमंत्रित किया, लेकिन यह सवाल अब भी अनसुलझा है।

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