PMO के निर्देश पर CBI ने शुरु की जांच, छत्तीसगढ़ DMF घोटाले के आरोपियों में मचा हड़कंप

CBI ने छत्तीसगढ़ के DMF घोटाले की जांच शुरू की है। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत पर कार्रवाई की गई। DMF के टेंडरों में अनियमितताएं और रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं।

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VINAY VERMA
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Action against nankiram complaint

Photograph: (the sootr)

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ के चर्चित DMF यानि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन घोटाले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत के बाद यह कार्रवाई शुरु हुई है। ननकी राम कंवर ने पीएमओ के अलावा CBI डायरेक्टर को शिकायत की थी। शिकायत के बाद CBI ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए है।

पूर्व गृहमंत्री का आरोप: जनता का पैसा, अपनों पर लुटाया

इस घोटाले को लेकर ननकीराम कंवर ने सनसनीखेज आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि DMF का पैसा जनता की भलाई के लिए था। लेकिन अधिकारियों ने इसे अपनी पसंद के लोगों को फायदा पहुंचाने में लगा दिया। नियमों को ताक पर रखकर चहेते ठेकेदारों को करोड़ों के काम बांटे गए। बिना तकनीकी मंजूरी के ही कई बड़ी परियोजनाओं को धड़ल्ले से पास कर दिया गया।

कंवर ने आरोप लगाया कि इसमें बड़े पैमाने पर कमीशन का खेल हुआ है। अब CBI ने इन सभी प्रोजेक्ट्स की पूरी प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की है। जांच एजेंसी यह देखेगी कि आखिर पैसा किस काम के लिए निकाला गया था। अगर काम जमीन पर नहीं दिखा, तो कई बड़े नाम इसमें फंस सकते हैं। यह जांच अब राज्य की राजनीति में नया भूचाल लाने वाली है।

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डीएमएफ घोटाले पर पूर्व गृहमंत्री की शिकायत को ऐसे समझें 

  • PMO के कड़े निर्देश के बाद अब CBI ने छत्तीसगढ़ DMF घोटाला की कमान संभाल ली है और जांच शुरू की है।
  • पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने PMO और CBI डायरेक्टर से शिकायत की थी कि फंड का गलत इस्तेमाल निजी फायदे के लिए हुआ।
  • CBI ने छत्तीसगढ़ सरकार से टेंडर रिकॉर्ड, तकनीकी स्वीकृतियां और लाभार्थियों की पूरी जानकारी समेत सभी अहम दस्तावेज तुरंत तलब किए हैं।
  • ED की जांच में 76.50 लाख कैश, फर्जी फर्मों के दस्तावेज और बड़े पैमाने पर टेंडर में गड़बड़ी के ठोस सबूत मिले हैं।
  • इस कार्रवाई से भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है, वहीं कई बड़े नाम अब जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।

ED की रेड ने खोले राज: नकदी और फर्जी फर्मों का जाल

CBI के आने से पहले ED ने भी इस मामले में बड़ी कार्रवाई की थी। ED की शुरुआती जांच में ही घोटाले की परतें खुलने लगी थीं। जांच में पता चला कि टेंडर प्रक्रिया में बहुत बड़ा खेल खेला गया है। ठेकेदारों को अवैध लाभ देने के लिए सिस्टम का पूरा दुरुपयोग किया गया। इसके बदले में अफसरों तक मोटी रिश्वत और कमीशन पहुंचाने की बात सामने आई है।

EOW ने ED की रिपोर्ट के आधार पर पहले ही केस दर्ज कर लिया था। अब तक की कार्रवाई में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

  • जांच टीमों को छापों में 76.50 लाख रुपये नकद मिले हैं।

  • आठ अलग-अलग बैंक खातों में जमा 35 लाख रुपये फ्रीज किए गए हैं।

  • कई फर्जी फर्मों के दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी बरामद हुए हैं।

किन नामों पर है शक की सुई?

इस घोटाले में सिर्फ सरकारी बाबू ही नहीं, बल्कि कई प्राइवेट खिलाड़ी भी शामिल हैं। जांच एजेंसियों को मिले दस्तावेजों में कई ठेकेदारों और बिचौलियों के नाम मिले हैं। ED और EOW की रडार पर जो मुख्य नाम हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • संजय शिंदे

  • अशोक अग्रवाल

  • मुकेश अग्रवाल

  • ऋषभ सोनी

  • मनोज द्विवेदी

  • रवि शर्मा

  • पीयूष सोनी और पीयूष साहू

  • अब्दुल और शेखर

इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी तरीके से टेंडर हासिल किए थे। बताया जा रहा है कि इन्होंने फर्जी बिल लगाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया। अब CBI की जांच में इनके और भी कई कारनामे सामने आ सकते हैं। जनता को उम्मीद है कि अब असली गुनहगारों को सजा जरूर मिलेगी।

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DMF घोटाले का असर और राजनीति

इस घोटाले का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर भी पड़ा है। जहां एक ओर ननकीराम कंवर ने इस घोटाले का खुलासा कर सरकार को घेरने की कोशिश की। वहीं दूसरी ओर कई अन्य नेता इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं। हालांकि, CBI की जांच के बाद यह साफ हो जाएगा कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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