संजीवनी एक्सप्रेस के ठेका में हो रहा बड़ा खेला, नए टेंडर को तीसरा बताकर चहेती एजेंसी को किया ओके

छत्तीसगढ़ में दवा खरीदी में भारी घोटाले के लिए कुख्यात छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन में एक और बड़े घोटाले की तैयारी की जा रही है। यह घोटाला है संजीवनी 108 के ठेका देने का।

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Arun Tiwari
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Raipur. छत्तीसगढ़ में दवा खरीदी में भारी घोटाले के लिए कुख्यात छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन में एक और बड़े घोटाले की तैयारी की जा रही है। यह घोटाला है संजीवनी 108 के ठेका देने का। कार्पोरेशन ने अपनी चहेती एजेंसी का टेंडर पास करने के लिए सारे नियम बदल डाले।

यह मसला द सूत्र ने पहले भी उठाया है। अब हम आपको इस नई गड़बड़ी की एक एक परतें खोलकर बता रहे हैं। दो टेंडर रद्द करने के बाद मेडिकल कार्पोरेशन ने तीसरा नया टेंडर निकाला। इस टेंडर में एक एक शर्तें ऐेसी थी जो चहेती कंपनी के लिए ही बनाई गई थीं। मेडिकल कार्पोरेशन ने इसे तीसरा टेंडर बताया जबकि यह नया टेंडर था क्योंकि दो बार प्रक्रिया पूरी हुई ही नहीं और कार्पोरेशन ने उसे रद्द कर दिया।

इस नए टेंडर में एक ही बोलीदाता कंपनी आई जोकि कार्पोरेशन चाहता था। इस एक ही बोलीदाता को एलिजिबिल मानते हुए प्रक्रिया पूरी करने के लिए आगे बढ़ा दी गई। यानी पूरे रास्ते पर रेड कार्पेट बिछाते हुए अपनी चहेती कंपनी की संजीवनी एक्सप्रेस दौड़ा दी गई। 

एक और बड़े घोटाले की तैयारी ?

सबसे पहले आपको बताते हैं दवा खरीदी में महाघोटाला करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन के कारनामे।  
साल 2020 - दवाओं की खरीद में 500 करोड़ की अनियमितता, सीबीआई जांच
साल 2022 - चहेती दवा सप्लाई कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर में हेराफेरी

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इसके बाद भी सीजीएमएससी को प्रदेश में महिलाओं की जान सुरक्षित करने के लिए चलाई जाने वाली 108 संजीवनी एक्सप्रेस के लिए टेंडर का जिम्मा सौंप दिया गया। कार्पोरेशन ने अपनी चहेती एजेंसी को ये ठेका देने के लिए पिछले आठ महीने में तीन बार टेंडर निकाला गया और टेंडर प्रक्रियाओं को रद्द किया गया।

हर बार नियम बदल बदल कर सिर्फ एक कंपनी ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेस को फायदा पहुंचाया गया। पहले टेंडर में इस एजेंसी को कम नंबर मिले और दूसरी कंपनी को ज्यादा नंबर मिले तो कार्पोरेशन ने यह टेंडर कैंसिल कर दिया। दूसरे टेंडर में नियम बदल दिए गए जिस पर दूसरी कंपनियों ने आपत्ति जताई।

कार्पोरेशन ने इस दूसरे टेंडर को भी रद्द कर दिया। तीसरे टेंडर की सारी शर्तें इस कंपनी के मुताबिक थीं जिसमें सिर्फ इसी एजेंसी ने टेंडर डाला। एक टेंडर होने के बाद भी इस बोलीदाता को ओके कर दिया। यह शिकायत सीएम तक पहुंच गई है और जल्द ही यह मामला अदालत पहुंचने वाला है।

वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि यदि इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया तो वे यह मामला कोर्ट लेकर जाएंगे। दो टेंडर रद्द किए गए इसलिए तीसरे टेंडर को नया टेंडर माना जाएगा। इसमें सिंगल बोलीदाता को टेंडर नहीं दिया जा सकता। यह जनता के 150 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का मामला है।  
बाइट : उचित शर्मा रिष्ठ पत्रकार

