क्यों न हम नक्सली बन जाएं?—छत्तीसगढ़ के CAF वेटिंग लिस्ट अभ्यर्थियों ने अमित शाह को लिखा पत्र

CAF अभ्यर्थियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी परेशानियों को साझा किया। इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि नक्सलियों को सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन योग्य युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स की वेटिंग लिस्ट में शामिल युवाओं ने नाैकरी के लंबे इंतजार से तंग आकर अब देश के गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में इन युवाओं ने कहा है कि वे पिछले आठ सालों से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, इससे अच्छा तो नक्सली बन जाएं, कम से कम सरकार की नक्सल सरेंडर पॉलिसी का लाभ तो मिलेगा।

यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि इन आठ सालों में कई युवा ओवरएज भी हो चुके हैं, जिससे इन युवाओं का सब्र अब जवाब देने लगा है। इधर छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों को सरेंडर करने पर जमीन, मकान के साथ रोजगार भी उपलब्ध करा रही है। लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस वेटिंग लिस्ट में शामिल युवाओं के बारे में विचार नहीं किया जा रहा है।

अमित शाह को पत्र (Letter to Amit Shah):

इन अभ्यर्थियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा कि अगर नक्सलियों को सरेंडर करने पर सरकारी नौकरी, आवास और अन्य सुविधाएं दी जा सकती हैं, तो क्यों न वे भी नक्सली बन जाएं, कम से कम सरकारी सुविधाएं तो मिल सकेंगी। उनका कहना था कि पढ़े-लिखे योग्य अभ्यर्थियों को आठ साल से नौकरी का इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि नक्सलियों को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। 

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सीएएफ वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र की रिसिविंग कॉपी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र में अभ्यर्थियों ने रखी अपनी मांग।

नक्सलियों के फायदे और युवाओं की स्थिति 

अभ्यर्थियों का कहना है कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को न केवल नौकरी दी जाती है, बल्कि उन्हें जमीन, आवास और छत्तीसगढ़ नक्सली सरेंडर पॉलिसी का लाभ भी मिलता है। इसके विपरीत, योग्य और शिक्षित युवाओं को सरकार से कोई सहायता नहीं मिल रही है। इन युवाओं का कहना है कि अगर नक्सलियों को यह सारी सुविधाएं मिल सकती हैं, तो क्या वे भी नक्सलवाद की राह पर न चलें?

केंद्र सरकार का सकारात्मक उत्तर

इन अभ्यर्थियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने अपनी समस्या का उल्लेख किया था। मंत्रालय ने इस पत्र पर जल्द इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। अफसरों को इस मामले को प्राथमिकता से हल करने के निर्देश दिए गए हैं। 

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CAF अभ्यर्थियों का आरोप: 2018 में CAF की भर्ती प्रक्रिया में चयनित वेटिंग लिस्ट के 417 अभ्यर्थियों को 8 साल बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई है।

नक्सलियों को दी जा रही सुविधाएं: अभ्यर्थियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पत्र लिखकर कहा कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को नौकरी, आवास, और सरकारी योजनाएं दी जा रही हैं, जबकि योग्य युवा बेरोजगार हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय का जवाब: मंत्रालय ने इस मामले को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रक्रिया इतनी लंबी नहीं होनी चाहिए थी और जल्द समाधान का आश्वासन दिया।

वेटिंग लिस्ट में ओवरएज उम्मीदवार: वेटिंग लिस्ट में शामिल कई अभ्यर्थी अब ओवरएज हो चुके हैं, जिससे उनकी नियुक्ति और अधिक मुश्किल हो गई है।

सरकार के खिलाफ निराशा: अभ्यर्थियों का कहना है कि वे राजनीति का शिकार हो चुके हैं और नक्सलियों से भी बदतर स्थिति में हैं, बावजूद इसके, वे अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

CAF भर्ती प्रक्रिया (CAF Recruitment Process)

2018 की भर्ती प्रक्रिया (Recruitment Process of 2018):
2018 में CAF द्वारा 1786 पदों पर भर्ती की घोषणा की गई थी। भर्ती के लिए मेरिट और वेटिंग लिस्ट दोनों का चयन किया गया था। मेरिट लिस्ट में चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति हो गई, लेकिन वेटिंग लिस्ट में शामिल उम्मीदवारों को केवल रिक्त पदों का हवाला देकर नियुक्ति नहीं दी गई।

वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थी (Waiting List Candidates):
वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों को इस समय कोई भी नियुक्ति नहीं मिली है, जबकि कई चयनित उम्मीदवार मेडिकल में फेल हो गए और कुछ ने दूसरी नौकरी प्राप्त कर ली। फिर भी वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी गई। वर्तमान में, CAF में 3326 रिक्त पद हैं, लेकिन वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है।

ओवरएज होते हुए अभ्यर्थी (Overage Candidates):
अब वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थी ओवरएज हो गए हैं, और उनमें से कई उम्मीदवारों की उम्र भर्ती की अधिकतम सीमा को पार कर चुकी है। इसके चलते उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनके मामले का हल निकाला जाएगा। 

क्या राजनीति के शिकार हो गए हैं ये उम्मीदवार?

अभ्यर्थियों का आरोप है कि वे राजनीति का शिकार हो चुके हैं। 8 साल से वे मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वे योग्य हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक असफलता के कारण उनकी नियुक्ति में बार-बार रुकावटें आ रही हैं।

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