बच्चों को छत्तीसगढ़िया होने का प्राउड फील कराएगी सरकार, 15 साल बाद प्राइमरी के कोर्स में लौटेगी सहायक वाचन

छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिए एक नया कदम उठाया है। 15 साल बाद प्राइमरी शिक्षा में सहायक वाचन को फिर से जोड़ा जाएगा। इससे बच्चे अपनी लोककला, इतिहास, और परंपराओं से जुड़ेंगे।

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Arun Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ सरकार स्कूली शिक्षा को बेहतर करने के लिए नए नए कदम उठा रही है। सरकार ने अब एक और बड़ा फैसला लिया है। अब स्कूली बच्चों को छत्तीसगढ़ कनेक्ट कराया जाएगा। सरकार बच्चों को छत्तीसगढ़िया होने का प्राउड फील कराएगी। इसके लिए बच्चों के कोर्स में 15 साल बाद फिर से सहायक वाचन किताब शामिल होने जा रही है।

सबसे पहले ये प्राइमरी के बच्चों के कोर्स में शामिल होगी। सहायक वाचन में छत्तीसगढ़ की संस्कृति,परंपराएं, इतिहास,महान नायक और बोली से जुड़ी कहानियां और पाठ होंगे। सहायक वाचन तैयार करने पर काम शुरु हो गया है।     

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

दूसरे राज्यों के लोगों में अपने मराठी,गुजराती और बंगाली होने पर गर्व होता है। अब उसी तरह छत्तीसगढ़ के बच्चों में भी उसी तरह के गर्व का भाव पैदा किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार नई पीढ़ी को छत्तीसगढ़िया, सबले बढ़िया का प्राउड फील कराएगी। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एक बड़े बदलाव से गुजरने वाला है।

पूरे 15 साल बाद सहायक वाचन एक बार फिर से किताबों में लौट रहा है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसके लिए किताबों का चयन शुरू कर दी है। आने वाले नए सत्र से कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को सहायक वाचन पढ़ाई जाएगी। इसके जरिए बच्चे अपनी संस्कृति, नैतिक मूल्यों और व्यक्तित्व विकास कर सकेंगे।

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छत्तीसगढ़ी पहचान और संस्कृति से जुडे़ मामले को ऐसे समझें 

सहायक वाचन की वापसी: छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 साल बाद प्राइमरी शिक्षा के पाठ्यक्रम में सहायक वाचन को फिर से शामिल किया है।

संस्कृति और इतिहास से जुड़ी कहानियां: सहायक वाचन में छत्तीसगढ़ के इतिहास, लोककला, लोकसंगीत, और प्रमुख हस्तियों से जुड़ी कहानियाँ और पाठ होंगे।

नैतिक और सामाजिक विकास: शिक्षा विभाग का मानना है कि सहायक वाचन बच्चों में सामाजिक जागरूकता, अनुशासन और नैतिक मूल्यों का विकास करेगा।

राज्य के प्रमुख स्थल और हस्तियां: सहायक वाचन में राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल, जैसे राम वन गमन पथ, और महान व्यक्तित्वों जैसे वीरनारायण सिंह और पं. रविशंकर शुक्ल का परिचय भी शामिल किया जाएगा।

पाठ्यक्रम का एक समान लागू होना: यह पाठ्यक्रम सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों में समान रूप से लागू किया जाएगा, जिससे सभी बच्चे अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ सकेंगे।

बच्चे जानेंगे अपनी लोककला,संगीत और महान इतिहास 

छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग का मानना है कि बच्चों को केवल विषय-ज्ञान देना पर्याप्त नहीं है। नैतिक मूल्यों, सकारात्मक सोच, व्यवहारिक समझ और सामाजिक दृष्टिकोण का विकास भी जरूरी है। विभाग का मानना है कि यही वह पहलू है, जिसकी कमी पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा प्रणाली में सामने आई थी।

सहायक वाचन की वापसी इसी कमी को दूर करने का प्रयास है। सहायक वाचन में शिक्षाप्रद कहानियां, प्रसंग, लोककथाएं और प्रेरक सामग्री शामिल होगी। जो बच्चों में संवेदनशीलता, अनुशासन, आपसी सहयोग, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करेगी।

अधिकारी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पुस्तकें बच्चों की समझ में आएं। हर बच्चे को अपनी संस्कृति और भाषा से जुड़ाव महसूस हो सकेगा। बच्चों को उनकी परंपरा और राज्य से जुड़ाव का अनुभव दिया जाएगा एससीईआरटी अधिकारी छत्तीसगढ़ की सामग्री पाठ्यक्रम में जोड़ रहे हैं।

इसमें वहां की भाषाएं, लोककला, और लोकसंगीत शामिल किए गए हैं। राज्य का इतिहास, त्योहार और जीवनशैली भी सरल ढंग से पढ़ाए जाएंगे। पहले इन विषयों का उल्लेख तो होता था, पर विशेष पढ़ाई नहीं होती थी।

बच्चों को भावनात्मक रुप से जोड़ने की कोशिश 

विशेषज्ञ मानते हैं कि आधुनिक ज्ञान और तकनीक आज बहुत आवश्यक हैं। साथ ही, लोकबोध और सांस्कृतिक समझ बच्चों को संतुलित बनाती है। यह समन्वय छात्रों के व्यक्तित्व विकास में अहम भूमिका निभाएगा। सहायक वाचन शामिल करने का बड़ा उद्देश्य भावनात्मक जुड़ाव है। बच्चे अपने समाज, परिवार और परिवेश से जुड़े रहें, यह लक्ष्य है। यह सामग्री उनका आत्मविश्वास बढ़ाएगी, ऐसा मानना विशेषज्ञों का है। उन्हें अपनी भाषा और पहचान पर गर्व महसूस होगा, यह सुनिश्चित है।

नए शैक्षणिक सत्र से पहले पुस्तकें पूरी तरह तैयार हो जाएंगी। विशेषज्ञ समिति के अनुमोदन के बाद इन्हें स्कूलों में लागू किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम सरकारी और निजी, दोनों स्कूलों में समान रहेगा। विभाग का दावा है कि बच्चों की भाषा क्षमता में सुधार होगा। पठन कौशल और विषयों की समझ में भी महत्वपूर्ण प्रगति दिखेगी।

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इन विषयों पर फोकस

  • छत्तीसगढ़ का समृद्ध इतिहास
  • खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय
  • राम वन गमन पथ जिसमें शबरीनारायण, लवकुश जन्म स्थली, राजीव लोचन, दंडकारण्य जैसे प्रमुख स्थल
  • राम का ननिहाल कौशल्या धाम
  • प्रदेश में 44 फीसदी वन क्षेत्र
  • वीरनारायण सिंह, हनुमान सिंह और पंडित रविशंकर शुक्ल जैसी प्रमुख हस्तियों का इतिहास
  • विनोद कुमार शुक्ल,गजानन माधव मुक्तिबोध और सुंदरलाल शर्मा जैसे साहित्यकारों का परिचय
  • तीजन बाई पहली पंडवानी लोक संगीत गायिका
  • आदिवासी संस्कृति
  • नृत्य और संगीत 
  • त्योहार और मेले
  • कला और शिल्प
  • धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल

सहायक वाचन में इन सब विषयों का समावेश होगा जिससे बच्चे छत्तीसगढ़ के विषय में विस्तार से जान सकें और गर्व से कहें कि वे छत्तीसगढ़िया हैं।

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