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Impact Feature
Raipur. कभी छत्तीसगढ़ का नाम सुनते ही दिमाग में पिछड़ेपन और नक्सली हिंसा की तस्वीर उभरती थी। 1 नवंबर 2000 को जब राज्य का गठन हुआ था, तब यहां बुनियादी ढांचा बेहद कमजोर था। राजधानी रायपुर तक पहुंचना आसान नहीं था। गांवों तक पक्की सड़कें भी गिनती की थीं। रेल नेटवर्क सीमित था और हवाई संपर्क लगभग न के बराबर।
25 साल बाद तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। आज छत्तीसगढ़ विकास की रफ्तार पर है। सड़कें गांवों को शहरों से जोड़ रही हैं, एक्सप्रेस-वे तेजी से बन रहे हैं। रेल नेटवर्क दोगुना होने की राह पर है और हवाई सेवाओं ने पूरे राज्य को नई उड़ान दी है। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश अब आधुनिक परिवहन अधोसंरचना की नई मिसाल पेश कर रहा है।
सड़कें बनीं विकास की धड़कन
वर्ष 2000 में जब राज्य बना, उस समय इसकी सबसे बड़ी चुनौती टूटी-फूटी सड़कें थीं। दूर-दराज के गांवों में पहुंचना कठिन था। खराब सड़कों की वजह से न तो उद्योग बढ़ पाते थे और न ही स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी सुविधाएं समय पर लोगों तक पहुंच पाती थीं।
इन 25 वर्षों में सड़क नेटवर्क में ऐतिहासिक विस्तार हुआ है। 2001-02 में जहां राज्य में सड़क नेटवर्क 35,389 किलोमीटर था, वहीं अब यह बढ़कर 1,79,000 किलोमीटर हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 2001-02 में 1,827 किलोमीटर थी, जो 2022-23 में बढ़कर 3,482 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है।
इसी तरह स्टेट हाईवे की लंबाई 2,074 किलोमीटर से बढ़कर 2025-26 तक 4,310 किलोमीटर तक पहुंच जाएगी। ग्रामीण सड़कों की लंबाई 28,393 किलोमीटर से 1,60,116 किलोमीटर हो गई है। इसका सीधा असर गांवों के जीवन पर दिख रहा है। किसानों को अब मंडी तक पहुंचने में आसानी होती है। बच्चों के लिए स्कूल और लोगों के लिए अस्पताल की दूरी घट गई है। कई जगह जो सफर पहले घंटों में तय होता था, अब मिनटों में पूरा हो रहा है।
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एक्सप्रेस-वे से कनेक्टिविटी में नई छलांग
राज्य में बड़े मार्गों को आधुनिक रूप दिया जा रहा है। रायपुर-दुर्ग, रायपुर-बिलासपुर और रायपुर-जगदलपुर जैसे मुख्य मार्ग अब फोर लेन और सिक्स लेन में तब्दील हो चुके हैं। रांची, हैदराबाद और विशाखापट्टनम से छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले एक्सप्रेस-वे पर तेजी से काम चल रहा है। इस काम के पूरा होते ही प्रदेश की सड़क कनेक्टिविटी को पंख लग जाएंगे।
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के लिए सड़क विकास कार्यों पर 20 हजार करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिये हजारों गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा गया है। राजधानी रायपुर में रिंग रोड और बायपास ने ट्रैफिक दबाव कम किया है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में सड़कें अब रीढ़ की हड्डी की तरह काम कर रही हैं।
पुल और पुलियों से हर मौसम में सुगम यात्रा
छत्तीसगढ़ नदियों और घने जंगलों वाला राज्य है। बरसात के समय में नदियां उफान पर होती थीं तो कई गांवों का संपर्क कट जाता था। शिक्षा, स्वास्थ्य और बाजार तक पहुंचना बड़ी चुनौती थी। पिछले दो दशकों में इस स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। महानदी, शिवनाथ, इंद्रावती, हसदेव और अरपा जैसी प्रमुख नदियों पर बड़े पुल बनाए गए हैं। बस्तर जैसे दुर्गम इलाकों में भी पुलों के निर्माण से गांव अब मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। छोटे पुल और पुलियों के चलते ग्रामीण इलाकों में परिवहन आसान हुआ है।
रेल नेटवर्क: खनिज संपन्न राज्य की जीवनरेखा
छत्तीसगढ़ को खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। लौह अयस्क, कोयला और बॉक्साइट जैसी धातुओं की ढुलाई के लिए रेल नेटवर्क बेहद अहम है। यही वजह है कि राज्य गठन के बाद रेलवे अधोसंरचना पर विशेष ध्यान दिया गया।
