तेजी से फैल रहा सूदखोरी का मकड़जाल, मजबूरी और जनकारी के अभाव में लोग बन रहे शिकार

छत्तीसगढ़ में सूदखोरी का मकड़जाल बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। ब्याज पर रकम देने वाले सूदखोर अपने गुर्गों के जरिए लोगों को धमकाते हैं। जिस वजह से तो लोग अपनी संपत्ति , जमीन और गहने बेचकर रकम चुकाने को मजबूर हो रहे हैं।

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Pravesh Shukla
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छत्तीसगढ़ में सूदखोरी का मकड़जाल बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। ब्याज पर रकम देने वाले सूदखोर अपने गुर्गों के जरिए लोगों को धमकाते हैं। जिस वजह से तो लोग अपनी संपत्ति , जमीन और गहने बेचकर रकम चुकाने को मजबूर हो रहे हैं। कई मामलों में तो कर्जदारों की धमकी से तंग आकर खुदकुशी तक कर लेते हैं। ऐसे तमाम मामले सामने आने के बाद भी सूदखोरों की वसूली बंद नहीं हो रही है।

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साहूकारी लाइसेंस है जरूरी

ब्याज पर रकम देने के लिए साहूकारी लाइसेंस अनिवार्य किया गया है। लेकिन ऐसा करने वाले करीब 90 फीसदी लोगों के पास लाइसेंस नहीं है। बावजूद इसके राज्य में धड़ल्ले से सूदखोरी का काम चल रहा है। हजारों फाइनेंस ब्रोकर, हुंडी कारोबारी रोज करोड़ों रुपयों का लेनदेन करते हैं। पिछले तीन साल में तहसील कार्यालयों में 300 से ज्यादा सहूकारी लाइसेंस जारी किए गए हैं।

क्या है साहूकारी लाइसेंस

साहूकारी लाइसेंस को मनी लेंडिंग लाइसेस भी कहा जाता है। यह एक सरकारी परमिट है जो कि किसी व्यक्ति या फिर व्यवसाय को ब्याज पर रुपए उधार देने का कानूनी अधिकार देता है। छत्तीसगढ़ में साहूकारी लाइसेंस पाने के लिए छत्तीसगढ़ साहूकार अधिनियम 1934 के तहत आवेदन करना होता है।  साहूकारी लाइसेंस बनवाने के बाद इसकी निगरानी और जांच की व्यवस्था नहीं है और इसी का फायदा सूदखोर धड़ल्ले से उठा रहे हैं।

क्या है कानूनी प्रावधान

कानूनी तौर पर गिरवी रखने पर अधिकतम 0.50 फीसदी और बिना गिरवी के एक फीसदी ब्याज लेने का प्रावधान है। वहीं सूदखोर चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर लोगों को कर्ज के जाल में फंसा रहे हैं। 

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ऐसे होती है वसूली

पहले तो सूदखोर कम ब्याज का झांसा देकर जरूरतमंद को अपने चंगुल में फंसाते हैं और जब सामने वाला उनके झांसे में आ जाता है तो उधार दी गई रकम के बदले 10 से लेकर 20 फीसदी तक ब्याज वसूलते हैं। कई मामलों में तो यह रकम 10 फीसदी प्रति महीने तक होती है। अगर कोई शख्स वक्त पर ब्याज नहीं चुका पाता तो सूदखोर कर्जदार को धमकाने के साथ ही गाली गलौच तक करते हैं। कर्जदारों को इस कदर परेशान किया जाता है कि वो  अपना घर, शहर छोड़कर भागने के साथ ही आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए भी मजबूर हो जाते हैं। 

रसूख का उठाते हैं फायदा

बीते तीन महीने में पुलिस तक दर्जन भर से ज्यादा फाइनेंस ब्रोकर और सूदखोरों के खिलाफ शिकायतें पहुंची हैं। ऊंची पहुंच और रसूखदारों से कनेक्शन होने की वजह से पुलिस भी उन पर सीधे हाथ डालने से कतराती है। वहीं ज्यादातर पीड़ित डर की वजह से पुलिस तक नहीं पहुंच रहे हैं। जो हिम्मत जुटाकर पुलिस अफसरों तक पहुंचे भी तो उनकी शिकायतों की जांच की जा रही है। 

