/sootr/media/media_files/2025/06/25/chhattisgarh-high-court-overturns-lower-court-decision-the-sootr-2025-06-25-13-10-59.jpg)
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के तहत 10 साल की सजा काट रहे ललेश उर्फ लाला बर्ले को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का बयान विश्वसनीय नहीं है और केवल उसी के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराना उचित नहीं है। साथ ही, यह साबित नहीं हुआ कि यौन संबंध जबरन बनाए गए थे।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रेलवे को लोको पायलट प्रमोशन परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच के आदेश
दुर्ग की फास्ट ट्रैक पॉक्सो कोर्ट ने माना था दोषी
मामला 25 मार्च 2019 का है, जब दुर्ग जिले में एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार का आरोप लगा था। पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने ललेश के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 3 व 4 और भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण), 366, 506बी के तहत मामला दर्ज किया था। दुर्ग की फास्ट ट्रैक पॉक्सो कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2022 को ललेश को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पलटा तलाक का फैसला, पति के झूठे आरोपों का खुलासा
फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में की अपील
ललेश की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई, जिसमें तर्क दिया गया कि मामला पूरी तरह पीड़िता के बयान पर टिका है, जिसके समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। साथ ही, पीड़िता की उम्र 18 साल से कम होने का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। अपील में यह भी कहा गया कि पीड़िता की सहमति स्पष्ट थी, इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की शिक्षक की याचिका, एनआईए को इलेक्ट्रॉनिक जांच की पूरी छूट
उम्र साबित करने की कोशिश नहीं की
हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़िता की उम्र स्कूल के दाखिल-खारिज रजिस्टर के आधार पर तय की गई थी, लेकिन स्कूल के प्रधानाध्यापक ने खुद इस रजिस्टर की प्रविष्टि को सत्यापित नहीं किया और इसके स्रोत की जानकारी नहीं दी। अभियोजन ने एक्स-रे जांच जैसे वैध तरीकों से उम्र साबित करने की कोशिश भी नहीं की, जबकि डॉक्टर ने इसकी सलाह दी थी।
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की भर्ती पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
पीड़िता के बयान पर भी सवाल
कोर्ट ने पीड़िता के बयान पर भी सवाल उठाए। पीड़िता ने घटना के बाद आरोपी के परिवार और रिश्तेदारों से मुलाकात की, लेकिन किसी को घटना की जानकारी नहीं दी, जो संदेह पैदा करता है। फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि बिना वैध दस्तावेज या चिकित्सकीय सबूत के पीड़िता की उम्र को नाबालिग मानना गलत है। अभियोजन न तो पीड़िता की उम्र साबित कर सका और न ही यह स्थापित कर सका कि यौन संबंध बिना सहमति के बनाए गए।
ललेश को सभी आरोपों से बरी कर दिया
इस आधार पर हाईकोर्ट ने ललेश को सभी आरोपों से बरी कर दिया और निर्देश दिया कि यदि वह किसी अन्य मामले में हिरासत में नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए। यह फैसला सबूतों की विश्वसनीयता और कानूनी प्रक्रिया की महत्ता को रेखांकित करता है।
thesootr links
• मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
• छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
• राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
• रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला | हाईकोर्ट ने युवक को अपहरण और रेप के मामले में किया बरी | Chhattisgarh High Court | Action of Chhattisgarh High Court | Chhattisgarh High Court overturns lower court's decision | Chhattisgarh High Court acquits youth in kidnapping and rape case