ED की पकड़ से बाहर PCC के पूर्व कोषाध्यक्ष, पीए ने रिसीव किए थे शराब घोटाले के साढ़े आठ सौ करोड़, चार्जशीट के पन्ने खोल रहे राज

छत्तीसगढ़ के ढाई हजार करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी की चार्जशीट एक के बाद एक राज खोल रही है। ईडी की जद में अब रायपुर वाले सेठजी यानी पीसीसी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल हैं।

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Raipur: छत्तीसगढ़ के ढाई हजार करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी की चार्जशीट एक के बाद एक राज खोल रही है। ईडी की जद में अब रायपुर वाले सेठजी यानी पीसीसी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल हैं। चार्जशीट के पेज नंबर 15 में लिखा है कि अवैध कमीशन का बड़ा हिस्सा सत्तारुढ़ राजनीतिक दल यानी कांग्रेस को जाता था।

उस समय के पीसीसी कोषाध्यक्ष रहे रामगोपाल अग्रवाल का पीए देवेंद्र दड़सेना ये राशि रिसीव करता था। चार्जशीट के अनुसार साढ़े आठ सौ करोड़ रुपए कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के पीएस ने रिसीव किए। अग्रवाल को ही रायपुर वाला सेठ जी कहा जाता था। उनको भेजे जाने वाले सामान को कैश कहते थे। रामगोपाल अग्रवाल की ईडी की जद में तो हैं लेकिन गिरफ्त से बाहर हैं। ईडी कहती है कि वे फरार हैं। सूत्रों के मुताबिक अग्रवाल को कोई बड़ा कनेक्शन बचा रहा है। क्योंकि जब ईडी चैतन्य बघेल को पकड़ सकती है तो फिर अग्रवाल आखिर पकड़ में क्यों नहीं आ रहे।  

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चार्जशीट के पन्ने खोल रहे राज :

रामगोपाल अग्रवाल यानी रायपुर वाले सेठ यानी छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष। सूत्र बताते हैं कि इनकी पहुंच बहुत उपर तक है इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल तीन महीने से जेल में हैं लेकिन रामगोपाल अग्रवाल ईडी की पहुंच से बाहर हैं। ईडी की चार्जशीट में रामगोपाल अग्रवाल की बड़ी भूमिका भी शराब घोटाले में सामने आई है। छत्तीसगढ़ के 2500 करोड़ के शराब घोटाले की अवैध रकम पीसीसी जाती थी और उसके कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल का पीए देवेंद्र दड़सेना रिसीव करता था। ईडी की चार्जशीट के पेज नंबर 15 से रामगोपाल अग्रवाल और उनके आरोपों की कहानी शुरु होती है।

पेज नंबर 15,17 और 18 में लिखा है कि जांच के दौरान दर्ज किए गए बयानों के अनुसार, अवैध कमीशन का बड़ा हिस्सा सत्तारूढ़ राजनीतिक दल को दिया जाता था। जाहिर सत्तारुढ़ दल उस समय कांग्रेस पार्टी थी। ईडी को शराब घोटाले के एक हजार करोड़ को इधर उधर करने वाले पप्पू बंसल ने बताया कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध धनराशि को उसने चैतन्य बघेल के साथ मिलकर संभाली थी। वे यह अवैध धनराशि अनवर ढेबर से दिपेन चावड़ा के माध्यम से प्राप्त करते थे, और बाद में यह धन रामगोपाल अग्रवाल को पहुंचाया जाता था। 

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रामगोपाल अग्रवाल को 880 करोड़ : 

ईडी के अभियोग पत्र के अनुसार राम गोपाल अग्रवाल को भेजे जाने वाले धन को देवेन्द्र दड़सेना नामक व्यक्ति एकत्र करता था, जो उस समय राम गोपाल अग्रवाल के सहायक के रूप में कार्यरत था। ईडी ने केके श्रीवास्तव और देवेन्द्र दड़सेना से भी पूछताछ की, जिन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने वास्तव में वही धन प्राप्त किया था, जैसा कि पप्पू बंसल ने अपने बयान में बताया। ईडी के मुताबिक 80-100 करोड़ रुपए केके श्रीवास्तव को दिए गए और 860-880 करोड़ रुपए की नकद राशि कांग्रेस भवन में देवेंद्र दड़सेना को दी गई।

ईडी की पूछताछ के बयानों के अनुसार यह नकद राशि रामगोपाल अग्रवाल के निर्देशानुसार पप्पू बंसल से प्राप्त की थी, और रामगोपाल अग्रवाल ने उन्हें सूचित किया कि यह नकद राशि शराब घोटाले से संबंधित है। इस आधार पर, पप्पू बंसल के बयान की पुष्टि हो जाती है। यह स्पष्ट रूप से साबित करता है कि अवैध धन से उत्पन्न निधि अंततः राजीव भवन में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस समिति के कोषाध्यक्ष के कार्यालय तक पहुंचती थी।

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फरार हैं रामगोपाल अग्रवाल :

चार्जशीट कहती है कि रामगोपाल अग्रवाल उस समय छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस समिति (PCC) के कोषाध्यक्ष थे और वर्तमान में गायब/फरार हैं। उन्हें कई बार समन जारी किए गए, लेकिन वे जांच में शामिल नहीं हुए। उनको 10 सितंबर और 11 सितंबर 2025 को समन भेजे गए लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। वहीं उनके पीए देवेंद्र दड़सेना को जुलाई में समन भेजे गए जिसमें उसने अपने बयान दर्ज कराए। पप्पू बंसल ने अपने बयान के दौरान खुलासा किया कि वे राम गोपाल अग्रवाल को “रायपुर का सेठ” कहकर संबोधित करते थे।

इससे यह स्पष्ट होता है कि चैतन्य बघेल को पप्पू बंसल और राम गोपाल अग्रवाल के बीच अवैध धन से संबंधित लेन-देन की पूरी जानकारी थी। ऐसी ही एक मुलाकात के दौरान, भूपेश बघेल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अनवर ढेबर उनके पास कुछ “सामान” भेजेंगे, जिसे आगे रामगोपाल अग्रवाल को पहुंचाना है। बयान के अनुसार रामगोपाल अग्रवाल के साथ समन्वय किया जाता था कि सामान कहां सुपुर्द किया जाएगा, और यह स्थान हमेशा राजीव भवन, रायपुर, छत्तीसगढ़ निर्धारित होता था। यह भी बताया कि सामान शब्द का प्रयोग नकद राशि के लिए एक कोडवर्ड के रूप में किया जाता था।

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