छत्तीसगढ़ धान खरीदी सिस्टम में होगा बड़ा बदलाव: तस्करी रोकने बनेंगी स्पेशल टीमें, बैठक में हुआ फैसला

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के सिस्टम में बड़ा बदलाव किया जाएगा। अब धान तस्करी रोकने के लिए स्पेशल टीम बनेगी और किसानों का पंजीकरण एग्रीस्टेक-किसान पोर्टल पर किया जाएगा।

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Sanjay Dhiman
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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी प्रक्रिया में सुधार के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक हुई। खाद्य मंत्री दयालदास बघेल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आगामी खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 से धान खरीदी को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के उपायों पर निर्णय लिया गया।

इनमें से सबसे प्रमुख कदम है – धान तस्करी रोकने के लिए एक विशेष टीम का गठन और किसानों का पंजीकरण एग्री स्टेक और एकीकृत किसान पोर्टल पर किया जाना। इस निर्णय से किसानों को समय पर भुगतान मिल सकेगा, और फर्जी पंजीकरण और धान रिसाइक्लिंग जैसी समस्याओं पर भी रोक लगेगी। 

धान खरीदी में बदलाव की जरूरत

पुरानी पंजीकरण प्रक्रिया की खामियां

अब तक, छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए किसानों का पंजीकरण समितियों या सहकारी संस्थाओं के स्तर पर किया जाता था। किसानों को पंजीकरण के लिए खसरा-खतौनी, आधार कार्ड, बैंक पासबुक जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता होती थी।

इस प्रक्रिया में काफी समय लगता था और कभी-कभी दोहरे पंजीकरण, फर्जी किसानों के नाम पर धान बेचना, और रिसाइक्लिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न होती थीं। इसके कारण किसानों को उनके धान के पैसे समय पर नहीं मिल पाते थे।

नई प्रक्रिया में डिजिटल समाधान

अब से, किसानों का पंजीकरण एग्री स्टेक और एकीकृत किसान पोर्टल पर किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल डेटाबेस से जुड़ी होगी, जिससे किसानों की पहचान और उनकी जमीन का ब्यौरा रियल टाइम में देखा जा सकेगा। इससे न केवल फर्जी पंजीकरण की संभावना खत्म होगी, बल्कि खरीदी और भुगतान की प्रक्रिया भी पूरी तरह से ऑनलाइन ट्रैक की जा सकेगी।  

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मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में लिए गए निर्णय।

किसानों के पंजीकरण की नई प्रणाली

पुराना सिस्टम

अभी तक धान खरीदी के लिए किसानों का पंजीकरण विभिन्न समितियों और सहकारी संस्थाओं में किया जाता था, जिसमें किसानों को बहुत सारे भौतिक दस्तावेज जमा करने होते थे। यह प्रक्रिया लंबी और जटिल थी, जिसके कारण भुगतान में देरी होती थी और कई बार फर्जी पंजीकरण और रिसाइक्लिंग की समस्याएं उत्पन्न हो जाती थीं।

नया सिस्टम (2025-26 से लागू)

अब से, पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी, और यह एग्री स्टेक पोर्टल और एकीकृत किसान पोर्टल से जुड़ी होगी। इस परिवर्तन से कई फायदे होंगे:

  • किसानों का पंजीकरण बिना किसी भौतिक दस्तावेज के किया जाएगा।

  • किसानों की पहचान और जमीन का ब्यौरा रियल टाइम में देखा जा सकेगा।

  • फर्जी पंजीकरण और धान रिसाइक्लिंग पर रोक लगेगी।

  • किसानों को उनके धान का भुगतान समय पर मिलेगा, और यह प्रक्रिया पूरी तरह से ट्रैक की जा सकेगी।  

धान खरीदी को लेकर बनाई नई नीति को ऐसे समझें 

paddy procurement target of 160 lakh tonnes in chhattisgarh purchase rate  set at 21 quintals per acre | छत्तीसगढ़ में 160 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य,  21 क्विंटल प्रति एकड़ की

  1. छत्तीसगढ़ में धान तस्करी रोकने के लिए स्पेशल टीम का गठन किया जाएगा।
  2. किसानों का पंजीकरण अब एग्री स्टेक और एकीकृत किसान पोर्टल पर किया जाएगा, जिससे फर्जी पंजीकरण पर रोक लगेगी।
  3. छत्तीसगढ़ धान खरीदी की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी, जिससे भुगतान और खरीदी की रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी।
  4. किसानों को उनका भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में मिलेगा, जिससे समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा।
  5. सीमावर्ती जिलों में अवैध धान की तस्करी रोकने के लिए विशेष जांच दल और क्रॉस वेरिफिकेशन का उपयोग किया जाएगा।

धान तस्करी रोकने के लिए बनेंगी स्पेशल टीमें

तस्करी की समस्या और समाधान

छत्तीसगढ़ सरकार और सीएम विष्णुदेव साय ने निर्णय लिया है कि सीमावर्ती जिलों में धान तस्करी को रोकने के लिए एक स्पेशल टीम का गठन किया जाएगा। यह टीम उन क्षेत्रों में काम करेगी जहाँ धान की अवैध तस्करी की अधिक संभावना होती है।

इसके अलावा, एग्री स्टेक पोर्टल के जरिए क्रॉस वेरिफिकेशन के माध्यम से धान के वितरण की प्रक्रिया पर भी निगरानी रखी जाएगी। इससे धान तस्करी की समस्या को कम किया जा सकेगा और किसानों को उनके धान के सही मूल्य का भुगतान समय पर किया जा सकेगा। 

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किसानों को समर्थन मूल्य का भुगतान

नई प्रणाली के तहत किसानों को उनके धान का समर्थन मूल्य सीधे उनके बैंक खातों में भेजा जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को उनका पैसा समय पर मिले और वे अपनी मेहनत का उचित मूल्य प्राप्त करें। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और रियल टाइम मॉनिटरिंग के तहत की जाएगी। 

अधिकारियों की भूमिका होगी तय

विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, धान उपार्जन के लिए नए और पुराने जूट बारदाने की उपलब्धता समय रहते सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग के लिए मिलों को पहले से तैयार करने पर भी जोर दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और कुशल बनायी जाएगी।

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