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Bilaspur.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरिया जिले में वर्ष 2012 में हुई संयुक्त भर्ती के एक महत्वपूर्ण मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार द्वारा दायर समीक्षा याचिका (Review Petition) को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई की तारीख से पहले याचिकाकर्ता 36 अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की गई है।
10 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मिली जीत
यह मामला कोरिया जिले में वर्ष 2012 में चतुर्थ श्रेणी के पदों (चपरासी/चौकीदार) के लिए चलाए गए संयुक्त भर्ती अभियान से जुड़ा है, जिसमें लगभग 1100 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी दी गई थी। हालांकि, कुछ महीनों बाद मेरिट लिस्ट में शामिल 36 अभ्यर्थियों पर नकल प्रकरण तैयार कर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
इस बर्खास्तगी के निर्णय को अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लगभग 10 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 1 जुलाई 2024 को इन 36 अभ्यर्थियों को नकल प्रकरण से दोषमुक्त करते हुए बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया था।
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हाई कोर्ट ने माना, सरकार का आदेश त्रुटिपूर्ण
सिंगल बेंच के फैसले को राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका दायर की थी। डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने उम्मीदवारों को अपात्र (Disqualified) करने का जो आदेश जारी किया था, वह प्रासंगिक दस्तावेजों और सामग्री, विशेष रूप से जांच समिति की रिपोर्ट, पर बिना विचार किए पारित किया गया था। कोर्ट ने यह भी माना कि अपात्र घोषित किए जाने से पहले उम्मीदवारों को सुनवाई का मौका (Opportunity of Hearing) भी नहीं दिया गया था, जो न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
ऐसे समझें पूरा मामलामामला और बर्खास्तगी: कोरिया संयुक्त भर्ती2012 में चतुर्थ श्रेणी भर्ती में चयनित 36 अभ्यर्थियों को बाद में नकल प्रकरण का आरोप लगाकर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट का फैसला: लगभग 10 साल बाद, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने नकल प्रकरण को खारिज करते हुए इन 36 अभ्यर्थियों को दोषमुक्त कर दिया था। सरकार की याचिका खारिज: राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका दायर की, जिसे हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया। 36 अभ्यर्थियों की नौकरी बहाल: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई (28 नवंबर) से पहले इन 36 याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाए। |
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दोनों पक्षों की दलीलें
शासन का पक्ष: शासन की ओर से कहा गया था कि जांच समिति की रिपोर्ट में यह पाया गया था कि 36 उम्मीदवारों ने अनुचित साधनों (Unfair Means) का सहारा लिया था, इसलिए उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष: याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जांच समिति ने किसी भी उम्मीदवार को सुनवाई का मौका दिए बिना एकतरफा रिपोर्ट तैयार कर ली थी।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं की चपरासी/चौकीदार के पदों पर नियुक्ति के लिए तुरंत विचार किया जाना चाहिए।इस फैसले से उन 36 अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है, जो पिछले एक दशक से नौकरी और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे।
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