शिक्षा के हाल : छत्तीसगढ़ के स्कूलों में 47 हजार टीचर की जगह खाली, भ्रष्टाचार में फंसे 20 जिला शिक्षा अधिकारी

छत्तीसगढ़ के बीस जिला शिक्षा अधिकारी यानी डीईओ पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इन सब हालातों के बीच सरकार स्कूलों में बच्चों का तिलक कर प्रवेशोत्सव मना रही है, लेकिन सवाल है कि बच्चे कैसे कहें कि स्कूल चलें हम...

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Arun Tiwari
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शिक्षा के हाल : प्रदेश में नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है, लेकिन स्कूल शिक्षा की हालत खस्ता है। हाल ही में सीएम ने स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक लेकर इस स्थिति को चिंताजनक बताया। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में 47 हजार से ज्यादा शिक्षकों की जगह खाली है। सरकार शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर पा रही है। अब जाकर करीब 10 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की तैयारी की गई है। प्रदेश में 30 हजार प्रायमरी स्कूल हैं जिनमें से आधे के पास या तो भवन नहीं है या फिर बिल्डिंग जर्जर हालत में है। चिंताजनक बात एक और है। जिले में शिक्षा व्यवस्था का संचालन करने वाले अफसरों पर ही सवाल खड़े हुए हैं। बीस जिला शिक्षा अधिकारी यानी डीईओ पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इन सब हालातों के बीच सरकार स्कूलों में बच्चों का तिलक कर प्रवेशोत्सव मना रही है, लेकिन सवाल है कि बच्चे कैसे कहें कि स्कूल चलें हम।  

स्कूलों को 47 हजार शिक्षकों की दरकार  

प्रदेश में 48 हजार 547 सरकारी स्कूल हैं। इनमें 1 लाख 76 हजार 689 टीचर हैं। यानी औसतन एक स्कूल पर तीन टीचर आते हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 47 हजार 400 पद खाली हैं। यानी स्कूलों को 47400 शिक्षकों की दरकार है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार व्याख्याता के 9424 और शिक्षकों के 10676 पद खाली हैं। इसी तरह सहायक शिक्षकों के 27200 पद रिक्त हैं। रायपुर में 1256 पद, बिलासपुर में 2159 पद, राजनांदगांव में 1705 पद, दुर्ग में 633 पद और सीएम के जशपुर में 1373 शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं।

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प्रायमरी स्कूल जर्जर

प्रदेश में प्रायमरी स्कूलों की संख्या 30776 है। इनमें आधे से ज्यादा यानी 15833 स्कूल ऐसे हैं कि किसी में बिल्डिंग नहीं है तो किसी में कैंपस नहीं है तो कोई स्कूल अब गिरे के तब गिरे की स्थिति में हैं। इनमें राजधानी रायपुर में 171 स्कूल, बिलासपुर में 527 स्कूल, राजनांदगांव में 216, दुर्ग में 70 स्कूल तो सीएम के जशपुर में सबसे ज्यादा 1012 स्कूलों की हालत बद से बदतर है। 

भ्रष्टाचार में फंसे 20 डीईओ

प्रदेश के स्कूलों की हालत कैसे बेहतर होगी जब जिला शिक्षा अधिकारी ही भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे हैं। इनमें से कुछ रिटायर हो गए तो कुछ को सस्पेंड कर दिया गया। बाकी पर विभागीय जांच चल रही है और वे नौकरी कर रहे हैं। 

इन डीईओ पर भ्रष्टाचार के आरोप...

जांजगीर चांपा : केएस तोमर, रिटायर, विभागीय जांच 
आरोप : अनुकंपा नियुक्ति में अनियमितता, अनुदान प्राप्त संस्थाओं में भर्ती में अनियमितता, आरटीई में अनियमितता

बेमेतरा : मधुलिका तिवारी, प्रकरण शासन स्तर पर लंबित

बिलासपुर : पी दासरथी, विभागीय जांच लंबित
आरोप : अपात्रों को अनुकंपा नियुक्ति

बालोद : आरएल ठाकुर, प्रकरण शासन स्तर पर लंबित
आरोप : अनुकंपा नियुक्ति में अनियमितता

राजनांदगांव : हेतराम सोम, प्रकरण शासन स्तर पर लंबित
आरोप : अनुकंपा नियुक्ति में अनियमितता

रायपुर : जीआर चंद्राकर, रिटायर, प्रकरण शासन स्तर पर लंबित
आरोप : आरटीई फंड में अनियमितता

गरियाबंद : गोपाल तांडेय, निलंबित, रिटायर
आरोप : बिना अनुमति के सामग्री की खरीद

बस्तर : राजेंद्र झा, निलंबित
आरोप : नियम विरुद्ध भृत्यों की नियुक्ति

कोंडागांव : राजेश मिश्रा, निलंबित
आरोप : नियम विरुद्ध नियुक्तियां

कोरबा : सतीश कुमार पांडेय, दो वेतनवृद्धि रोकी गई
आरोप : प्रश्नपत्रों की दो बार छपाई कराकर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया

गरियाबंद : डीएस चौहान, विभागीय जांच
आरोप : आर्थिक लेनदेन

बलौदाबाजार : सीएस ध्रुव, विभागीय जांच
आरोप : पदोन्नति में गड़बड़ी

बलौदाबाजार : आरके शर्मा, जांच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन

सूरजपुर : विनोद राय, जांच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन

जशपुर : जेके प्रसाद, जांच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन

कांकेर : आरके मिरे, निलंबित
आरोप : पदोन्नति प्रक्रिया का पालन नहीं

कोंडागांव : अशोक पटेल, निलंबित
आरोप : पदस्थापना में अनियमितता

शिक्षा के हाल छत्तीसगढ़ के स्कूल