छत्तीसगढ़ के इस शहर में शाम छह बजे के बाद अघोषित कर्फ्यू, सड़कों पर घूम रही आफत, खौफजदा लोग

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ शहर में पिछले कुछ दिनों से अघोषित कर्फ्यू जैसी स्थिति है। शाम होते ही भालुओं के झुंड सड़कों पर आकर लोगों पर हमला कर रहे हैं, जिससे कई लोग घायल हो चुके हैं। वन विभाग और पुलिस की टीमें इलाके में गश्त कर रही हैं।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ शहर के लोग पिछले कुछ दिनों से अघोषित कर्फ्यू झेल रहे हैं। यहां शाम ढलते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य सड़कों तक लोग निकलने से कतरा रहे हैं। शाम ढलते ही गली-मोहल्लों से धमाकों की आवाजें सुनाई देती हैं।

वन विभाग और पुलिस की टीमें गश्त करती दिखती हैं। इस शहर में पिछले कुछ दिनों से भालुओं का अघोषित कब्जा सा हो गया है। भोजन की तलाश में हिंसक भालुओं के झुंड सड़कों पर सैर करते दिखाई दे रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में आधा दर्जन लोग इनके हमलों में घायल हो चुके हैं।

हर रोज देखे जा रहे गली-मोहल्लों में भालू

मनेंद्रगढ़ का शहरी इलाका चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिसके चलते आए दिन वन्यजीव शहर के आसपास देखे जाते हैं। लेकिन इस बार जंगली भालुओं को शहर की आबोहवा पसंद आ गई है। हर रोज यहां की सड़कों पर भालुओं के झुंड देखे जा रहे हैं, जो लोगों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल भी कर रहे हैं।

बीते एक पखवाड़े में ही एक महिला सहित राजस्व विभाग का एक कर्मचारी इनके हमले के कारण गंभीर रूप से घायल हो चुका है। 

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पटाखे और पिंजरे नहीं आ रहे काम

पिछले कई दिनों से लोग इन हिंसक भालुओं के हमले झेल रहे हैं। इधर वन विभाग अब तक इस समस्या का हल नहीं निकाल पाया है। वन विभाग शहरी क्षेत्र से इन हिंसक पशुओं को दूर रखने के लिए शाम होते ही शहर के अलग-अलग हिस्सों में पटाखे चला रहा है, और कई जगह पिंजरे भी लगाए गए हैं। लेकिन इसके बाद भी भालुओं का शहर में बेरोकटोक आना-जाना लगातार बना हुआ है।

शाम छह के बाद घर से न निकलें लोग

वन विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों की सुरक्षा के लिए पूरे शहर में मुनादी करवाई गई है कि शाम छह बजे के बाद लोग अपने घरों से बाहर न निकलें। मनेंद्रगढ़ में भालुओं का आतंक इतना है कि बाजार की दुकानें भी शाम ढलते ही बंद करवाई जा रही हैं। शहरी क्षेत्रों के साथ ही भालुओं का मूवमेंट आसपास की ग्राम पंचायत चनवारी डांड और लालपुर पंचायत में भी बना हुआ है। यहां के लोग भी अपने घरों में कैद की स्थिति में हैं। 

शहर में भालूओं की मूवमेंट और हमलों को ऐसे समझें  

  1. मनेंद्रगढ़ शहर में पिछले कुछ समय से भालुओं के विचरण से नागरिक भयभीत हैं, खासकर शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक।
  2. वन विभाग ने भालुओं को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए हैं, लेकिन अभी तक भालू पिंजरे में नहीं फंसे हैं क्योंकि उनमें खाने की सामग्री नहीं रखी गई है।
  3. शहरवासियों को सुरक्षा के लिए मुनादी कराई जा रही है कि वे इस समय में घर से बाहर न निकलें और घरों के बाहर रौशनी रखें।
  4. हाल ही में भालू के हमले में एक राजस्व विभाग का कर्मचारी घायल हो गया था, जिससे शहरवासियों में चिंता और बढ़ गई है।
  5. वन विभाग ने झाड़ियों की सफाई कराकर नए स्थानों पर पिंजरे लगाए हैं, लेकिन भालुओं के हमलों से लोगों का भय अभी भी बना हुआ है।

तीन दिन में गर्भवती सहित दो पर हमला

भालुओं का मनेंद्रगढ़ और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कितना आतंक है, इसका अंदाजा बीते दिनों हुए हमलों से लगाया जा सकता है। बुधवार, 10 सितंबर को शहर के नजदीकी गांव ढोलकू में भालू ने एक गर्भवती महिला पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। महिला को स्थानीय अस्पताल से अंबिकापुर रेफर किया गया है।

इधर, शहर में भी तीन दिन पूर्व भालू के हमले में राजस्व विभाग का एक कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गया। ऑफिस के बाद घर लौटते समय भालू ने अचानक उस पर हमला कर दिया। 

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वन विभाग पर लापरवाही का आरोप

इस मामले में लगातार भालुओं की शहर में मूवमेंट और हमलों के कारण लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोगों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, वन विभाग ने शहर में भालुओं को पकड़ने के लिए पिंजरे तो लगाए हैं, लेकिन उनमें शिकार के लिए कुछ रखा ही नहीं जा रहा, जिसके चलते भालू इनके आसपास भी नहीं फटक रहे हैं।

इधर, नगर पालिका द्वारा भी भालुओं के छिपने के ठिकानों को जेसीबी से साफ करवा दिया गया है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार हमलों के बाद वन विभाग पर सवाल उठा रहे हैं। 

बड़ा सवाल, आखिर आ रहे शहरों में भालू

वन्य क्षेत्रों से घिरे मनेंद्रगढ़ में लगातार भालुओं के झुंड देखे जा रहे हैं, वहीं गली-मोहल्लों में भी भालू विचरण कर रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में इनकी मूवमेंट को लेकर वन्यजीव एक्सपर्ट का कहना है कि तेजी से शहरी क्षेत्र का फैलाव और भोजन की कमी वन्यजीवों को शहरों की ओर खींच रही है, और भालू भी इसी का हिस्सा हैं।

भालू मांस के अलावा शाकाहारी फल-सब्जी और अन्य सड़कों पर फेंके जाने वाला खाना खा लेते हैं। सड़कों पर और घरों के आसपास इन्हें आसानी से कुछ न कुछ खाने को मिल जाता है, और यही भोजन की तलाश इन्हें बार-बार शहर की तरफ ला रही है।

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