अरुण तिवारी @ RAIPUR. छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) की सियासत में स्कैम और स्कैंडल का बड़ा रोल है। दो दशकों का इतिहास है कि हर चुनाव के पहले घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर आ जाता है। लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) की तारीखों के ऐलान के बाद छत्तीसगढ़ की सियासत में एक कांड फिर गरमा गया है। एक बार फिर महादेव सट्टा एप मामले ने प्रदेश में तूल पकड़ा है। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जब जब चुनाव नजदीक आते हैं तब कई विवाद सुर्खियां बटोर कर राजनीति गरमा देते हैं। वैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ( Bhupesh Baghel ) पर दर्ज हुई FIR भी 2024 के चुनाव में एक अहम मुद्दा बनकर सियासी आग प्रदेश में भड़काने वाली है।
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पहले भी लग चुके हैं नेताओं पर आरोप
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में सियासत में महादेव सट्टा एप ( Mahadev satta app ) को लेकर चर्चा तेज है। यह पहली मर्तबा नहीं है की किसी राजनीतिक व्यक्ति पर आरोप लग रहा हो । इससे पहले भी प्रदेश के कई बड़े नेताओं पर आरोप प्रत्यारोप का दौर देखने मिला है। बात करें 2003 में विधानसभा चुनाव की तो पहले ही चुनाव में दिलीप सिंह जूदेव की विवादित सीडी जारी हुई थी । 2008 में हुए चुनाव से पहले कांग्रेस की आपसी गुटबाजी की सीडी सामने आई थी, वहीं 2013 चुनाव से पहले तात्कालिक मंत्री राजेश मूणत की विवादित सीडी जारी होने पर हंगामा मचा था। 2014 में हुए उपचुनाव से पहले मंतुराम की भी सीडी जारी हुई थी । 2018 चुनाव से पहले नान घोटाले से जुड़ी सीडी चर्चाओं में रही थी । 2023 चुनाव से ठीक पहले तात्कालिक सीएम भूपेश बघेल को रिश्वत देने से संबंधित सीडी चर्चा में आई थी ।
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महादेव सट्टा एप की चर्चा जोरों पर
इस बार चर्चा महादेव सट्टा एप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर दर्ज FIR को लेकर हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव से लोकसभा के प्रत्याशी हैं । ऐसे समय में FIR दर्ज होना कई सवाल भी खड़े कर रहा है, तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कह रहे हैं कि राजनीतिक विद्वेष की वजह से FIR दर्ज की गई है। पीसी अध्यक्ष कहते दीपक बैज कहते हैं कि बीजेपी को अपनी हार दिख रही है इसीलिए वो बौखला रही है।
महादेव सट्टा एप पर सियासत गरमाई
विधानसभा चुनाव के दौरान भी महादेव सट्टा एप मामले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी थी। जिसका बीजेपी ने जमकर फायदा उठाया था। अब लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में महादेव एप पर सियासत फिर गरमा रही है। इस बीच उप मुख्यमंत्री अरुण साव का बयान सामने आया। अरुण साव ने कहा कि यह जो महादेव एप के मामले में एफआईआर हुई है । सबको पता है कब से इसकी जांच चल रही थी। लगभग 2 साल हो गए हैं इसकी जांच करते। चुनाव से इसका कोई लेना देना नहीं है ना ही राजनीति से कोई लेना देना है। यह तो प्रदेश के युवाओं के साथ जो धोखा हुआ है। छत्तीसगढ़ के साथ जो अन्याय हुआ है। जो अपराध हुए है उसकी यह परिणीति है। वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल कहते हैं कि घोटालों से कांग्रेस का पुराना नाता है।
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कौन किस पर पड़ेगा भारी ?
छत्तीसगढ़ में इतिहास के चुनावी पन्नों को अगर खंगाला जाए तो कई विवादों से सरकार बनी है, वहीं कई विवादों ने सत्ता पर गाज गिराई है और चुनाव पर भी अपना एक अलग प्रभाव बनाया है। महादेव सट्टा एप मामले पर कार्रवाई अब भी जारी है। जब तक कार्रवाई जारी रहेगी इसपर सियासत होती रहेगी। अब देखने वाली होगी की महादेव सट्टा एप का मुद्दा उछाले जाने से चुनाव में किस राजनीतिक दल को फायदा होता है। क्या भारतीय जनता पार्टी 11 कमल के फूल खिलाएगी या फिर कांग्रेस अपनी पकड़ लोकसभा सीटों पर जमाएगी।