लोकायुक्त ने दिए थे भ्रष्टाचार के मामलों में 12 अफसरों पर कार्रवाई के आदेश, विभागों में दबी फाइलें

भ्रष्टाचार में हुई कार्रवाई पर हैरान करने वाला मामला सामने आया है। लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार मामले में अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। विभागों में ये फाइलें दबी मिली हैं।

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Amresh Kushwaha
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भ्रष्टाचार की कार्रवाई में भ्रष्टाचार
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CG Corruption cases : छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में भ्रष्टाचार में हुई कार्रवाई पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। प्रदेश के 7 विभागों में भ्रष्टाचार की 11 फाइलें दबी मिली हैं।

आपको बता दे कि ये वो फाइलें हैं, जिन्हें लोक आयोग ( लोकायुक्त ) ने भ्रष्टाचार, गड़बड़ी पाए जाने के बाद उन पर 3 महीने में कार्रवाई के आदेश दिए थे।

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इसमें से 3 मामलों में विभाग ने अपने स्तर पर जांच कराकर मामले को निपटा लिया। वहीं, 7 मामलों में 12 अफसरों को लिप्त पाया और ये फाइलें अब भी दबी हुई हैं।

एक फाइल तो 10 साल से दबी हुई है, बाकी पांच 7 सालों से दबी हैं। इसमें से कुछ अफसर तो रिटायर हो गए और कुछ पदोन्नति पाकर आगे बढ़ गए हैं।

आयोग का कहना है कि हम तो पत्राचार करते रहते हैं, लेकिन कार्रवाई विभाग को करनी है। वहीं विभाग इस मामले पर चुप्पी साधे है।

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इन मामलो में विभागों ने साधी चुप्पी

  • 2015 में तहसीलदार आरबी देवांगन की शिकायत पर दो साल बाद 29 दिसंबर 2017 को आयोग ने सचिव राजस्व विभाग को बताया कि वे दोषी हैं, उन पर कार्रवाई करें। इस संबंध में आयोग 33 बार पत्र लिख चुका है, लेकिन विभाग संज्ञान ही नहीं ले रहा।
  • 2016 में दुर्ग के तत्कालीन खनिज अधिकारी एनएल सोनकर को भ्रष्टाचार का दोषी पाया। सोनकर ने पद का दुरुपयोग करते हुए खदान निरस्त करने की सिफारिश की थी। आयोग ने 21 मार्च 2018 से अब तक सचिव खनिज संसाधन विभाग को 19 बार पत्र लिखा। आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
  • 2016 में राजनांदगांव पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता एसवी पडेगांवकर की शिकायत में 3 जनवरी 2019 को दोषी पाया। उन्होंने बिना निविदा के 13.76 लाख रुपए के सर्वे यंत्र खरीदे थे। आयोग ने अपर सचिव पीडब्ल्यूडी को कार्रवाई के लिए 25 बार लिखा, पर अब तक कार्रवाई नहीं।
  • 2013 में कांकेर के तत्कालीन परिक्षेत्राधिकारी रामसेवक बट्टी के भ्रष्टाचार की शिकायत हुई। 6 साल जांच के बाद 24 अप्रैल 2019 में आयोग ने दोषी पाया और प्रमुख सचिव वन विभाग को कार्रवाई के लिए 23 बार कहा, पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई।
  • 2015 में बलरामपुर राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक डीके राय की शिकायत हुई। 28 जनवरी 2020 में आयोग ने राय को दोषी पाया और प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को 10 बार पत्र लिखा, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
  • 2019 में जांजगीर चांपा के ग्राम पंचायत सकरेली के सचिव चमरूराम खैरवार पर गंभीर अनियमितता के आरोप लगे। 31 मार्च 2023 को आयोग ने खैरवार को दोषी पाया और सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को 6 बार कार्रवाई के लिए लिखा। अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विभागों में दबी फाइलें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग {स्कूल शिक्षा {वन विभाग {पीडब्ल्यूडी {खनिज साधन विभाग {राजस्व विभाग।

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आयोग ने ठहराया दोषी, विभाग की जांच में निकले पाक

2013 में कोरबा वनमंडल के तत्कालीन परियोजना अधिकारी आरके सिदार फर्जी मजदूरी को लेकर राशि गबन का आरोप लगा। लोकायुक्त ने 19 अप्रैल 2017 को दोषी पाया।

सिदार पर कार्रवाई के लिए आदेश भी जारी किए। 7 साल बाद विभाग ने जांच बैठाई। उन्हें बरी कर दिया।

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2010 में दुर्ग के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मैनेजर एवं अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन और सीईओ डीआर साहू के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की गई।

उन पर 68 कर्मियों की भर्ती में प्रत्येक से 3 लाख रुपए वसूलने के आरोप थे। चार साल जांच करने के बाद 4 सितंबर 2014 को आयोग ने उन्हें दोषी पाते हुए पंजीयक सहकारी संस्था को कार्रवाई करने के लिए 28 बार पत्र लिखा। 18 जुलाई 2023 को विभागीय जांच में वे दोषमुक्त कर दिए गए।

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