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Raipur. छत्तीसगढ़ का कोऑपरेटिव सिस्टम चरमराया हुआ है। किसी भी राज्य में कोऑपरेटिव सिस्टम सीधे किसानों से जुड़ा होता है। सहकारी समितियों से लेकर जिला कोऑपरेटिव बैंक तक किसान इनके ही भरोसे होता है। छत्तीसगढ़ का पूरा सहकारी तंत्र खाली पड़ा हुआ है। 2 हजार से ज्यादा सहकारी साख समितियों में प्रबंधक नहीं हैं।
वहीं प्रदेश के जिलों के कोऑपरेटिव बैंक भी कर्मचारियों के बिना चल रहे हैं। यहां तक कि इन बैंकों को संचालित करने वाला अपैक्स बैंक में भी कर्मचारियों का टोटा है। यह बैंक वही हैं जो किसानों को क्रेडिट कार्ड और खाद,बीज के लिए सस्ता कर्ज मुहैया कराते हैं। ऐसे में इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है।
कमजोर पड़ा किसानों का सिस्टम :
छत्तीसगढ़ का सहकारी तंत्र बहुत कमजोर हालत से गुजर रहा है। छत्तीसगढ़ में 24 लाख से ज्यादा कृषक परिवार हैं। इनमें से 80 फीसदी लघु और सीमांत कृषक हैं यानी छोटे किसान हैं जिनके पास पांच एकड़ से कम खेती की जमीन है। इन किसानों का सीधा वास्ता सहकारी साख समितियों और कोऑपरेटिव बैंकों से होता है।
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इन किसानों के लिए ही सरकार मामूली ब्याज दर पर कर्ज और खाद,बीज उपलब्ध कराती है। इन बैकों के जरिए किसान क्रेडिट कार्ड मिलता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में सहकारी समितियों से लेकर जिला कोऑपरेटिव बैंक तक खाली पड़े हुए हैं। यानी यह बैंक बिना कर्मचारियों के संचालित हो रहे हैं। ऐसे में सीधा नुकसान उन छोटे किसानों को हो रहा है जो पूरी तरह से इन बैंकों के भरोसे ही अपनी खेती करते हैं।
यह है जिला कोऑपरेटिव बैंकों में खाली पदों की स्थिति :
- छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक - 95
- जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर - 380
- जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग - 282
- जिला सहकारी केंद्रीय बैंक राजनांदगांव - 253
- जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर - 341
- जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अंबिकापुर - 132
- जिला सहकारी केंद्रीय बैंक जगदलपुर - 247
कुल खाली पद - 1730
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यह है सहकारी समितियों की स्थिति :
प्रदेश में 2058 प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में संवर्ग प्रबंधक की कमी है। इसके लिए 2058 पदों की आवश्यकता है। लेकिन स्वीकृत पद 1991 हैं। इन पदों में 1647 पद खाली हैं। इन सीधी भर्ती के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को अनुमति दी गई थी। इसके अलावा कोऑरेटिव बैंकों में भी सीधी भर्ती की जानी थी। लेकिन अब सीधी भर्ती पर रोक लगा दी गई है। छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष केदारनाथ गुप्ता कहते हैं कि पहले इन बैंकों में सीधी भर्ती की जानी थी लेकिन अब सीधी भर्ती नहीं की जाएगी।
सीधी भर्ती में गड़बड़ी के कई सवाल पैदा होते हैं। इसलिए अब इन कर्मचारियों की भर्ती व्यापम की परीक्षा से कराई जाएगी। जनवरी में यह प्रक्रिया शुरु हो जाएगी और जल्द ही खाली पदों पर भर्ती हो जाएगी। लेकिन यहां पर सवाल पैदा होता है कि आखिर महीनों से खाली पड़े इन पदों की वजह से परेशान हो रहे छोटे किसानों का खामियाजा कौन उठाएगा।
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