नान घोटाला:पूर्व मैनेजर की फ्रैंड ने निवेश की अवैध कमाई, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

छत्तीसगढ़ में हुए नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए घोटाले के आरोपी पूर्व मैनेजर की महिला मित्र और ब्यूटी पर्लर संचालिका की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।

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Pravesh Shukla
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छत्तीसगढ़ में हुए नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए घोटाले के आरोपी पूर्व मैनेजर की महिला मित्र और ब्यूटी पर्लर संचालिका की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। महिला ने ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) के केस दर्ज करने के बाद आरोप तय करने के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका लगाई थी। 

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ACB ने कई जगह की थी छापेमारी

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि ब्यूटी पार्लर संचालिका ने नान के पूर्व मैनेजर की अवैध कमाई को निवेश करने की साजिश रची थी। नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो और EOW ने नाम के मुख्यालय समेत कई अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान जांच एजेंसी ने पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्टे के घर सहित कई ठिकानों पर छापा मारा था। 

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मधुरिमा को बनाया सह आरोपी

EOW की जांच में सामने आया कि भट्ट ने तीन करोड़ 89 लाख रुपए की अवैध संपत्ति जुटाई थी, जो उसकी वास्तविक आय से कई गुना अधिक थी। EOW की जांच में पता चला कि पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट की महिला मित्र मधुरिमा शुक्ला ब्यूटी पार्लर चलाती है। उसने उसकी अवैध कमाई को निवेश कर साजिश सची थी, लिहाजा उसे भी सह आरोपी बनाया गया।

हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका

ACB ने जांच के दौरान मधुरिमा के पास से 1.60 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। जबकि उसकी आय मात्र 24 लाख रुपए थी। इस मामले में चार्जशीट पेश होने के बाद कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(ई), 13(2) और आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आरोप तय किए हैं। जिसके खिलाफ मधुरिमा ने हाईकोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। 

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आरोपी ने दी ये दलील

आरोपी महिला मधुरिमा ने हाईकोर्ट में पेश की गई याचिका में बताया कि उसे सुनियोजित तरीके से फंसाया गया है। उसके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह तथ्यहीन हैं। उसने ब्यूटी पार्लर के व्यापार से संपत्ति जुटाई है। उसने किसी तरह का अवैध काम नहीं किया है और न ही किसी के पैसे निवेश किए हैं।

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हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसीबी से दस्तावेज मांगे और इनकी जांच कराई । जांच के दौरान मथुरिमा के पास 1.60 करोड़ रुपए की संपत्ति की जानकारी मिली। जबकि उसकी कुल वैध आय सिर्फ 24.74 लाख थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि उसने शिवशंकर भट्‌ट की अवैध कमाई को अपने नाम से निवेश कर षड्यंत्र में सक्रिय भूमिका निभाई है। ऐसे में उसकी याचिका खारिज कर दी गई।

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