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Photograph: (The Sootr)
JABALPUR. किसानों की मेहनत की फसल और शासन की खरीदी नीति पर डाका डालते हुए जबलपुर जिले में एक बड़ा अनाज घोटाला सामने आया है। शहपुरा तहसील स्थित 64 एमएलटी वेयरहाउस मजीठा में मूंग और उड़द की खरीदी में भारी अनियमितताएं पाई गईं। जिला स्तरीय जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर सामने आया कि अधिकारियों, कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों ने मिलकर लगभग 1 करोड़ 86 लाख 63 हजार 188 रुपए का हेरफेर किया। इस मामले में थाना भेड़ाघाट में FIR दर्ज कर ली गई है और अब पुलिस पूरे घोटाले की तह तक जाने में जुट गई है।
भारतीय किसान संघ के खुलासे के बाद हुई जांच
भारतीय किसान संघ ने भी एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया कि ग्राम पथरिया के 13 किसानों के नाम पर लगभग 562 क्विंटल मूंग की फर्जी ऑनलाइन एंट्री की गई। इन किसानों का असल में खरीदी से कोई संबंध ही नहीं था, बल्कि उनके नाम और खसरे का दुरुपयोग किया गया। इसके बाद कलेक्टर जबलपुर के आदेश पर एसडीएम शहपुरा की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय जांच दल ने मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन किया।
जांच में पाया गया कि उपार्जन पोर्टल पर 12,928 क्विंटल मूंग और 8,736 क्विंटल उड़द खरीदी दिखायी गई, लेकिन जब गोदाम में स्टॉक का मिलान हुआ तो 1,934 क्विंटल मूंग और 253 क्विंटल उड़द कम निकली। इस कमी की बाजार कीमत 1,86,63,188 रुपए है।
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किसानों के नाम पर फर्जी एंट्री
मूंग घोटाला की जांच रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि फर्जीवाड़ा करने के लिए किसानों के नाम का गलत इस्तेमाल किया गया। 23 किसानों की मूंग की 1003 क्विंटल खरीदी और 5 किसानों की उड़द की 125.50 क्विंटल खरीदी संदिग्ध पाई गई।
5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...घोटाले का खुलासा: जबलपुर जिले के शहपुरा तहसील में 64 एमएलटी वेयरहाउस मजीठा में मूंग और उड़द की खरीदी में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। जिला स्तरीय जांच दल की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1.86 करोड़ रुपये का हेरफेर किया गया है। इस मामले में थाना भेड़ाघाट में FIR दर्ज की गई है। फर्जी एंट्री का मामला: भारतीय किसान संघ की रिपोर्ट के अनुसार, 13 किसानों के नाम पर 562 क्विंटल मूंग की फर्जी ऑनलाइन एंट्री की गई थी। इन किसानों का असल में कोई संबंध नहीं था, और उनके नाम का दुरुपयोग किया गया था। बाद में भौतिक सत्यापन से घोटाले का खुलासा हुआ। फर्जीवाड़े का आरोप: जांच में यह पाया गया कि उपार्जन पोर्टल पर 12,928 क्विंटल मूंग और 8,736 क्विंटल उड़द खरीदी दिखाई गई, लेकिन गोदाम में कम मात्रा मिली, जिससे लगभग 1.86 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साजिश और आरोपी: सहकारी बैंक के मैनेजर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोपियों में समिति प्रबंधक, बैंक शाखा प्रबंधक, कंप्यूटर ऑपरेटर, वेयरहाउस संचालक और कुछ निजी लोग शामिल हैं, जिन्होंने मिलकर फर्जीवाड़ा किया। अनाज उपार्जन में निरंतर घोटाले: जबलपुर में यह पहला घोटाला नहीं है; इससे पहले भी धान खरीदी में घोटाले हो चुके हैं। इन घोटालों ने किसानों का विश्वास तोड़ा है और उन्हें समय पर भुगतान और तौल पर्ची नहीं मिली। अब सवाल उठ रहा है कि अगर सरकारी खरीदी केंद्रों पर ही भ्रष्टाचार है, तो किसान किस पर विश्वास करें। |
सहकारी बैंक मैनेजर सहित समिति प्रबंधक और अन्य ने मिलकर रचा षड्यंत्र
उपसंचालक किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग जबलपुर के सहायक संचालक रवि कुमार आम्रवंशी ने जांच प्रतिवेदन थाने में प्रस्तुत किया। जिसके बाद दर्ज FIR में कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें समिति प्रबंधक, बैंक शाखा प्रबंधक, कंप्यूटर ऑपरेटर, वेयरहाउस संचालक और कुछ निजी लोग शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने मिलकर योजना बनाई और शासन व किसानों को लूट लिया।
अब इस मामले में समिति प्रबंधक कमल सिंह ठाकुर, कंप्यूटर ऑपरेटर राजपाल सिंह और दीपेन्द्र सिंह ठाकुर, प्रभारी शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी बैंक अजय तिवारी, निजी व्यक्ति अंकित सिंह उर्फ राजशेखर, शंभु ठाकुर और बिंदु राय, सर्वेयर रोहित यादव और देवेन्द्र यादव, वेयरहाउस संचालक आदेश तिवारी के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की गई है। इन सभी पर किसानों की फसल का सही हिसाब न रखने, फर्जी ऑनलाइन एंट्री कराने, तौल पर्ची जारी न करने, गोदाम में स्टॉक का गलत रिकॉर्ड रखने और सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न कराने जैसे गंभीर आरोप हैं।
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हर उपार्जन में होता है घोटाला
यह कोई पहला मामला नहीं है जब जबलपुर में अनाज उपार्जन में घोटाला सामने आया हो। इससे पहले भी धान खरीदी का घोटाला सामने आने के बाद 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई थी। जबलपुर में हर उपार्जन में लगातार इस तरह की गड़बड़ियां होती रही है और घोटाले सामने आते रहे है।
यह घोटाला सिर्फ सरकारी खजाने के नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे किसानों का भरोसा भी टूटा है। जिन किसानों की फसल खरीदी गई थी, उन्हें न तो समय पर भुगतान मिला और न ही तौल पर्ची। कई किसानों को तो बाद में पता चला कि उनके नाम से फर्जी खरीदी दर्ज कर दी गई है। अब गांवों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि अगर सरकारी खरीदी केंद्रों पर ही इस तरह का भ्रष्टाचार होगा तो किसान अपनी उपज को लेकर किस पर भरोसा करेगा।
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संगठित गिरोह की तर्ज पर हुआ फर्जीवाड़ा
प्राथमिक जांच पूरी होने के बाद उपसंचालक किसान कल्याण विभाग की शिकायत पर पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है। आरोपियों पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में मामला पंजीबद्ध किया गया है। पुलिस अब सभी दस्तावेज, सीसीटीवी फुटेज और बैंकिंग लेन-देन की बारीकी से जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह घोटाला संगठित रूप से किया गया है और आगे जांच में और भी नाम सामने आ सकते हैं।
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