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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सड़कों पर रील्स बनाने और स्टंट करने की तीन वायरल घटनाओं को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इन मामलों में पुलिस की लचर कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सड़कें किसी की निजी संपत्ति नहीं हैं और ऐसी हरकतें आम लोगों की जान को खतरे में डालती हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव से इन घटनाओं की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है और पुलिस की "हल्की कार्रवाई" को "मजाक" करार दिया।
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तीन घटनाओं ने खींचा कोर्ट का ध्यान
बिलासपुर के रतनपुर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर 20 जुलाई 2025 पहली घटना हुई। इस घटना में छह लग्जरी कारों के साथ कुछ युवक आए। इन युवकों ने स्टंट और रील्स बनाने के लिए सड़क जाम कर दी। इन युवकों ने सड़क पर कारें खड़ी कर वीडियोग्राफी और लाइटिंग का इंतजाम किया, जिससे लंबा जाम लग गया।
वेदांत शर्मा नामक युवक ने इस स्टंट का वीडियो इंस्टाग्राम पर अपलोड किया, जो वायरल हो गया। शुरू में पुलिस ने केवल 2,000 रुपये का जुर्माना लगाकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट के दबाव में एफआईआर दर्ज हुई और आरोपियों के ड्राइविंग लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित किए गए।
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इसी तरह बिलासपुर के ही रिवर व्यू क्षेत्र में कुछ युवकों ने चलती कार के सनरूफ से बाहर निकलकर सेल्फी और रील्स बनाया। इस दूसरी घटना का भी वीडियो वायरल हुआ, जिस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि पुलिस ने इस गैरजिम्मेदाराना व्यवहार पर क्या कार्रवाई की।
तीसरी घटना में एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने दोस्तों के साथ भीड़भाड़ वाले इलाके में सड़क पर अभिनेता का जन्मदिन मनाने के लिए केक काटा और डीजे की तेज आवाज में डांस किया। इस दौरान यातायात कई मिनटों तक बाधित रहा और यह वाकया भी इंटरनेट पर ट्रेंड करता रहा।
2,000 रुपये का जुर्माना मजाक है
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सड़कों का दुरुपयोग और ऐसी लापरवाही न केवल दोषियों बल्कि आम नागरिकों की जान को भी खतरे में डालती है। इस दौरान न्यायाधीश ने पुलिस की ढीली कार्रवाई पर भी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि महज 2,000 रुपये का जुर्माना सजा नहीं, बल्कि मजाक है। ऐसी कार्रवाइयां अमीरजादों को कानून से ऊपर मानने की छूट देती हैं।" कोर्ट ने चेतावनी दी कि पुलिस की नरमी से कानून का भय खत्म होता है, जिससे अराजकता फैलने का खतरा बढ़ता है।
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प्रगति रिपोर्ट तलब, अधिकारियों को चेतावनी
कोर्ट ने पहले ही मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, जो गुरुवार को पेश किया गया। अब तीनों मामलों में एफआईआर के बाद की गई जांच और कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कदम उठाए जाएंगे।
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सड़क सुरक्षा पर कोर्ट का जोर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह कड़ा रुख सड़क सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर एक मजबूत संदेश देता है। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसी गैरजिम्मेदाराना हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और पुलिस को कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। यह मामला अब न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी विषय बन गया है।
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