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मजबूरी का उठाते हैं फायदा

हुंडी और ब्याज पर दिए गए रुपयों की कोई लिखा-पढ़ी नहीं रहती है। सारा लेन-देन जुबान पर होता है। कई मामलों में हुंडी कारोबारी कर्ज देने से पहले कर्जदार से दस्तखत कराकर ब्लैंक चेक ले लेते हैं। इसके बाद वो कर्जदार से कर्ज के तौर पर दी गई रकम के बादले मनमाना ब्याज वसूलते हैं। कई मामलों में तो सूदखोर चेक को बैंक में लगाकर कर्जदार पर चेक बाउंस का केस भी कर देतें हैं। 

तेजी से  सामने आ रहे मामले 

पिछले कुछ महीनों के दौरान छत्तीसगढ़ में सूदखोरी के कई मामले सामने आए हैं। रायपुर में तोमर भाइयों पर एक व्यापारी से 17 लाख की कर्ज के बदले 40 लाख से अधिक की वसूली के आरोप लगे हैं। आरोप है 40 लाख की वसूली के बाद भी वो लगातार दबाव बना रहे थे। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने व्यापारी की शिकायत पर मामला दर्ज लिया है। कोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए वारंट भी जारी कर दिया है। लेकिन आरोपी फरार हैं, जिसकी तलाश जारी है। इसके साथ ही सूदखोरों की प्रताड़ना की वजह से कुछ दिन पहले रायगढ़ में एक व्यापारी ने खुदकुशी कर ली थी। ठीक इसी तरह रायपुर के सुनील रंगलानी ने भी सूदखोरों से परेशान होकर खुदकुशी की कोशिश की थी।

रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने को मजबूर

दूसरा मामला छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से सामने आया है। जहां पर एक पुलिसकर्मी की पत्नी ने पति की मौत के बाद हवलदार की पत्नी ने एक सूदखोर से महज 30 हजार रुपए का कर्ज लिया था। जिसके एवज में सूदखोर ने उसकी बैंक पासबुक और दस्तावेज अपने पास रख लिए थे। सूदखोर इस महिला के पेंशन की ज्यादातर रकम अपने पास रख लेती है। बदले में उसे हर महीने महज 3 हजार रुपए मिलते हैं। जिस वजह से यह महिला रेलवे स्टेशन में भीख मांगकर जिंदगी जीने को मजबूर है। 

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4  लाख के बदले वसूले 40 लाख

वहीं कुछ दिन पहले ऐसा ही एक मामला कवर्धा में सामने आया था। जहां पुलिस ने एक शातिर सूदखोर पर शिकंजा कसा है। यह महिला एक शिक्षक को प्रताड़ित कर रही थी। पीड़ित व्यक्ति ने इस महिला से साल 2018 में 4 लाख रुपए ब्याज पर उधार लिए थे। जिसके एवज में यह महिला शिक्षक से पिछले 7 साल में 40 लाख रुपए वसूल चुकी है। बावजूद इसके यह महिला शिक्षक के घर जाकर उन्हें धमका रही थी। इसके साथ ही मिला ने शिक्षक से साइन कराकर रख लिए थे और रकम न देने पर चेक बाउंस का केस करने की धमकी दे रही थी। 

सूदखोर महिला गिरफ्तार

सूदखोर महिला से बार-बार मिल रही धमकी से परेशान होकर शिक्षक ने सूदखोर के खिलाफ पिपरिया थाना में मामला दर्ज कराया। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

सावधानी बरतने की जरूरत

सूदखोरी के मामले बड़ी ही तेजी से सामने आ रहे हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। 

बरतें ये सावधानी

कर्ज हमेशा रजिस्टर्ड फर्म से ही लें
दस्तावेज की शर्तों को अच्छे से पढ़ें 
लेन-देन को रजिस्टर्ट कराएं
लेन-देन का कानूनी रिकॉर्ड रखें 
लेनदार से परेशान करने पर पुलिस की मदद लें 

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