RAIPUR. छत्तीसगढ़ 2200 करोड़ के शराब घोटाला केस में एसीबी और ईओडब्ल्यू EOW ने रायपुर की विशेष अदालत में चालान पेश कर दिया। पेश किए चालान में पेजों की संख्या पंद्रह हजार हैं। जांच एजेंसी ने चालान के पन्नों को तीन अलग-अलग रंगों के कपड़े से बांधा था। जांच को आसान करने के लिए घोटाला को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया था। मोटे तौर पर एसीबी और ईओडब्ल्यू प्रवर्तन निदेशालय की कहानी से ही आगे बढ़ी है। पेजों की संख्या यह बताती है कि उसने प्रवर्तन निदेशालय से एक कदम आगे जाकर जांच की है।
जहां छत्तीसगढ़ में इस घोटाले में चालान पेश किया गया हैI तो वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश की अदालत में इस मामले के दो आरोपियों की पेशी हैI अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी की यूपी की अदालत में पेशी हैI
जांच बढ़ी और आरोपी भी बढ़े
मामले में आरोपी सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर त्रिलोक सिंह ढिल्लन और अरविंद सिंह को शुरुआती दिनों में गिरप्तार कर लिया गया था। बाद में गवाहों को धमकाने के आरोप में अनवर ढेबर के बेटे, एक वकील और दोस्तों को सिविल लाइन थाना पुलिस ने आरोपी बनाया था। घोटाला में 70 से ज्यादा लोगों के नाम बतौर आरोपी दर्ज हैं।
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जांच को कैसे विभाजित किया गया
EOW और ACB दोनों ही शराब घोटाला को जांच रहे हैं। अरुणपति त्रिपाठी चूंकि आबकारी विभाग में विशेष सचिव रहे हैं, इसलिए उनका शामिल होना, एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच का हिस्सा है। घोटाले को कैसे अंजाम दिया गया? घोटाला में कौन-कौन शामिल थे? और इससे किस-किस को लाभ हुआ?, इस तरह के सवाल, बनाकर जांच को जारी रखा गया है।
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घोटाला में शराब की तीन कंपनियां, गिरफ्तारी सिर्फ एक की
घोटाला में शराब बनाने वाली तीन कंपनियों के नाम हैं। लेकिन, चार्ज शीट पेश करने तक जांच एजेंसी ने सिर्फ त्रिलोक सिंह ढिल्लन भर को गिरप्तार किया है। इसी तरह आबकारी विभाग से सिर्फ अरुणपति त्रिपाठी भर को गिरप्तार किया गया है।
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लाभार्थी कौन कौन...
घोटाला के रुपयों से पॉलिटिकल फंडिंग, प्रोटेक्शन मनी, हिस्सेदारी, रिश्वत जैसे मदों के जरिए भुगतान किया जाता था। जांच एजेंसी के मुताबिक प्रोटेक्शन मनी का रुपया पुलिस के छोटे- बढ़े अधिकारियों को जाता था। हिस्सेदारी में आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी का नाम है। पॉलिटिकल फंडिंग और लाभार्थी कौन कौन? इन नामों का खुलासा होना बाकी है।
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