छत्तीसगढ़ में नई उद्योग नीति ने किया कमाल, 6.65 लाख करोड़ से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट आया, नौकरियों की राह खुली

छत्तीसगढ़ की नई उद्योग नीति ने 6.65 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है। इससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और यह राज्य अब औद्योगिक केंद्र बन चुका है।

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Raipur. कभी पिछड़े राज्यों में गिना जाने वाला छत्तीसगढ़ आज अपनी पहचान खुद गढ़ रहा है। 25 साल पहले जब यह राज्य अस्तित्व में आया था, तब नक्सलवाद और पिछड़ेपन की वजह से इसे निवेश के लिहाज से कमजोर माना जाता था। अब तस्वीर बदल चुकी है। अब छत्तीसगढ़ निवेश, उद्योग, ऊर्जा, कृषि, पर्यटन और तकनीक के क्षेत्र में नई मिसाल कायम कर रहा है।

राज्य में लागू नई उद्योग नीति ने छत्तीसगढ़ को निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद जगह बना दिया है। अब तक करीब 6.65 लाख करोड़ रुपए का निवेश राज्य में आ चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रयासों और सरकार की बेहतर नीतियों से यहां कारोबार शुरू करना आसान हुआ है। सरकार का काम की गति बढ़ाने पर भी जोर है। छोटे और मझोले उद्योगों (MSME), स्टार्टअप्स और नई टेक्नोलॉजी वाले कारोबार को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

कोरबा जिले में पावर और मेटल सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं दुर्ग और राजनांदगांव के इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में नए औद्योगिक केंद्र विकसित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने लिथियम ब्लॉक की सफल नीलामी की है। यह कदम ऊर्जा और नई तकनीक के क्षेत्र में बड़ी छलांग साबित हो सकता है।

इस तरह बदल रही तस्वीर

आपको बता दें कि वर्ष 2000 में जहां छत्तीसगढ़ में केवल 12 औद्योगिक क्षेत्र थे, वहीं 2025 में इनकी संख्या बढ़कर 58 हो गई है। ऊर्जा उत्पादन 1,360 मेगावाट से बढ़कर 26,000 मेगावाट हो गया है। वार्षिक निवेश 1,000 करोड़ से बढ़कर 16,500 करोड़ रुपए और संगठित रोजगार 50,000 से बढ़कर 5.25 लाख तक पहुंच गया है। ये आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि छत्तीसगढ़ अब केवल संसाधनों का भंडार नहीं, बल्कि भारत का औद्योगिक पॉवरहाउस बन चुका है।

ऊर्जा उत्पादन में रफ्तार, सौर क्रांति की ओर कदम

छत्तीसगढ़ ऊर्जा उत्पादन के मामले में आज देश में दूसरे स्थान पर है। फिलहाल राज्य में 30,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता है और 2030 तक इसे देश में पहले स्थान पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में सौर ऊर्जा भी तेजी से बढ़ रही है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत लोग अपने घरों पर सोलर पैनल लगाकर मुफ्त बिजली पा रहे हैं। लक्ष्य है कि 2027 तक 5 लाख घरों में सोलर पैनल लग जाएं। इससे लोगों का बिजली बिल घटेगा। साथ ही प्रदेश हरित ऊर्जा की दिशा में भी आगे बढ़ेगा।

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बेहतर कनेक्टिविटी से जुड़े विकास के नए रास्ते

छत्तीसगढ़ में सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी पर तेजी से काम हो रहा है। राजधानी रायपुर, नया रायपुर और भिलाई को मिलाकर स्टेट कैपिटल रीजन तैयार किया जा रहा है, जो भविष्य में 50 लाख आबादी की जरूरतें पूरी करेगा। नई सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे नेटवर्क और हवाई अड्डों के विकास से उद्योग, पर्यटन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा फायदा मिलेगा। इससे राज्य के छोटे शहरों और गांवों तक निवेश और रोजगार के अवसर पहुंच रहे हैं।

खेती पर मजबूत पकड़, किसान बन रहे ताकतवर

कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। धान के अलावा कोदो, कुटकी और रागी जैसे मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है। किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, बीमा योजनाएं और आधुनिक खेती के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। लघु वनोपज से जुड़ी अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। इससे वनवासियों की आय में बढ़ोतरी हुई है और रोजगार के नए मौके पैदा हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी को टिकाऊ और मुनाफे वाला बनाने की दिशा में राज्य लगातार काम कर रहा है।

सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में पहल

छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने शासन व्यवस्था को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन सेवाओं का दायरा बढ़ाया है। लोग घर बैठे राजस्व, पेंशन और प्रमाण पत्र जैसी जरूरी सेवाएं ले पा रहे हैं। भ्रष्टाचार रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई सुधार किए गए हैं।

संस्कृति और खेल को नई पहचान

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और परंपरा को संजोने के लिए विशेष योजनाएं लागू की जा रही हैं। कल्चर पार्क और फिल्म सिटी की योजना पर काम शुरू हो चुका है। स्थानीय कलाकारों को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। वहीं, खेल के क्षेत्र में भी राज्य आगे बढ़ रहा है। नए स्टेडियम और प्रशिक्षण केंद्र युवाओं को खेल में करियर बनाने के अवसर दे रहे हैं।

