छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला, सूर्यकांत तिवारी को अंबिकापुर जेल में शिफ्ट करने की तैयारी

छत्तीसगढ़ के चर्चित 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी को लेकर एक नया अपडेट सामने आया है। वर्तमान में रायपुर जेल में बंद सूर्यकांत को अब अंबिकापुर जेल में स्थानांतरित करने की तैयारी है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले में मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी को लेकर नया अपडेट सामने आया है। जेल में बंद सूर्यकांत को रायपुर जेल से अंबिकापुर जेल में स्थानांतरित करने की तैयारी है। जेल प्रशासन ने इस संबंध में विशेष कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, जिस पर आज, 30 जुलाई 2025 को सुनवाई होनी है। प्रशासन का आरोप है कि सूर्यकांत जेल में उत्पात मचाते हैं और जांच में सहयोग नहीं करते।

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जेल में 'VIP ट्रीटमेंट' और सिंडिकेट का आरोप

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष कोर्ट में पहले ही इस मामले में सुनवाई हो चुकी है। कोयला लेवी घोटाले के साथ-साथ आबकारी और कस्टम मिलिंग घोटाले में शामिल आरोपियों पर जेल में एक संगठित सिंडिकेट चलाने और 'VIP ट्रीटमेंट' का लाभ उठाने का आरोप लगा था। इस शिकायत के आधार पर कोर्ट ने रायपुर जेल प्रशासन को सभी आरोपियों को राज्य की विभिन्न जेलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। इसी कड़ी में सूर्यकांत तिवारी को अंबिकापुर जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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49.73 करोड़ की संपत्ति कुर्क 

ईडी ने कोयला लेवी घोटाले की जांच के दौरान सूर्यकांत तिवारी और अन्य आरोपियों से जुड़ी 49.73 करोड़ रुपये की 100 से अधिक चल और अचल संपत्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत अनंतिम रूप से कुर्क किया है। इनमें बैंक बैलेंस, वाहन, नकदी, आभूषण और जमीन शामिल हैं। यह कार्रवाई 30 जनवरी 2025 तक पूरी की गई। जांच में सूर्यकांत को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है, और उनकी संपत्तियों के साथ-साथ अन्य आरोपियों की संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं।

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क्या है कोयला लेवी घोटाला?

ईडी की जांच में सामने आया कि सूर्यकांत तिवारी ने वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलीभगत कर कोयला परिवहन में अवैध वसूली का जाल बिछाया। जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयले के प्रति टन पर 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली गई। इसके लिए 15 जुलाई 2020 को खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने ऑफलाइन परमिट का आदेश जारी किया था। इस परमिट के तहत केवल उन कोल व्यापारियों को परिवहन पास जारी किया जाता था, जो सूर्यकांत के कर्मचारियों को प्रति टन 25 रुपये की राशि जमा करते थे। इस तरह कुल 570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई।

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अवैध कमाई का उपयोग रिश्वत से लेकर संपत्ति खरीद तक

जांच में खुलासा हुआ कि इस घोटाले से प्राप्त राशि का इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने, चुनावी खर्चों को पूरा करने और कई चल-अचल संपत्तियों को खरीदने में किया गया। इन संपत्तियों में जमीन, वाहन, आभूषण और बैंक बैलेंस शामिल हैं, जो अब ईडी की कार्रवाई में कुर्क की जा चुकी हैं।

बड़े खुलासे होने की संभावना

सूर्यकांत तिवारी के जेल स्थानांतरण पर विशेष कोर्ट का आज का फैसला अहम होगा। इसके साथ ही ईडी की जांच में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है। यह घोटाला न केवल वित्तीय अनियमितताओं का मामला है, बल्कि यह राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक तंत्र में गहरी सांठगांठ को भी उजागर करता है। कोर्ट के आदेश और ईडी की कार्रवाई से इस मामले में और सख्ती बढ़ने की उम्मीद है।

FAQ

सूर्यकांत तिवारी को रायपुर जेल से अंबिकापुर जेल क्यों स्थानांतरित किया जा रहा है?
जेल प्रशासन का आरोप है कि सूर्यकांत तिवारी रायपुर जेल में उत्पात मचाते हैं और जांच में सहयोग नहीं करते। इसके अलावा उन पर जेल में 'VIP ट्रीटमेंट' लेने और एक संगठित सिंडिकेट चलाने का भी आरोप है। इसी कारण उन्हें अंबिकापुर जेल शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
कोयला लेवी घोटाले में सूर्यकांत तिवारी की भूमिका क्या रही है?
ईडी की जांच में सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है। उन्होंने जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला परिवहन में प्रति टन 25 रुपये की अवैध लेवी वसूलने का जाल बिछाया था, जिससे लगभग 570 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई।
ईडी ने सूर्यकांत तिवारी के खिलाफ अब तक क्या-क्या कार्रवाई की है?
ईडी ने सूर्यकांत तिवारी और अन्य आरोपियों की कुल 49.73 करोड़ रुपये की 100 से अधिक संपत्तियों को पीएमएलए एक्ट के तहत कुर्क किया है। इनमें नकद, बैंक बैलेंस, वाहन, आभूषण और जमीन शामिल हैं। यह कार्रवाई 30 जनवरी 2025 तक पूरी की गई।

 

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