छत्तीसगढ़ में 1700 से ज्यादा प्रायवेट स्कूलों की मान्यता खतरे में, एससीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबों से हो रही पढ़ाई

छत्तीसगढ़ में 1700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों ने एससीईआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई करवाई है। अब इन स्कूलों की मान्यता खतरे में है, और सरकार ने सख्त कार्रवाई की तैयारी की है।

author-image
Arun Tiwari
New Update
Cg education dipartment

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

RAIPUR. छत्तीसगढ़ सरकार उन स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है जो SCERT किताबें नहीं लेते हैं। ये निजी स्कूल प्रायवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों से बच्चों को पढ़ाई करवा रहे हैं। प्रदेश में 1700 से ज्यादा ऐसे निजी स्कूल हैं जिन्होंने सरकारी SCERT की किताबें नहीं लीं। पाठ्यपुस्तक निगम ने उन स्कूलों की पूरी जानकारी सरकार को कार्रवाई के लिए भेज दी है।

अब ऐसे निजी स्कूलों की मान्यता पर संकट मंडराने लगा है, जिससे अभिभावक चिंतित हैं। जिला शिक्षा अधिकारी जल्द ही इन सभी स्कूलों को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहे हैं। राज्य सरकार सभी सरकारी और निजी स्कूलों को मुफ्त में किताबें उपलब्ध करवाती है। इसके बावजूद, ये स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें उपयोग कर सरकारी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।

यह खबरेंं भी पढ़ें...

छत्तीसगढ़ में युवा कांग्रेस के 11 जिलाध्यक्षों की सूची जारी, बाकी के अटके नाम भी जल्द होंगे घोषित

छत्तीसगढ़ में प्ले स्कूल का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी, 3 साल से कम उम्र के बच्चों को नो एंट्री

प्रायवेट स्कूलों का सरकार को ठेंगा : 

पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष राजा पांडेय कहते हैं कि छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त 1784 ऐसे स्कूल हैं। इन स्कूलों ने पाठ्य पुस्तक निगम से किताबें नहीं ली हैं। इन स्कूलों में एससीआरटी की बजाए निजी प्रकाशकों की किताबों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। यहां पर सवाल यह है कि निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई करने वाले बच्चे 5वीं,8वीं की परीक्षा कैसे दे पाएंगे। हर साल की तरह शिक्षा विभाग यूडाइस डाटा के आधार पर छात्रों की संख्या के हिसाब से किताबें सप्लाई करता है।

चालू शिक्षा सत्र में 2 करोड़ 64 लाख किताबें छपवाई हैं। यह किताबें छत्तीसगढ़ बोर्ड के सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों को मुफ्त में दी जाती हैं। इन स्कूलों के किताबें न लेने से यहां पर निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई हो रही है। मॉनिटरिंग न होने से प्रायवेट स्कूल सरकार को ठेंगा दिखा रहे हैं। और डीईओ,बीईओ इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। अब सरकार ने इनको सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं।  

छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों की मान्यता पर खतरे को ऐसे समझें

  • छत्तीसगढ़ में 1700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल एससीईआरटी की किताबों की जगह निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं।
  • सरकारी पाठ्य पुस्तक निगम ने इन स्कूलों की जानकारी सरकार को भेजी है, जिससे इन स्कूलों की मान्यता पर खतरा मंडराने लगा है।
  • छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों को नोटिस भेजने की तैयारी शुरू की है और मान्यता समाप्त करने की सख्ती भी बरतने की चेतावनी दी है।
  • प्राइवेट स्कूल्स के प्रबंधकों का कहना है कि उन्हें छत्तीसगढ़ बोर्ड की किताबें समय पर नहीं मिलीं, जिससे निजी प्रकाशकों की किताबों का इस्तेमाल करना पड़ा।
  • कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि निजी स्कूल महंगी किताबें थोप रहे हैं, जिससे शिक्षा का खर्च बढ़ रहा है और आरटीई के तहत आने वाले बच्चों को सरकारी किताबें नहीं मिल रही हैं।

संकट में इन स्कूलों की मान्यता : 

पाठ्य पुस्तक निगम की मुफ्त दी जाने वाली किताबें नहीं लेने वाले निजी स्कूलों की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। प्रदेश के 1784 निजी स्कूलों ने अब तक निगम से पाठ्य पुस्तकें नहीं ली हैं। इनमें ज़्यादातर छोटे निजी स्कूल शामिल हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए शिक्षा विभाग को रिपोर्ट भेजी है। विभाग का कहना है कि यदि स्कूलों ने जल्द ही पाठ्य पुस्तकें नहीं लीं, तो उनके विरुद्ध मान्यता समाप्ति की होगी।

लोक शिक्षण संचालनालय ने निजी स्कूलों द्वारा किताबें न लेने की जानकारी पिछले वर्ष के आंकड़ों से जुटाई गई है। बोर्ड मान्यता प्राप्त इन स्कूलों को सरकारी पुस्तकों का उपयोग अनिवार्य है। राज्य सरकार बुनियादी शिक्षा के लिए मुफ्त पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराती है। प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि निजी स्कूलों को छत्तीसगढ़ बोर्ड की पाठ्य पुस्तकें कई महीनों बाद भी पूरी नहीं मिली हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। मजबूरी में बच्चों को निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई करानी पड़ रही है। यदि उनके खिलाफ कोई निर्णय लिया गया तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।  

यह खबरेंं भी पढ़ें...

कृषि यंत्र अनुदान योजना से छत्तीसगढ़ के किसानों को 40-70 फीसदी तक मिलेगी सब्सिडी

दिल्ली-रायपुर फ्लाइट टेक्निकल इश्यू के कारण भुवनेश्वर डायवर्ट, यात्रियों में नाराजगी

कुछ जिलों में नहीं पहुंची किताबें : 

इधर, शिक्षा सत्र शुरू होने के लगभग पांच महीने बाद भी कई जिलों से किताबों की मांग आ रही है। निगम ने जिलों को चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार किताबों की डिमांड सीधे स्वीकार नहीं की जाएगी। जिन जिलों में किताबें भेज दी गई थीं, वहां भी कई स्कूलों ने इन्हें नहीं लिया। जिसके अब तक हजारों बच्चों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। विभाग का कहना है कि नए सत्र की कई पुस्तकों की स्कैनिंग में देरी हुई। जिलों ने समय रहते मांग प्रस्तुत नहीं की।

निजी स्कूलों द्वारा किताबें न लेने के मामले पर शिक्षा विभाग ने सख्ती कर ऐसे स्कूलों को नोटिस देने की तैयारी की है। अभिभावकों का भी आरोप है कि निजी स्कूल निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोप रहे हैं। इससे शिक्षा खर्च बढ़ रहा है। कई स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चे आरटीई के तहत आते हैं। इनके लिए सरकारी किताबें अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।

छत्तीसगढ़ सरकार पाठ्य पुस्तक निगम नोटिस लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ बोर्ड छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग एससीईआरटी
Advertisment