छत्तीसगढ़ में किसानों को समय पर नहीं मिला डीएपी खाद, 20 फीसदी घटा धान उत्पादन, सरकार बोली रूस-यूक्रेन युद्ध है कारण

छत्तीसगढ़ में डीएपी खाद की कमी से किसानों की धान की पैदावार में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस समस्या के पीछे कई कारण हैं, जिनमें रूस-यूक्रेन युद्ध और सरकार की नीतियां शामिल हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है, और सरकार पर सवाल उठ रहे हैं।

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VINAY VERMA
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Cg farmers paddy crop

Photograph: (the sootr)

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RAIPUR.छत्तीसगढ़ में डीएपी खाद पर सरकारी बेबसी का असर अब उत्पादन पर दिख रहा है। इस साल किसानों की धान पैदावार करीब 20 प्रतिशत कम हुई है। यह आंकड़ा तो उन किसानों का है जिन्होंने ब्लैक मार्केट से चार गुने कीमत में डीएपी खाद लेकर पैदावार बचाई। जो किसान ब्लैक में खाद खरीदी नहीं कर सके, उन्हें तो और भी नुकसान हुआ है।

कृषि मंत्री रामविचार नेताम डीएपी खाद सप्लाई नहीं होने के पीछे रूस-यूक्रेेन युद्ध को कारण बता रहें। पूर्व मंत्री उमेश पटेल का आरोप है सरकार ने जानबूझ खाद संकट बनने दिया। 

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जरुरत से आधा मिला डीएपी खाद

छत्तीसगढ़ में हर साल करीब 3 लाख 10 हजार मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरुरत है। इस साल केद्र सरकार से केवल करीब 1 लाख 64 हजार मीट्रिक टन डीएपी खाद ही पहुंच सका। इसमें से सरकार ने 40 प्रतिशत डीएपी खाद निजी व्यापारियों को दे दिया। कुछ ही किसानो को तो सोसाइटियों से डीएपी खाद मिल पाया। छोटे और सीमांत किसान परेशान होते रहे। 

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डीएपी खाद की कमी: छत्तीसगढ़ में इस साल डीएपी खाद की भारी कमी हो गई, जिसके कारण किसानों की धान की पैदावार 20 प्रतिशत तक घट गई।

कालाबाजारी और बढ़ी कीमतें: खाद की कमी के कारण किसानों को मजबूरी में डीएपी खाद 1900 रुपये तक खरीदनी पड़ी, जिससे और भी आर्थिक दबाव पड़ा।

सरकार का आरोप: पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जानबूझकर डीएपी की आपूर्ति में देरी की ताकि कम धान खरीदी जा सके।

कृषि मंत्री का बचाव: कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खाद की कमी का कारण बताया और नैनो डीएपी के प्रचार का प्रस्ताव रखा।

किसानों का अनुभव: किसानों ने बताया कि खाद न मिलने के कारण उनकी फसल में बीमारी आई और 20 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हुआ।

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1900 रुपए तक में खरीदा डीएपी खाद

डीएपी खाद निजी व्यापारियों को देने की नीति के कारण इस साल इसकी जमकर कालाबाजारी हुई। किसानों को मजबूरी में 1900 रुपए तक में खरीदनी पड़ी।

पैसो की कमी के कारण कुछ किसानों ने यूरिया, पोटाश और सुपर फॉस्फेट का मिश्रण बनाकर काम चलाया। लंबे इंतजार और जुगाड़ की तकनीक ने किसानों की 20 प्रतिशत तक फसल का नुकसान किया।

प्रति एकड़ 6-7 क्विंटल का नुकसान

राजिम के किसान तेजराम साहू बताया कि वे प्रति एकड़ 28 से 29 क्विंटल धान की पैदावार करते हैं। उन्हें इस बार केवल 22-23 क्विंटल ही धान मिल सका। समय पर डीएपी नहीं मिलना इसका कारण है।

किसान भीमसेन साहू के अनुसार समय पर डीएपी, यूरिया और पोटाश नहीं डालने से फसल में बीमारी लग गई। फसल बचाने के लिए अलग से पैसे खर्च करने पड़े। 

जानबूझकर धान किया खराब

पूर्व मंत्री और खरसिया विधायक उमेश पटेल ने कहा कि सरकार ने 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी की घोषणा की है। समय पर डीएपी, यूरिया ही उपलब्ध नहीं करवाया जिससे किसानों की फसल खराब हो गई। पिछली बार की तुलना में करीब 20 प्रतिशत धान की पैदावार कम हुई है। सरकार को जवाब देना होगा।

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रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण खाद संकट

छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण देश में डीएपी खाद की कमी हुई है। समस्या वैश्विक है, युद्ध समाप्ति के बाद ही समाधान होगा। नैनो डीएपी का चलन बढ़ाने अभियान चलाएंगे।

केंद्र सरकार से मिले स्टॉक से सोसाइटी और निजी व्यापारियों को हिस्सा 60 और 40 का ही रहता है। हमने बस उसी नियम का पालन किया। 

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