यह है तीन टेंडरों की कहानी :   

- पहला टेंडर : पहला टेंडर 9 अप्रैल 2025 को निकाला गया। इसमें 15 बोलीदाताओं ने प्री-बिड मीटिंग में हिस्सा लिया और शर्तों पर आपत्ति जताई, लेकिन CGMSC ने सभी को नजरअंदाज कर दिया। केवल 5 बोलीदाताओं ने हिस्सा लिया। तकनीकी मूल्यांकन में 92 अंक पाने वाली CAMP प्रथम, EMRI Green 87 अंक के साथ द्वितीय और Jai Ambey 78 अंक के साथ तृतीय रही। CAMP को अनुबंध मिलना तय था। लेकिन वित्तीय बोलियां खोलने से पहले CGMSC ने “तकनीकी कारणों” का हवाला देकर निविदा रद्द कर दी। 

- दूसरा टेंडर : दूसरा टेंडर 11 जुलाई 2025 को निकाला गया। CGMSC ने शर्तें इस तरह बदलीं कि खास कंपनी को सीधा फायदा पहुंचे। ये शर्तें केवल खास कंपनी के अनुकूल थीं। 7 संस्थाओं ने प्री-बिड में आपत्ति जताई, लेकिन विभाग द्वारा सभी की आपत्ति अनसुनी कर दी गई। केवल खास कंपनी ने सिर्फ बोली लगाई। फिर से 22 सितंबर 2025 को निविदा रद्द कर दी गई।

- तीसरा टेंडर 24 सितंबर 2025 को बुलाया गया। इसमें EMRI Green को फायदा पहुंचाने वाली शर्तें रखी गईं। 8 संस्थाओं ने प्री-बिड में आपत्ति जताई, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ। 16 अक्टूबर 2025 को केवल EMRI Green ने बोली लगाई। इस कंपनी के अनुरूप बनाई गई नियम और शर्तों ने बाकी कंपनियों को बोली लगाने से बाहर कर दिया गया। CGMSC अब एकमात्र बोली को स्वीकार कर इसको ठेका देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है। जबकि नए टेंडर में सिंगल बिडर की बोली नहीं खोली जाती और फिर से टेंडर बुलाया जाता है। 

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इस तरह बदली गईं शर्तें : 

अनुभव - पांच साल के लिए 5 नंबर और 10 साल के लिए 10 नंबर तय कर दिए गए। 
टर्नओवर - 150-175 करोड़ के टर्न ओवर को 5 नंबर और 200 करोड़ से उपर 10 नंबर।
500 एंबुलेंस तक 7 मार्क जबकि 1000 एंबुलेंस पर 20 नंबर।
1-3 प्रोजेक्ट पर 2 से 6 मार्क जबकि 5 प्रोजेक्ट पर 10 नंबर। 

अनुभव के अंक बदले गए, टर्नओवर की सीमा 150 करोड़ से बढ़ाकर 200 करोड़ कर दी गई, 1001 एम्बुलेंस का एकल अनुबंध चलाने पर 15 अतिरिक्त अंक और 50 एम्बुलेंस प्रति अनुबंध जैसे नियम जोड़ दिए गए।

ये सारी शर्तें देश में केवल ईएमआरआई के पास थीं। सात बड़ी कंपनियों ने प्री-बिड में लिखित रूप से बताया कि ये केवल एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए हैं, फिर भी एक शब्द नहीं बदला गया।

क्या कहता मेडिकल कार्पोरेशन : 

छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के अध्यक्ष दीपक म्हस्के कहते हैं कि संजीवनी 108 का टेंडर नियमानुसार किया गया है। यह तीसरा टेंडर है जिसमें एक बोलीकर्ता को भी टेंडर दिया जा सकता है। फिर भी यदि टेंडर प्रक्रिया के संबंध में कोई शिकायत करता है तो उसकी जांच कराई जाएगी।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि पहले टेंडर के दस्तावेज के कुछ खंड में अस्पष्टता और विसंगति के कारण उसे निरस्त किया गया। दूसरे टेंडर में एक ही बोलीकर्ता होने के कारण रद्द किया गया। तीसरे टेंडर में कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

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