छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी लागू करने की मांग, अधिकारी-कर्मचारियो की 22 दिसंबर से कलम बंद हड़ताल की चेतावनी

छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने 11 सूत्रीय मांगों के साथ 22 दिसंबर से कलम बंद हड़ताल की घोषणा की है। यह आंदोलन मोदी की गारंटी लागू करने को लेकर है। कर्मचारियों ने सरकार से कई महत्वपूर्ण फैसले लेने की मांग की है।

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VINAY VERMA
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Photograph: (the sootr)

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RAIPUR.11 सूत्रीय मांगों को लेकर छग के अधिकारी-कर्मचारियों ने आंदोलन का ऐलान किया है। इसको लेकर कर्मचारियो ने 22 दिसंबर से कलम बंद हड़ताल करने की चेतावनी दी है। उनकी यह हड़ताल 24 दिसंबर तक चलेगी।

इस बीच इन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए अपनी 11 सूत्रीय मांगों की लिस्ट सौंप दी है। इसके लिए प्रदेश के सभी संगठनों ने एक मंच पर तैयारी कर ली है। सभी संगठनों के प्रांताध्यक्ष और जिला संयोजकों ने कर्मचारियों का मानना है कि मोदी की गारंटी पर सरकार के रवैये नकारात्मक है। 

कर्मचारियों की मांगें और मोदी की गारंटी

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि मोदी की गारंटी पर सरकार का रवैया नकारात्मक है। उनका मानना है कि सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया है। साथ ही कर्मचारियों के मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

आंदोलन के दौरान यह भी आरोप लगाया गया है कि कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों काे दबाया जा रहा है। कई कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। कुछ को निलंबित भी किया गया है। सरकार के इन कदमों को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है।

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 कर्मचारी हड़ताल की घोषणा: छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने 11 सूत्रीय मांगों के समर्थन में 22 दिसंबर से कलम बंद हड़ताल का ऐलान किया है, जो 24 दिसंबर तक चलेगी।

मांगों में पीएम मोदी की गारंटी: कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता (डीए), समयमान वेतनमान और वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांग की है।

लोकतांत्रिक आंदोलन पर दबाव: कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि सरकार लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने के लिए गिरफ्तारी, निलंबन और बर्खास्तगी जैसे कदम उठा रही है।

11 सूत्रीय मांगें: कर्मचारियों ने 11 प्रमुख मांगों के साथ ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कैशलेश इलाज, अर्जित अवकाश का नगदीकरण और दैनिक कर्मचारियों को नियमित करने की नीति शामिल है।

फेडरेशन का विरोध: फेडरेशन ने छत्तीसगढ़ सरकार को चेतावनी दी है कि यदि दंडात्मक कार्रवाई वापस नहीं ली जाती, तो वे इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

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आंदोलन को कुचला जा रहा

लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने के लिए नेताओं को गिरफ्तार, निलंबित और बर्खास्त किया जा रहा है। एनएचएम कर्मचारियों से किए वादों का पालन नहीं हुआ। स्वास्थ्य मंत्री के लिखित निर्देश पर भी बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल नहीं किया गया। फेडरेशन संयोजक कमल वर्मा बोले, शासकीय सेवक हर आदेश का पालन करने को तैयार हैं। पर शासन को भी उनके उचित अधिकार, सुरक्षा और मान-सम्मान का ध्यान रखना होगा। यदि सरकार ने दंडात्मक कार्यवाही को वापस नहीं लिया, तो फेडरेशन जोरदार विरोध करेगा।

कर्मचारियों की 11 सूत्रीय मांगें

कर्मचारियों ने 11 सूत्रीय मांगों का एक ज्ञापन सरकार को सौंपा है। इन मांगों में महंगाई भत्ते (डीए) की वृद्धि, समयमान वेतनमान की सिफारिश,और कर्मचारियों की सेवा सुधार शामिल हैं। इन मांगों को लेकर कर्मचारियों ने कहा कि सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।

प्रमुख मांगें...

  1. महंगाई भत्ता (डीए) लागू किया जाए: केंद्र सरकार के समान कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाए।

  2. डीए एरियर्स का भुगतान: कर्मचारियों के खाते में डीए एरियर्स की राशि समायोजित की जाए।

  3. समयमान वेतनमान: सभी कर्मचारियों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए।

  4. वेतन विसंगतियों का समाधान: विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को खत्म करने के लिए पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

  5. सेवा लाभ की गणना: कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति तिथि से सेवा लाभ दिया जाए।

  6. शासकीयकरण: पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।

  7. पदोन्नति की नीति: नगरीय निकाय के कर्मचारियों को नियमित मासिक वेतन और समयबद्ध पदोन्नति दी जाए।

  8. अनुकंपा नियुक्ति: अनुकंपा नियुक्ति में शिथिलता दी जाए।

  9. कैशलेश इलाज सुविधा: प्रदेश में कैशलेश इलाज की सुविधा लागू की जाए।

  10. अर्जित अवकाश का नगदीकरण: अर्जित अवकाश का नगदीकरण 300 दिनों तक किया जाए।

  11. दैनिक कर्मचारियों की नियमितता: दैनिक, अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की नीति बनाई जाए।

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