छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की शिक्षक की याचिका, एनआईए को इलेक्ट्रॉनिक जांच की पूरी छूट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नक्सल मामले में प्राइमरी शिक्षक अंगद सिंह सलामे की याचिका को खारिज कर दिया। शिक्षक ने एनआईए स्पेशल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके और उनकी पत्नी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच का निर्देश दिया गया था।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नक्सल मामले में प्राइमरी शिक्षक अंगद सिंह सलामे की याचिका को खारिज कर दिया। शिक्षक ने एनआईए स्पेशल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके और उनकी पत्नी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच का निर्देश दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एनआईए को मोबाइल और अन्य डिवाइस की जांच के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की।

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शिक्षक से जुड़ा है मामला 

मामला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के बाजारपारा, मानपुर में कार्यरत शिक्षक अंगद सिंह से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि एनआईए अधिकारी उन्हें नक्सल गतिविधियों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। शिक्षक का दावा था कि बिना पूर्व सूचना के उनसे बार-बार पूछताछ की गई, उनकी पत्नी के उपकरण जब्त किए गए, और एक संदिग्ध नक्सली को सरेंडर कराने के लिए दबाव डाला गया। उन्होंने धमकी मिलने का भी आरोप लगाया।

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कोर्ट में एनआईए तर्क मान्य 

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वहीं, एनआईए ने कोर्ट में तर्क दिया कि शिक्षक के नक्सल गतिविधियों से संबंध होने की आशंका है और जब्त उपकरणों से महत्वपूर्ण सबूत मिल सकते हैं। एनआईए ने शिक्षक के आरोपों को निराधार बताया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित राज्य है, और बस्तर जैसे क्षेत्रों को इस समस्या से मुक्त करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिबद्ध हैं। 

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राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा पहले

कोर्ट ने जोर दिया कि राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच जरूरी है। फैसले में स्पष्ट किया गया कि जांच एजेंसी को बिना किसी बाधा के अपना काम करने की छूट दी जाती है, क्योंकि आम नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता। यह फैसला नक्सलवाद के खिलाफ चल रही कार्रवाइयों में जांच एजेंसियों को मजबूती प्रदान करने वाला माना जा रहा है।

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