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Photograph: (the sootr)
RAIPUR. छत्तीसगढ़ में15 नवंबर से प्रदेश में धान खरीदी का कार्य शुरू हो जाएगा। वहीं कई जिलों में इसके लिए तैयारियां अभी तक अधूरी हैं। सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते कई खरीदी केंद्रों पर बुनियादी सुविधाएं जैसे चबूतरा और कैप कव्हर नहीं बन पाए हैं।
अधूरी तैयारियां किसानों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। इस बार भी किसानों को पिछले वर्ष की तरह असुविधाएं झेलनी पड़ सकती हैं।
प्रशासन की इस ढिलाई का सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा। कई साल से प्रदेश के कई खरीदी केंद्र बिना पक्के इंतजाम के चल रहे हैं। हर साल किसानों को अपनी फसल सुरक्षित रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
किसानों को लगा था कि इस बार तो सरकारी व्यवस्था सुधरेगी, पर अधिकारियों ने पिछली गलतियों से कोई सीख नहीं ली है। मजबूरी में किसानों को अपना धान खुले में या जमीन पर रखना पड़ेगा। इससे धान की क्वालिटी खराब हो सकती है।
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बारिश की आशंका के बीच अधूरे इंतजाम
15 नवंबर से 31 जनवरी तक चलने वाली धान खरीदी की अवधि में मौसम अप्रत्याशित रहता है। इस दौरान अचानक तेज बारिश की स्थिति बन सकती है। बिना चबूतरों के धान को सुरक्षित रखना असंभव हो जाएगा।
चबूतरा निर्माण में देरी के प्रमुख कारण
प्रशासनिक सुस्ती: शासन-प्रशासन स्तर पर निर्माण कार्यों की निगरानी और समय पर फंड जारी करने में लापरवाही।
ठेकेदारों की मनमानी: कार्य में देरी के लिए ठेकेदारों पर समय पर कार्रवाई न होना।
पुरानी व्यवस्था पर निर्भरता: वर्षों से चली आ रही पुरानी और अस्थाई व्यवस्थाओं को अब तक नहीं बदला जा सका है।
अस्थाई चबूतरों और अपर्याप्त कैप कवर के सहारे धान खरीदी करना, धान को नुकसान पहुंचाने का सीधा निमंत्रण है। किसान अपनी खून-पसीने की कमाई को खराब होते हुए नहीं देख सकते। वे बार-बार बुनियादी सुविधाओं की मांग करते रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी और अधूरी तैयारियों को ऐसे समझें
 धान खरीदी की शुरुआत: 15 नवंबर से धान खरीदी का कार्य शुरू होगा, लेकिन कई जिलों में तैयारियां अधूरी हैं। बुनियादी सुविधाओं का अभाव: 103 खरीदी केंद्रों में से कई पर चबूतरे और कैप कव्हर का निर्माण नहीं हो पाया है। कृषि विभाग की लापरवाही: कई केंद्र वर्षों से बिना स्थायी ढांचे के चल रहे हैं, प्रशासन ने पिछले साल की कमियों से कोई सबक नहीं लिया। मौसम की अनिश्चितता: खरीदी के दौरान तेज बारिश की उम्मीद है, जिससे धान खराब होने का खतरा है। किसानों की चिंताएं: किसानों को उम्मीद थी कि इस बार व्यवस्थाएं बेहतर होंगी, लेकिन ताजा हालात से ऐसा नहीं लगता।  | 
कबीरधाम जिले में आधी अधूरी व्यवस्थाएं
छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक धान खरीदी कबीरधाम जिले में होती है। इस साल कबीरधाम जिले में ज़्यादा धान खरीदने का लक्ष्य है। ऐसे में 103 खरीदी केंद्रों पर फैली अव्यवस्था एक और बड़ी आफत ला सकती है।
किसानों के सिर पर लटकी संभावित मुसीबतें
नमी का बहाना, धान रिजेक्ट: अगर धान ज़मीन पर रखा गया, तो उसमें नमी बढ़ जाएगी। फिर धान खरीदी केंद्र वाले इसमें तो बहुत नमी है कहकर धान खरीदने से मना कर देंगे।
लंबी-लंबी लाइनें और इंतज़ार: गड़बड़ी के चलते धान खरीदने का काम बहुत धीरे होगा। किसानों को अपना धान बेचने के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ेगा।
फसल की चमक कम: अगर बारिश हो गई, तो धान भीग जाएगा। इससे उसकी चमक और क्वालिटी गिर जाएगी। जिसका सीधा असर बाज़ार भाव पर पड़ेगा।
चोरी का डर: जब धान खुले में पड़ा रहेगा, तो चोरी या अन्य नुकसान का खतरा भी बढ़ जाएगा।
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सरकार और प्रशासन तुरंत क्या करें?
यह कहानी सिर्फ कबीरधाम की नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ के कई दूसरे धान खरीदी केंद्रों का हाल ऐसा ही है। अब प्रशासन को फौरन (युद्धस्तर पर) काम करना होगा।
जल्दी से काम पूरा हो: जो थोड़े दिन बचे हैं, उनमें पक्के चबूतरे बनाने का काम पूरा किया जाए। अगर पक्का चबूतरा नहीं बन सकता, तो कम से कम अस्थाई प्लेटफॉर्म बनाने के उपाय किए जाने चाहिए।
जिम्मेदारी तय हो: चबूतरा बनाने में देरी क्यों हुई, इसके लिए कौन से अधिकारी और ठेकेदार जिम्मेदार हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। उन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सब कुछ साफ-साफ बताएं: किसानों को खरीदी शुरू होने से पहले ही बता दें कि खरीदी केंद्र पर क्या-क्या सुविधाएं (जैसे पानी, बैठने की जगह, चबूतरा है या नहीं) मौजूद हैं।
बारदाना और तिरपाल तैयार रखें: सभी 103 केंद्रों पर बारदाने (बोरे) और कैप कवर (मोटे तिरपाल) की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि धान भीगे नहीं।
यह छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासन का पहला और ज़रूरी कार्य है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपना धान बेचने में कोई दिक्कत न हो।
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