सदर मानने के लिए राजी नहीं हुए तो 30 से ज्यादा मुस्लिम परिवारों का सामाजिक बहिष्कार

छत्तीसगढ़ में 30 से अधिक मुस्लिम परिवारों को समाज से बहिष्कृत किए जाने के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। वक्फ बोर्ड ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। मुतवल्ली के द्वारा सदर मानने का दबाव बनाया जा रहा था।

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Sanjeet kumar dhurwey
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Photograph: (the sootr)

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CG News. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से बड़ा मामला सामने आया है। जहां 30 से अधिक मुस्लिम परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया है। इन परिवारों को मस्जिद, कब्रिस्तान, विवाह समारोह, सामूहिक दावत और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

बहिष्कृत परिवारों ने आरोप लगाया कि उन पर मुतवल्ली के द्वारा गलत तरीके से दबाव बनाया जा रहा था। इन परिवारों ने मुतवल्ली को सदर (प्रधान) मानने से इनकार कर दिया। इस पर सामाजिक बहिष्कार कर दिया। इसकी शिकायत रायपुर पहुंचकर इन परिवारों ने वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सलीम राज से शिकायत की है। 

बात नहीं मानी तो कर दिया बहिष्कार?

इन पीड़ित परिवारों के अनुसार अल्तमश सिद्दीकी, जो खुद को 22 जमात का सदर (president) कहते हैं, ने कई मुस्लिम परिवारों पर दबाव डालना शुरू किया। इन परिवारों ने उन्हें सदर के रूप में मानने से इनकार कर दिया। साथ ही अपनी परंपरा छोड़ने की बात नहीं मानी। सुन्नी और शिया दोनों मुस्लिम समुदायों में, सदर शब्द का उपयोग विभिन्न पदों और भूमिकाओं के लिए किया जाता है।

मुस्लिम समुदाय में कौन होता है सदर?

संगठन या समिति का अध्यक्ष: किसी भी मुस्लिम संगठन, समिति या परिषद का प्रमुख व्यक्ति सदर कहलाता है। उदाहरण के लिए, एक स्थानीय मस्जिद समिति का अध्यक्ष या एक मुस्लिम छात्र संघ का अध्यक्ष।

समुदाय का नेता: कुछ मुस्लिम समुदायों में, सदर समुदाय के एक प्रमुख नेता को संदर्भित करता है, जो समुदाय के मामलों में मार्गदर्शन और प्रतिनिधित्व करता है।

धार्मिक संदर्भ में: कुछ धार्मिक संदर्भों में, सदर एक विशेष धार्मिक पद या उपाधि हो सकती है, जैसे कि किसी सूफी सिलसिले का प्रमुख।

राजनीतिक संदर्भ में: कुछ राजनीतिक दलों या संगठनों में, सदर एक प्रमुख नेता या अध्यक्ष हो सकता है। 

मस्जिद सदर: एक मस्जिद समिति का अध्यक्ष, जो मस्जिद के मामलों, जैसे कि नमाज, शिक्षा, और सामाजिक गतिविधियों का प्रबंधन करता है।

मजलिस-ए-शूरा का सदर: एक मजलिस-ए-शूरा (परामर्शदात्री परिषद) का अध्यक्ष, जो समुदाय के मामलों पर सलाह देता है और मार्गदर्शन करता है।

सूफी सिलसिले का सदर: एक सूफी सिलसिले (संप्रदाय) का प्रमुख, जो अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।

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रोटी-बेटी का रिश्ता क्या होता है? 

अल्तमश सिद्दीकी ने बिना किसी ठोस कारण के इन परिवारों को मुस्लिम समाज से बहिष्कृत कर दिया। उन्हें कब्रिस्तान, रोटी-बेटी के रिश्ते, और शादी-विवाह में भाग लेने से रोका गया। साथ ही इन परिवारों में सामाजिक रिश्ता अब कोई नहीं जोड़ेगा, इससे ये परिवार चिंतित हैं। 

अब इन परिवारों में कोई भी रोटी- बेटी का रिश्ता नहीं जोड़ेगा, यानि निकाह नहीं करेंगे। आना- जाना नहीं करेंगे। जमात, दावत में नहीं बुलाएंगे।

समाज से बहिष्कृत के विवाद को ऐसे समझें 

30 मुस्लिम परिवारों का बहिष्कार: गरियाबंद में 30 से अधिक मुस्लिम परिवारों को समाज से बाहर किया गया।

सामाजिक संबंधों का बहिष्कार: इन परिवारों को मस्जिद, कब्रिस्तान और शादी-ब्याह में भाग लेने से रोका गया।

धार्मिक अपमान: अल्तमश सिद्दीकी ने इन परिवारों को शिया कहकर अपमानित किया।

वक्फ बोर्ड का बयान: डॉ. सलीम राज ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और ऐसे भेदभाव को नकारा।

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आरोप- धार्मिक भेदभाव और अपमान किया

पीड़ित परिवारों ने शिकायत में यह भी बताया कि अल्तमश सिद्दीकी ने उन्हें शिया (Shia) कहकर समाज में उनका अपमान किया। उनको मोहर्रम पर ताजियादारी (Tazia Procession) का पालन करने से रोका। समाज में उनके खिलाफ मानसिक उत्पीड़न और तानों का माहौल पैदा कर दिया। इस प्रकार का व्यवहार भारतीय संविधान के धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार का उल्लंघन है। 

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वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने क्या कहा? 

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने कहा कि मुतवल्ली (Masjid Caretaker) को केवल मस्जिद की देखरेख करने का अधिकार है न कि समाज से किसी को बाहर करने का। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्हें उनके पद से बर्खास्त किया जाएगा।

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समाज में शांति का संदेश

डॉ. सलीम राज ने यह भी कहा कि इस्लाम एक शांति का धर्म है। हमें शांति से ही समाज में रहना चाहिए। उन्होंने इस प्रकार के भेदभावपूर्ण व्यवहार को नकारा और मुस्लिम समाज से अनुरोध किया कि वे किसी भी व्यक्ति को धर्म से बाहर न करें।

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