खटारा 108 एम्बुलेंस बिगाड़ रही अस्पताल जा रहे मरीज की हालत

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था में कसावट के सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और संजीवनी क्लीनिक के नए- नए भवन बनाने पर जोर दे रहा विभाग एम्बुलेंस की बदहाली दूर करना ही भूल गया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था में कसावट के सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और संजीवनी क्लीनिक के नए- नए भवन बनाने पर जोर दे रहा विभाग एम्बुलेंस की बदहाली दूर करना ही भूल गया है। हालत ये है कि आपात स्थिति में मरीजों की जीवन रक्षक बनने वाली एम्बुलेंस अब जोखिम बढ़ा रही हैं।

खस्ताहाल एम्बुलेंस न तो तेज गति से दौड़ पा रही हैं और न ही उनमें मरीजों के लिए जरूरी उपकरण और दवाएं ही उपलब्ध हैं। एम्बुलेंसों की बदहाली की स्थिति अधिकारियों के निरीक्षण में भी सामने आ चुकी। इस अनदेखी के बीच अब ग्वालियर जिले में निरीक्षण के दौरान 108 एम्बुलेंस ही नहीं जननी एक्सप्रेस वाहनों में खामियों की भरमार पाई गई है। एम्बुलेंस वाहनों की निरीक्षण रिपोर्ट नेशनल हेल्थ मिशन को भेजी गई है। 

करोड़ों का बजट फिर भी नहीं सुधार

मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 108 एम्बुलेंस और जननी एक्सप्रेस वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। प्रदेश में 108 एम्बुलेंस की संख्या 606 है जबकि 396 संजीवनी एम्बुलेंस भी चल रही हैं। इनके अलावा प्रसूता महिलाओं के लिए 1050 जननी एक्सप्रेस वाहन दौड़ रहे हैं। इन आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा वाहनों का संचालन छत्तीसगढ़ की कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज के पास है।

कंपनी के इमरजेंसी सेवा वाहन 2019 से चल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर वाहन अब खस्ता हालत में पहुंच चुके हैं। खटारा एम्बुलेंस वाहन कई बार मरीजों को अस्पताल ले जाते समय बंद होने के भी मामले सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य विभाग कंपनी पर वाहनों को दुरुस्त कराने का दबाव नहीं बना पा रहा है। इस वजह से खस्ताहाल वाहन मरीजों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं।

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अधिकारियों के सामने एम्बुलेंस की बदहाली 

कबाड़ हालत में पहुंच गए 108 एम्बुलेंस वाहनों की शिकायतें लगातार एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग तक पहुंच रही हैं। इसके बावजूद अधिकारी चुप्पी साधे हैं। जिला स्तर पर निरीक्षण में भी इन आपातकालीन वाहनों की बदहाली सामने आती रही है लेकिन इनकी हालत नहीं सुधर पाई है। गुरुवार 6 नवम्बर को ग्वालियर जिले में दौड़ रहे एम्बुलेंस वाहनों की बदहाली की पोल एक बार फिर अधिकारियों के सामने आई है। दरअसल बार-बार की जा रही शिकायतों के बाद अधिकारी इन वाहनों की सुध लेने निकले थे। 

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मरीज से ज्यादा एम्बुलेंस को इलाज की दरकार

स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी आईपी निवारिया को निरीक्षण में कई 108 एम्बुलेंस बदहाली की स्थिति में मिली। बारादरी पाइंट पर खड़ी 108 एम्बुलेंस में न तो आपात स्थिति में मरीज की जान बचाने वाले पूरे उपकरण थे न ही जीवन रक्षक दवाएं। इस एम्बुलेंस के गेट भी खराब और जाम थे। इस आपातकालीन वाहन पर कंपनी द्वारा जिस ईएमटी यानी इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन को तैनात किया गया था वह भी प्रशिक्षित नहीं था। यानी मरीज को जरूरत पड़ने पर ईएमटी उसकी जीवनरक्षा के तरीके ही नहीं जानता था। मरीजों से ज्यादा इस एम्बुलेंस को ही इलाज की जरूरत है। 

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टायर घिसे, स्टेपनी खराब, रस्सी से बंधा गेट

निरीक्षण दल को जिला अस्पताल मुरार की जननी एक्सप्रेस की हालत भी ठीक नहीं दिखी। प्रसूति के लिए अस्पताल और प्रसव के बाद घर ले जाने वाले इन वाहनों को संक्रमण मुक्त रखने वाला लिक्विड खराब हो चुका था। यही नहीं वाहन के टायर घिसे हुए थे और स्टेपनी भी खराब थी। जिस गेट से महिला और नवजात बच्चों को वाहन में चढ़ाया या उतारा जाता है वह भी क्षतिग्रस्त मिला। इसे रस्सी से बांधकर काम चलाया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज और लक्ष्मीगंज पाइंट के जननी एक्सप्रेस वाहनों की हालत भी दुरुस्त नहीं पाई गई। 

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एनएचएम को भेजी एम्बुलेंस की जांच रिपोर्ट

नोडल अधिकारी द्वारा 108 एम्बुलेंस एवं जननी एक्सप्रेस वाहनों की जांच रिपोर्ट सीएमएचओ डॉ.सचिन श्रीवास्तव को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर सीएमएचओ ने कंपनी प्रबंधक गोपाल नेगी को वाहनों को दुरुस्त करने के निर्देश देते हुए प्रतिवेदन एनएचएम भेजा है। हांलाकि इससे पहले भी एम्बुलेंस वाहनों की बदहाली की जानकारी मिशन और स्वास्थ्य विभाग को भेजी जा चुकी है। ऐसे में इस नई रिपोर्ट पर कार्रवाई को लेकर असमंजस बना हुआ है। सरकार करोड़ों रुपए एम्बुलेंस के संचालन पर खर्च कर रही है लेकिन प्रदेश में मरीजों को इन वाहनों में भी जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।  

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