RAIPUR. लोकसभा चुनाव के लंबे समय बाद प्रदेश में कांग्रेस की बड़ी हार की समीक्षा बैठक होने जा रही है। हार का कारण जानने पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली रायपुर आ रहे हैं। ये समीक्षा बैठक चार दिन यानी 28 जून से 1 जुलाई तक होने वाली है। पीसीसी को इस समीक्षा बैठक में भारी हंगामें की आशंका है। कार्यकर्ताओं में बड़े नेताओं के प्रति नाराजगी है जो इस बैठक में खुलकर सामने आ सकती है।
यही कारण है कि पीसीसी ने अकेले रायपुर की जगह बिलासपुर और कांकेर में भी लोकसभावार बैठकें रखी हैं। इन बैठक में शामिल होने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की सूची भी बहुत कांट छांट कर बनाई गई है। वीरप्पा मोइली से वन टू वन चर्चा का मौका सिर्फ उम्मीदवार, विधायक, जिला अध्यक्ष और महापौरों को दिया गया है। बाकी ब्लॉक अध्यक्षों, पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं से संयुक्त बैठक में बात होगी।
4 दिन में 3 जगह होगी 11 लोकसभाओं की बैठक
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। यही कारण है कि समीक्षा बैठक भी बड़ी होने जा रही है। यह मैराथन बैठक चार दिनों तक चलेगी सिर्फ बैठकों का स्थान बदलता जाएगा। 28 जून को रायपुर में बैठक होगी। इस दिन वीरप्पा मोइली वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगे जिनमें प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत समेत अन्य वरिष्ठ नेता होंगे। इसके बाद रायपुर लोकसभा की समीक्षा बैठक की जाएगी और उसके बाद महासमुंद के नेताओं के साथ बात होगी। 29 जून को बिलासपुर में बिलासपुर, जांजगीर चांपा, सरगुजा, रायगढ और कोरबा लोकसभा सीट के नेताओं को बुलाकर मीटिंग की जाएगी। कोरबा सीट कांग्रेस जीती है लेकिन वहां के नेताओं को भी बुलाया जा रहा है। 30 जून को कांकेर में कांकेर और बस्तर की हार पर चर्चा होगी। 1 जुलाई को फिर से रायपुर में राजनांदगांव और दुर्ग की हार की समीक्षा की जाएगी।
हंगामे के कारण बदली गईं जगह
दरअसल, इस बैठक की पूरी रुपरेखा पीसीसी संगठन ने हंगामें को देखते हुए ही बनाई है। यदि सारी बैठक रायपुर में रखते तो ज्यादा हंगामा होता और यह खबरें प्रमुखता से मीडिया में आतीं। इसीलिए 11 लोकसभा क्षेत्रों को तीन जगह में बांटकर बैठक बुलाई गई है। हंगामा होने का इनपुट संगठन के पास है। क्योंकि संगठन के पास हार के कारणों को लेकर कई चिट्ठियां आई हैं और रोजाना नेताओं की आवाजाही लगी है। कई नेताओं ने संगठन प्रभारी मलकीत सिंह गेंदू के सामने अपनी खुलकर नाराजगी जाहिर की है।
यही कारण है कि इन बैठकों में शामिल होने वाले नेताओं की संख्या सीमित करने की कोशिश की गई है। इसकी बाकायदा एक केटेगरी बनाई गई है। इस केटेगरी में उम्मीदवार, विधायक, जिला अध्यक्ष, महापौर और वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। इस केटेगरी के अलावा पार्टी पदाधिकारियों और ब्लॉक अध्यक्षों को भी बुलाया जा रहा है। इससे नीचे के नेताओं की बैठकों में शामिल होने की मनाही है।
वीरप्पा मोइली सभी नेताओं से वन टू वन चर्चा करना चाहते थे लेकिन उनसे सिर्फ उम्मीदवार, विधायक और जिलाध्यक्ष ही वन टू वन मिल सकते हैं। सूची में पहले जोड़े गए ब्लॉक अध्यक्ष से नीचे के नामों को हटा दिया गया है। पार्टी संगठन के सूत्रों के अनुसार कार्यकर्ता बड़े नेताओं से नाराज हैं। पांच साल की सरकार में जो उनकी उपेक्षा हुई है इसलिए वे गुस्से में भरे हुए हैं और ये गुस्सा बिना फूटे शांत नहीं हो सकता।
तय होगी नेताओं की जिम्मेदारी
वीरप्पा मोइली इन बैठकों में हार के कारणों को जानेंगे। सभी उम्मीदवारों और विधायकों से उनके दो सवाल रहेंगे। एक तो क्यों हारी कांग्रेस और दूसरा इसका जिम्मेदार आपको क्यों न माना जाए। मोइली इस हार की जिम्मेदारी भी बड़े नेताओं पर तय करने वाले हैं। इसके अलावा संगठन में बदलाव की बात भी की जाएगी। पीसीसी अध्यक्ष को भले ही न बदला जाए लेकिन उनकी कार्यकारिणी और संगठन के ढांचे में अमूलचूल परिवर्तन होने वाला है। कई जिला अध्यक्षों को भी बदला जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व खासतौर पर उन विधायकों पर नाराज है जिनकी विधानसभा सीट पर बीजेपी को लीड मिली है उनकी जिम्मेदारी भी तय होने वाली है।
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इन कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में बीजेपी को मिली लीड
- भूपेश बघेल- पाटन
- देवेंद्र यादव- भिलाई नगर
- कवासी लखमा- कोंटा
- अंबिका मरकाम- सिहावा
- संगीता सिन्हा- संजारी बालौद
- कुंवर सिंह निषाद- -गुंडरदेही
- चातुरी नंद- सराईपाली
- जनक ध्रुव- बिंद्रानवागढ़
- द्वरकाधीश यादव- खल्लारी
- ओमकार साहू- धमतरी
- यशोदा निलांबर वर्मा- खैरागढ़
- हर्षिता स्वामी बघेल- डोंगरगढ़
- दलेश्वर साहू- डोंगरगांव
- विद्यावती सिदार- लैलूंगा
- उत्तरी गनपत जांगड़े- सारंगढ़
- उमेश पटेल- खरसिया
- लालजीत सिंह राठिया- धरमजयगढ़
- राघवेंद्र कुमार सिंह- अलकतरा
- व्यास कश्यप- जांजगीर चांपा
- चरणदास महंत- सक्ती
- रामकुमार यादव- चंद्रपुर
- संदीप साहू- कसडोल
- अटल श्रीवास्तव- कोटा
- दिलीप लहरिया- मस्तूरी
- इंद्र साव- भाटापारा
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वीरप्पा मोइली इन चार दिनों में समीक्षा बैठक की डिटेल रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंपेंगे। इसके बाद राहुल गांधी संगठन के बदलाव पर मुहर लगाएंगे।
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