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Bilaspur. देशभर में सड़कों पर बढ़ती दुर्घटनाओं और मवेशियों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से शपथ पत्र मांगा है और सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसी संबंध में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, राज्यों से जवाब तलब
जानकारी के मुताबिक, 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से यह स्पष्ट करने को कहा कि सड़कों से पशु हटाने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा कि “राजमार्ग और शहर की सड़कें पशुओं से मुक्त रहनी चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को तय की है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का निर्देश - कागजों में नहीं, जमीन पर दिखे कार्रवाई
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि “योजनाएं बनाना आसान है, लेकिन उन्हें लागू करना जरूरी है। हर दिन हादसे हो रहे हैं, पर रिपोर्टों से सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।”
मुख्य सचिव ने कोर्ट में दिया शपथ पत्र
राज्य के मुख्य सचिव ने कोर्ट में बताया कि 24 और 25 अक्टूबर को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर सड़क सुरक्षा और पशु नियंत्रण को लेकर कई अहम फैसले लिए गए हैं।
- शहरी क्षेत्रों में कांजी हाउस सक्रिय किए जा रहे हैं।
- खराब कांजी हाउस की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं।
- शिकायतों के लिए दो टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं।
शहरों के लिए – 1100
राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए – 1033
इन नंबरों पर शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करते हुए मवेशियों को कांजी हाउस या गौशाला भेजा जाएगा।
टोल ठेकेदार पर भी होगी जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि अब हर टोल प्लाजा एग्रीमेंट में यह शर्त जोड़ी जाएगी कि सड़कें पशु-मुक्त रखना ठेकेदार की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी। अगर लापरवाही से दुर्घटना होती है, तो टोल ठेकेदार पर कार्रवाई की जाएगी।
एक महीने का विशेष अभियान शुरू
राज्य सरकार अब एक महीने का विशेष अभियान चलाने जा रही है, जिसमें दिन-रात सड़क से आवारा पशुओं को हटाने का काम होगा। इस अभियान की जानकारी अखबारों, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दी जाएगी।
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कोर्ट का सख्त सवाल: घायल पशुओं का इलाज कौन करेगा?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बताया कि हाल ही में एक बछड़ा घायल हुआ, पर न कोई अधिकारी पहुंचा, न अस्पताल ने फोन उठाया। इस पर हाईकोर्ट ने कहा — “अगर अस्पताल में इलाज की सुविधा नहीं है, तो यह दिखाता है कि रिपोर्टें सिर्फ कागजों पर हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश — राज्यों को करने होंगे ये काम
- राजमार्ग, एक्सप्रेस-वे और शहर की सड़कों से पशुओं को हटाना अनिवार्य।
- संयुक्त अभियान चलाकर पशुओं को गौशालाओं और कैटल पाउंड्स में भेजा जाए।
- 24×7 हाईवे पेट्रोलिंग टीम बनाई जाए।
- हर हाईवे पर स्थायी हेल्पलाइन नंबर लगाया जाए।
- आदेशों का पालन न करने वाले अधिकारी स्वयं जिम्मेदार होंगे।
- 8 हफ्तों में पालन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करनी होगी।
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