मऊगंज सहकारी बैंक घोटाला में 7 करोड़ की राशि गायब, हजारों जमाकर्ता दर-दर भटक रहे

मध्य प्रदेश के मऊगंज सहकारी बैंक में 7 करोड़ रुपए की गड़बड़ी से हजारों जमाकर्ता परेशान भटक रहे हैं। विभागीय जांच में सामने आया कि ये रकम खातों में जमा ही नहीं की गई थी।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Bank Fraud in MP
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MP News: देशभर में सहकारी बैंकों  में हो रहे गबन और वित्तीय अनियमितताओं के मामले अब आम हो चले हैं। मध्य प्रदेश के नवगठित मऊगंज जिले में सामने आया 7 करोड़ रुपए का सहकारी बैंक घोटाला (Cooperative Bank Scam) इस गंभीर स्थिति का ताजा उदाहरण है।

करोड़ों की रकम गायब

मऊगंज के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रीवा की पहाड़ी शाखा में हर्दी, गौरी, देवरा पटेहरा, टटिहरा और हटवा सहकारी समितियों के खातों से करोड़ों रुपये की रकम रहस्यमय तरीके से गायब हो चुकी है। विभागीय जांच के अनुसार यह रकम संबंधित खातों में कभी जमा ही नहीं हुई।

कहां-कहां कितनी राशि हुई गायब 

मऊगंज जिले के सहकारी बैंक घोटाले में जिन समितियों की जमा राशि गायब हुई है, उनमें सबसे अधिक नुकसान सेवा सहकारी समिति हर्दी को हुआ है, जहां से करीब 4 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि गायब बताई जा रही है। इसके अलावा गौरी समिति से 1 करोड़ 50 लाख रुपए, देवरा पटेहरा समिति से 45 लाख रुपए, टटिहरा समिति से 35 लाख रुपए, और हटवा समिति से 16 लाख रुपए की धनराशि रहस्यमय रूप से लापता है।इस घोटाले की कुल रकम 7 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है, जिससे हजारों जमाकर्ताओं की मेहनत की कमाई पर संकट मंडरा रहा है।

जमाकर्ता भटक रहे, राशि वापसी की कोई उम्मीद नहीं

करीब 3500 खाताधारकों द्वारा जमा कराई गई राशि आज उनके बैंक खातों में नहीं दिख रही है। ये लोग पिछले दो साल से लगातार कलेक्टर कार्यालय, बैंक मुख्यालय और शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

किनका गया पैसा

  • कृष्ण दास गुप्ता - 3.13 लाख रुपए नकद, 78 हजार रुपए की एफडी
  • रहसकली गुप्ता - 8 लाखरुपए नकद, 4 लाखरुपए की एफडी
  • संकर्षण प्रसाद गौतम - 1.16 लाखरुपए की एफडी पूरी हो गई पर भुगतान नहीं
  • रामपति प्रजापति, कपूर चंद्रगुप्त, नीरज कुशवाहा, रामस्वरूप - सभी की एफडी पूरी हो चुकी लेकिन एक रुपया नहीं मिला।

जांच के बाद भी ठोस कदम नहीं

मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने 19 जून 2023 को डीआर कार्यालय के सामने धरना भी दिया था। मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच समिति जरूर बनाई गई थी। हर्दी समिति के सहायक सेवक राजीव लोचन शुक्ला को हटा  दिया गया। लेकिन इसके बाद जांच और कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई।

शासन की चुप्पी

अपेक्स बैंक को कई बार शिकायत भेजी गई है, परंतु अब तक न तो कोई फाइनेंशियल रिकवरी हुई है और न ही दोषियों पर एफआईआर या गिरफ्तारी जैसी सख्त कार्रवाई की गई है।

मऊगंज सहकारी बैंक घोटाला न सिर्फ एक वित्तीय अपराध है, बल्कि यह लोगों की मेहनत की कमाई पर किया गया विश्वासघात है। यदि समय रहते सरकारी कार्रवाई नहीं होती, तो ऐसे मामलों से न केवल बैंकिंग प्रणाली की छवि धूमिल होती है, बल्कि आम आदमी का विश्वास भी टूटता है।

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