वर्ष 2014 तक राज्य में 1,100 किलोमीटर रेल रूट था। आने वाले पांच वर्षों में यह बढ़कर 2,200 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट में 6,925 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। फिलहाल 47 हजार करोड़ की लागत से कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
इन मेगा प्रोजेक्ट्स पर काम
रायपुर-विशाखापट्टनम और रायपुर-नागपुर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों से राज्य को तेज गति का लाभ मिल रहा है। रायपुर मेट्रो परियोजना का सर्वे अंतिम चरण में है, जिससे राजधानी क्षेत्र के यातायात को नया स्वरूप मिलने वाला है।
बस्तर संभाग के लिए रावघाट-जगदलपुर रेललाइन पर 3,513 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। यह 140 किलोमीटर लंबी लाइन बस्तर को रायपुर और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ेगी। कोत्तवलसा-किरंदुल सेक्शन के 170 किलोमीटर में से 148 किलोमीटर का दोहरीकरण हो चुका है।
तेलंगाना के कोठागुडेम से छत्तीसगढ़ के किरंदुल तक प्रस्तावित 160.33 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का सर्वे अंतिम चरण में है। इसमें से 138.51 किलोमीटर सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे पिछड़े जिलों से होकर गुजरेगा।
राजनांदगांव-नागपुर तीसरी लाइन, बिलासपुर-झारसुगुड़ा चौथी लाइन, खरसिया-धरमजयगढ़ नई लाइन और गौरेला-पेंड्रा रोड-गेवरा रोड जैसी परियोजनाओं पर डीपीआर तैयार किया जा रहा है।
आसमान से भी जुड़ा छत्तीसगढ़
जहां कभी छत्तीसगढ़ में हवाई सेवाएं बेहद सीमित थीं, अब वहीं इस क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया है। रायपुर का स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय दर्जा पा चुका है। यहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े शहरों के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
अंबिकापुर, बिलासपुर और जगदलपुर एयरपोर्ट के संचालन से सरगुजा और बस्तर जैसे इलाकों को भी हवाई मार्ग से जोड़ दिया गया है। इससे व्यापार और पर्यटन को नए अवसर मिले हैं। राज्य सरकार ने शहरी परिवहन को आधुनिक बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। रायपुर-भिलाई में सिटी बस, इलेक्ट्रिक बस और ई-रिक्शा सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। इंटरसिटी बस सेवाओं ने सभी जिलों को राजधानी और प्रमुख शहरों से जोड़ दिया है।
विकास का असर आम जिंदगी पर
छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा सिर्फ आंकड़ों में सीमित नहीं है। यह उन लाखों लोगों की कहानी है, जिनकी जिंदगी में असली बदलाव आया है। पहले जहां गांवों में पहुंचने में घंटों लगते थे, वहीं अब पक्की सड़कें और पुल यात्रा को आसान बना रहे हैं। किसानों के लिए फसल मंडी तक पहुंचाना सरल हुआ है। व्यापारियों को नए बाजार मिले हैं और उद्योगों के लिए खनिज परिवहन में गति आई है।
रेल नेटवर्क के विस्तार ने औद्योगिक उत्पादन को नई ताकत दी है और हवाई कनेक्टिविटी ने प्रदेश को देश के हर कोने से जोड़ दिया है। पर्यटन को भी नया आयाम मिला है। रायपुर, बस्तर और सरगुजा में यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
प्रदेश में एक्सप्रेस-वे और मेट्रो जैसी योजनाएं न सिर्फ सुविधाएं बढ़ा रही हैं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को नई दिशा दे रही हैं। गांव और शहर के बीच की दूरी सिमट गई है। लोग अब बेहतर अवसरों तक पहुंच बना पा रहे हैं।
कुल मिलाकर सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ अब उस दौर में पहुंच चुका है जहां विकास सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं है। गांवों से लेकर दूरदराज के अंचलों तक इसका असर दिखाई दे रहा है। आने वाले वर्षों में एक्सप्रेस-वे, मेट्रो और नई रेल लाइनों के जरिये यह राज्य देश के सबसे बेहतर कनेक्टिविटी वाले राज्यों में गिना जाएगा।
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