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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में प्राचार्यों के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रमोशन के आदेश जारी होने के बाद पोस्टिंग पर लगी रोक हटा दी है। प्राचार्य पदोन्नति फोरम के साथ ही प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं।
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इन याचिकाओं में बताया गया था कि, पहले कोर्ट के आदेश के बावजूद कई शिक्षकों को प्राचार्य पद पर प्रमोशन देकर ज्वॉइन करा दिया गया। सुनवाई के बाद जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने इस पर फैसला सुसक्षित रख लिया था। जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को आदेश जारी किया। पोस्टिंग के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने इसे कोर्ट की अवमानना का मामला माना। शुरुआती सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक की गई सभी ज्वॉइनिंग को अमान्य कर दिया था।
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बीएड की अनिवार्यता को दी थी चुनौती
इस मामले में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में बीते 11 जून से 16 जून तक सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने बहस के दौरान बीएड डिग्री को प्राचार्य पद के लिए जरूरी बताया। इसके अलावा, उन्होंने माध्यमिक स्कूलों के प्रधान पाठकों से लेक्चरर बने शिक्षकों की वरिष्ठता का मुद्दा भी उठाया।
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सरकार की कोर्ट से दलील
हाईकोर्ट में लगाई गई याचिकाओं का एक मामला साल 2019 से जुड़ा हुआ है। जबकी दूसरी याचिकाएं 2025 में बीएड और डीएलएड योग्यता से संबंधित हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि प्रमोशन के नियम को लेकर सभी कैटेगरी के शिक्षको के हितों का ध्यान रखा गया है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गई है।
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FAQ
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