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Bhilai. छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर के सुपेला इलाके के फरीद नगर में एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। आतंकवाद विरोधी दस्ता (ATS) ने ISIS नेटवर्क से जुड़े होने के संदेह में चार और नाबालिगों से गहन पूछताछ की है। ये सभी किशोर उन दो नाबालिगों से जुड़े पाए गए थे जिन्हें पहले ATS ने पकड़ा था। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ये चारों किशोर पहले पकड़े गए दो नाबालिग संदिग्धों से संपर्क में थे। चौंकाने वाली बात ये है कि इस नेटवर्क से 100 से ज्यादा युवाओं के जुड़े होने की पुष्टि हुई है।
48 घंटे की पूछताछ के बाद परिजनों को सौंपा
छत्तीसगढ़ एटीएस बुधवार सुबह इन चारों नाबालिगों को पूछताछ के लिए ले गई थी और लगभग 48 घंटे की जांच के बाद, गुरुवार की रात उन्हें उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया। एटीएस अधिकारियों ने इन नाबालिगों से पूछताछ करने और उन्हें परिजनों को सौंपने की पुष्टि की है। यह कार्रवाई पूर्व में गिरफ्तार हुए किशोरों के संपर्क के आधार पर की गई।
हिंसक गेम और डार्क वेब था प्रमुख हथियार
जांच में सामने आया है कि पाकिस्तान से बैठे ऑपरेटर्स इस नेटवर्क को चला रहे थे। ये ऑपरेटर्स नाबालिगों को डिजिटल माध्यम से कट्टरपंथी बनाने में जुटे थे।
डिजिटल ट्रेनिंग: नाबालिगों को डार्क वेब, VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क), एन्क्रिप्टेड साइट्स और कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल करना सिखाया गया था ताकि वे अपनी गतिविधियों को गुप्त रख सकें।
नकली ट्रेनिंग: अधिकारियों के अनुसार, पहले पकड़े गए किशोरों को हिंसक ऑनलाइन गेम्स भेजे जाते थे। इन गेम्स में टास्क के नाम पर हमले जैसी गतिविधियों की नकली ट्रेनिंग दी जाती थी।
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बना रखा था 100+ लड़कों का ग्रुप
जांच में सबसे गंभीर और चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि पकड़े गए किशोर आतंकी संगठन के "ट्रेनिंग फेज" के अंतिम चरण में थे। वे भारत के खिलाफ नफरत और हिंसक विचारों से भर दिए गए थे और एक बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे। सबसे खतरनाक बात यह सामने आई है कि उन्होंने 100 से अधिक लड़कों का एक ऑनलाइन ग्रुप बना रखा था। एटीएस अब इस ग्रुप में जुड़े बाकी नाबालिगों की तलाश कर रही है, क्योंकि कई अन्य बच्चे अभी भी इस खतरनाक नेटवर्क के संपर्क में हो सकते हैं।
फॉरेंसिक जांच में मिले चौंकाने वाले सबूत
नाबालिगों के मोबाइल डेटा की फॉरेंसिक जांच में ATS को कई महत्वपूर्ण तकनीकी सबूत मिले हैं। इनमें शामिल हैं:
- दर्जनों कोड-वर्ड।
- हटा दी गईं (डिलीट की गई) चैट्स।
- संदिग्ध ग्रुप कॉल का रिकॉर्ड।
- भारी मात्रा में कट्टरपंथी कंटेंट।
दो साल से थी निगरानी, तकनीकी प्रमाण मिलते ही कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि एटीएस ने करीब दो साल पहले ही इन किशोरों की संदिग्ध गतिविधियों के चलते उनसे पूछताछ की थी। तब से उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर साइलेंट सर्विलांस (चुपके से निगरानी) जारी थी। जैसे ही तकनीकी प्रमाण पुख्ता हुए, एटीएस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन नाबालिगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।
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परिजनों को नहीं थी भनक
एटीएस के अनुसार, किशोरों के परिवारों को इन गतिविधियों की बिल्कुल जानकारी नहीं थी। बच्चों को पढ़ाई के लिए दिए गए मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट का इस्तेमाल ISIS नेटवर्क से संपर्क साधने और इंस्टाग्राम की फेक आईडी से नियमित चैट करने के लिए किया जा रहा था, जिन्हें बाद में डिलीट कर दिया जाता था।
यह मामला दिखाता है कि कैसे आतंकवादी संगठन युवाओं को निशाना बनाने के लिए डिजिटल साधनों, एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म और हिंसक ऑनलाइन गेम्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। फरीद नगर इलाके में एटीएस और स्थानीय पुलिस की जांच जारी है।
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