वस्त्र उद्योग से रोजगार की नई राह

छत्तीसगढ़ में नई औद्योगिक नीति लागू में वस्त्र उद्योग को विशेष महत्व दिया गया है। छोटे और मझोले उद्यमियों को विशेष छूट और प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। इससे राज्य में वस्त्र उत्पादन की नई इकाइयां खुलेंगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। छत्तीसगढ़ अपनी पारंपरिक कुटीर उद्योग परंपरा के सहारे वस्त्र कारोबार का केंद्र बन सकता है।

रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में बड़ा कदम

रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज तैयार किया गया है। आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा उपकरणों और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के निर्माण के लिए राज्य में बुनियादी ढांचा विकसित हो रहा है। इससे नई तकनीकों का विकास होगा और उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा होंगी।

ईवी सेक्टर में बड़ा निवेश

इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए भी राज्य ने कदम बढ़ाए हैं। निवेशकों को विशेष सब्सिडी और आसान लाइसेंस प्रक्रिया की सुविधा दी जा रही है। इसका फायदा यह होगा कि पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचेगा और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, युवाओं को नई नौकरियों और स्टार्टअप्स के मौके मिलेंगे।

फार्मा सेक्टर में नए अवसर

स्वास्थ्य और दवाओं के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ निवेश के लिए आकर्षक बनता जा रहा है। फार्मा कंपनियों को निवेश पर कर में छूट, भूमि संबंधी सुविधाएं और तकनीक में सहयोग दिया जा रहा है। इससे राज्य स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भर बन सकेगा और बाहर से दवाइयों पर निर्भरता घटेगी।

पर्यटन से चमक उठेगा ग्रामीण इलाका

छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। नई नीतियों के तहत पर्यटन और होटल उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। कर में छूट, आसान वित्तीय सहायता और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए योजनाएं लागू की गई हैं। होम स्टे जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम चल रहा है। इससे पर्यटन उद्योग मजबूत होगा और ग्रामीण इलाकों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

अगले पांच वर्षों में 5 लाख से अधिक नौकरियां

नई औद्योगिक नीति में अगले पांच वर्षों में 5 लाख से ज्यादा रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। छत्तीसगढ़ कपड़ा, दवा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रक्षा, ऊर्जा और चिकित्सा पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आने वाले दशक में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की राह पर है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सल समस्या का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित करना है, जिससे सभी प्रभावित क्षेत्रों में शांति, स्थिरता और नई शुरुआत का मार्ग प्रशस्त हो सके।

इन सेक्टरों के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान

  • दवाइयों

  • कपड़ा

  • कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण

  • गैर-लकड़ी वन उत्पाद प्रसंस्करण

  • संपीड़ित जैव-गैस

  • इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) रोबोटिक्स और कंप्यूटिंग (जीपीयू)

  • आईटी/आईटीईएस/डेटा केंद्र

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि यह नीति रोजगार सृजन और 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर विकसित की गई है। यह नीति न केवल औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप भी तैयार की गई है।

वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0

मुख्यमंत्री साय ने वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 का शुभारंभ किया है, जिससे अनुमोदन समय में भारी कमी आएगी और छत्तीसगढ़ को व्यवसाय सुगमता के मामले में शीर्ष राज्यों में स्थान दिलाने में मदद मिलेगी। सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 विकसित किया गया है।
सीएम साय ने नवा रायपुर में देश के अग्रणी सेमीकंडक्टर उत्पादकों में से एक, पॉलीमेटेक इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र का शिलान्यास भी किया है। कंपनी राज्य की पहली बड़ी सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के लिए 1,143 करोड़ का निवेश करेगी। यह इकाई 1.5 लाख वर्गफुट क्षेत्र में फैलेगी और 2030 तक 10 अरब चिप्स बनाने का अनुमान है। इन चिप्स का उपयोग दूरसंचार, 6G/7G तकनीकों, लैपटॉप और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाएगा।

व्यापार में आसानी के लिए 350 से अधिक नीतिगत सुधार

नई औद्योगिक नीति में एकल-खिड़की निकासी प्रणाली और व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 350 से अधिक नीतिगत सुधार शामिल हैं। इन सुधारों से इस्पात क्षेत्र के निवेशकों को सीधा लाभ होगा। हरित ऊर्जा अपनाने वाले उद्योग विशेष अनुदान के पात्र होंगे। हाल ही में आयोजित ऊर्जा शिखर सम्मेलन में लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए, जिनमें जलविद्युत परियोजनाओं के लिए निर्धारित 57,000 करोड़ रुपये शामिल हैं।

2047 तक आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का लक्ष्य

राज्य सड़क, रेल, उद्योग, ऊर्जा, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन और संस्कृति जैसे हर क्षेत्र में संतुलित विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी और आत्मनिर्भर राज्यों में शामिल किया जाए।
25 साल की इस यात्रा में छत्तीसगढ़ ने पिछड़ेपन की छवि से बाहर निकलकर विकास की एक नई गाथा लिखी है। यह कहानी बताती है कि इच्छाशक्ति, बेहतर नीतियों और जनता की भागीदारी से कोई भी राज्य अपनी पहचान बदल सकता है।

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