परिवहन चेक पॉइंट व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

परिवहन विभाग के चेक पोस्टों पर वसूली की शिकायतों के बाद सरकार ने व्यवस्था में बदलाव किया था। सरकार के आदेश के बाद सीमाओं पर 1 जुलाई से परिवहन चेक पोस्ट खत्म किए जा चुके हैं। उनके स्थान पर विभाग द्वारा चेक पाइंट की व्यवस्था लागू की गई है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. परिवहन विभाग की चेक पाइंट व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने परिवहन विभाग को नोटिस जारी कर पूछा है कि चेक पॉइंट व्यवस्था लागू करने से राजस्व वसूली में क्या सुधार आया है। इसके साथ ही नई व्यवस्था से बदलाव की जानकारी भी हाईकोर्ट ने मांगी है। 

चेक पाइंट व्यवस्था में असहयोग

परिवहन विभाग के चेक पोस्टों पर वसूली की शिकायतों के बाद सरकार ने व्यवस्था में बदलाव किया था। सरकार के आदेश के बाद प्रदेश की सीमाओं पर 1 जुलाई से परिवहन चेक पोस्ट खत्म किए जा चुके हैं। उनके स्थान पर विभाग द्वारा चेक पॉइंट की व्यवस्था लागू की गई है।

 इसी नई व्यवस्था को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने परिवहन विभाग की चेक पॉइंट व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। याचिका में कहा गया है कि चेक पोस्ट बंद होने से कई लोगों के आर्थिक हित प्रभावित हुए हैं। इस वजह से चेक पोस्ट व्यवस्था को बेहतर दिखाने चेक पॉइंट पर असहयोग कर रहा है।

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परिवहनकर्मियों के हितों पर असर

मध्य प्रदेश में चेक पॉइंट व्यवस्था से व्यक्तिगत कमाई पर पड़ रहे असर के बाद इसे निष्प्रभावी बनाने की कोशिशें शुरू हो गई है। जिससे कि सरकार पुरानी चेक पोस्ट व्यवस्था को फिर शुरू कर दे। इसी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका पेश कर चेक पॉइंट पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि चेक पॉइंट पर वाहनों की ओवरलोडिंग की जांच प्रभावित हो रही है। 

विभाग की राजस्व वसूली भी प्रभावित हुई है। वहीं परिवहनकर्मियों को भी चेक पोस्ट व्यवस्था का पक्षधर बताया गया है। याचिका के बिंदुओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने नई व्यवस्था लागू होने के बाद आए बदलाव और राजस्व वसूली का ब्यौरा मांगा है। 

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याचिका के पीछे परिवहन अमला

हाईकोर्ट में चेक पॉइंट व्यवस्था के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी। फिलहाल याचिका के पीछे परिवहन विभाग के मैदानी अमले की भूमिका की चर्चा है। कहा जा रहा है चेक पोस्ट से परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को तगड़ी कमाई होती थी। चेक पोस्ट पर वाहन मैदानी अमले के नियंत्रण में होता था। इस वजह से दबाव में आए वाहन चालकों से वसूली आसानी से हो जाती थी। 

चेक पॉइंट व्यवस्था में वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। अब हाईवे पर ही वाहन की जांच करनी पड़ रही है। खुली सड़क पर जांच होने से मैदानी अमला ट्रांसपोर्टरों से अवैध वसूली भी नहीं कर पा रहा है। इसी वजह से विभाग के अधिकारियों के इशारे पर चेक पॉइंट व्यवस्था को असफल करने की साजिश की जा रही है। 

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