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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सिटी बसों की हालत ठीक नहीं है। नगर निगम धड़ल्ले से शहर में एसी बस स्टॉप तो बनवा रहा है । लेकिन सवाल यह है आखिर इन बस स्टॉप पर आखिर यात्री किन बसों का इंतजार करेंगे। क्योंकि वर्तमान स्थिति में निगम के पास सिटी बसों की संख्या घटकर महज 36 रह गई है। उसमें से भी महज 25 बसें ही सड़कों पर दोड़ रही हैं। क्योंकि इन बसों को ऑपरेट करने वाली कंपनी का कहना है कि, उन्हें कुछ बसें रिजर्व में रखनी पड़ती हैं।
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ई बसें मिलने का इंतजार
रायपुर की आबादी 18 लाख है और इस हिसाब से शहर की यात्रियों की सुगम आवाजाही के लिए कुल 720 बसों की जरूरत है। इसके अनुपात में जो बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं। उनकी संख्या 5 फीसदी से भी कम है। केंद्र सरकार की ओर से रायपुर समेत देश के कई शहरों में ई-बस सेवा शुरू की गई है। लेकिन देश में कुछ गिनी-चुनी कंपनियां ही हैं जो ई बसें बनाती हैं। ऐसे में जानकारी के मुताबिक रायपुर में अभी ई बसें आने में छह महीने से एक साल का भी वक्त लग सकता है।
क्या हैं विकल्प
सड़क पर सिटी बसों की कमी की सूरत में लोगों को ई रिक्शा के साथ ही एप संचालित ऑटो और बाइक टैक्सी या फिर कैब पर निर्भर रहना पड़ता है। शहर में ज्यादातर लोग ई रिक्शा, ऑटो या फिर बाइक टैक्सी का उपयोग करते हैं। ज्यादातर लोगों के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए यही सहारा है।
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ई रिक्शा बन रहे जाम की वजह
सिटी बसों की कमी की वजह से शहर में ई रिक्शा की भरमार हो गई है और इनकी बहुतायत संख्या जाम का कारण भी बन रही है। जिससे लोगों को काभी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
बाइक और ऑटो चालकों की मनमानी
सिटी बस नहीं मिलने की सूरत में लोग ई रिक्शा के बाद ऑनलाइन एप की ओर से संचालित बाइक टैक्सी और ऑटो पर निर्भर हैं। यह सुविधा तो बहुत ही अच्छी है। इससे एक क्लिक के जरिए बाइक, ऑटो या फिर कार कस्टमर के दरवाजे तक पहुंच रही है। वहीं इसका दूसरा पहलू भी है, जिससे ग्राहक की जेब ढीली हो रही है। जब भी कोई ग्राहक एप के जरिए बाइक और ऑटो बुक करता है और अगर ग्राहक की डेस्टीनेशन दूर है तो ऐसे में ज्यादातर मामलों में बाइक राइडर या फिर ऑटो ड्राइवर की ओर से बिल के अलावा एक्सट्रा रुपयों की डिमांड की जाती है। जब उनसे यह पूछा गया कि आखिर वो ऐसा करते क्यों हैं। तो उनकी दलील रहती है कि कंपनी की ओर से उनसे राइट मुहैया कराने के एवज में कमिशन चार्ज किया जाता है। जिस वजह से उनकी जेब में पूरे रुपए नहीं आते। पेट्रोल और दूसरे खर्चों की वजह से वो एक्सट्रा डिमांड करने को मजबूर हैं।
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कितना कमीशन चार्ज करती हैं कंपनियां
बाइक, ऑटो और कार मुहैया कराने वाली कंपनियां अपने राइडर से कितना कमीशन चार्ज करती हैं। इसकी कोई ठोस जानकारी तो नहीं है। लेकिन राइडर से बात करने पर पता चाल कि कुछ कंपनियां अपने राइडर से राइड का 20 से 30 फीसदी कमीशन चार्ज करती हैं। तो कुछ कंपनियां सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम करती हैं। जिसका चार्ज 9 से 29 रुपए प्रति दिन होता है।
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नहीं है कोई सुनवाई
ग्राहक अगर किसी राइडर की शिकायत इन ऐप के कस्टमर केयर से करता है तो उसकी कोई सुनवाई नहीं होती । एक तो शहर में सिटी बसों की कमी और ऊपर से टैक्सी के ड्राइवरों की ओर से एक्ट्रा डिमांड। इससे ग्राहक की जेब ढीली हो रही है। रायपुरवासियों को इंतजार उस रोज का है जब केंद्र सरकार की ओर से नई एसी बसें रायपुर पहुंचेंगी और उन्हें यातायात की सुगम सुविधा मिलेगी।
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