/sootr/media/media_files/2025/10/10/chhattisgarh-women-commission-controversy-kiranmayi-nayak-the-sootr-2025-10-10-13-10-19.jpg)
Raipur. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार विवाद आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और आयोग की तीन महिला सदस्यों लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी के बीच खुलकर सामने आया है। अध्यक्ष की ओर से कार्यरत निज सहायक (PA) अभय सिंह ने तीनों सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए हैं- जिनमें झूठे केस में फंसाने, बदनाम करने और राजनीतिक साजिश रचने जैसे दावे शामिल हैं।
शिकायत में क्या लिखा है?
अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सचिव को भेजी गई शिकायत में PA अभय सिंह ने बताया कि वे पिछले तीन साल से आयोग में काम कर रहे हैं, लेकिन तीनों सदस्य लगातार उन्हें अपमानित और धमकाते रहे। अभय सिंह के अनुसार, सदस्यों ने कहा- “दो कौड़ी के आदमी हो, हमारी सरकार है, झूठे केस में फंसा देंगे।”
उन्होंने लिखा कि जब उन्होंने राजनीतिक या व्यक्तिगत दबाव में काम करने से इनकार किया, तो उन्हें फंसाने की कोशिशें शुरू हो गईं।
25 हजार रुपए की रिश्वत का आरोप
तीनों सदस्यों ने आरोप लगाया था कि PA अभय सिंह ने बेमेतरा की दो महिलाओं से 25 हजार रुपए लिए, लेकिन अभय सिंह का कहना है कि यह पूरा आरोप झूठा और षड्यंत्र का हिस्सा है। उनका दावा है कि इन महिलाओं की कोई FIR या आधिकारिक शिकायत आयोग में दर्ज नहीं थी। बल्कि, आरोप है कि सदस्यों के इशारे पर पूर्व कर्मचारी राघवेंद्र साहू ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और महिलाओं के फर्जी हस्ताक्षर कर RTI फाइल की गई।
बदनाम करने की साजिश
अभय सिंह का कहना है कि RTI के जरिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर एक वकील और पत्रकार को दिए गए, जिनमें आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक के खिलाफ गलत बयान लिखे गए थे। बाद में जब यह बात संबंधित महिलाओं तक पहुंची, तो उन्होंने शपथपत्र देकर कहा कि उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी और न ही किसी को अधिकृत किया था।
भाजपा नेताओं को बचाने आयोग का दुरुपयोग
PA अभय सिंह ने एक और गंभीर दावा किया है कि तीनों सदस्य भाजपा नेताओं से जुड़े मामलों को दबाने की कोशिश करती हैं। उनके अनुसार, “कोरबा की चिटफंड कंपनी, नारायणपुर की जमीन कब्जा और रायगढ़ की सुनवाई जैसे मामलों में सदस्याओं ने पीड़ितों की जगह दोषियों का पक्ष लिया।”
उन्होंने कहा कि महिला आयोग को राजनीतिक अखाड़ा बना दिया गया है, और वे ईमानदारी से काम करने की वजह से निशाने पर हैं।
कर्मचारियों को धमकाने के आरोप भी शामिल
अभय सिंह ने आरोप लगाया कि आयोग में कई कर्मचारी सदस्यों के डर और दबाव में काम कर रहे हैं। यहां तक कि सचिव को भी खुलेआम कहा गया- “हमारी सरकार है, हमारे हिसाब से काम करो, नहीं तो नक्सली क्षेत्र भेज देंगे।” उन्होंने दावा किया कि फेसबुक लाइव आकर भी उन्होंने इन आरोपों को सार्वजनिक किया है।
ये खबर भी पढ़ें... ये खबर भी पढ़ें... राज्य महिला आयोग में नहीं अध्यक्ष इसलिए बेबस हैं पीड़ित महिलाएं
छत्तीसगढ़ महिला आयोग विवाद को 3 पॉइंट्स में समझेंअध्यक्ष बनाम सदस्याएं: शिकायत और पलटवार: राजनीति और दबाव के आरोप: |
दूसरी ओर क्या कह रही हैं आयोग की सदस्याएं?
महिला आयोग की तीनों सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी का कहना है कि “अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक आयोग को एकतरफा तरीके से चला रही हैं। किसी भी सुनवाई या निर्णय में हमें शामिल नहीं किया जाता।” उनका आरोप है कि सुनवाई में अनधिकृत लोग, जैसे अध्यक्ष के पति और निजी वकील, मौजूद रहते हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
ये खबर भी पढ़ें... किरणमयी नायक का बयान- लव अफेयर 7 साल चलता है, शादी 7 महीने भी नहीं टिकती
‘लोकतंत्र की भावना के खिलाफ काम कर रहा आयोग’
तीनों सदस्याओं ने प्रेसवार्ता कर बताया कि आयोग में नियमों का उल्लंघन, भ्रष्टाचार और पक्षपातपूर्ण कार्यशैली चल रही है। उनका कहना है कि वे इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल और विधि विभाग को रिपोर्ट सौंपेंगी और आवश्यकता पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगी।सदस्यों का यह भी कहना है कि आयोग के सचिव अभय सोनवानी किसी सवाल का जवाब नहीं देते और अध्यक्ष के प्रति अधिक जवाबदेह हैं, न कि पूरे आयोग के प्रति। उनके अनुसार, आय-व्यय और फाइलों की जानकारी मांगने पर सचिव टालमटोल करते हैं।
दोनों पक्ष आमने-सामने
अब यह विवाद (CG Women's Commission controversy) दो स्तरों पर चल रहा है- एक तरफ अध्यक्ष और उनके PA की शिकायत, जिसमें सदस्याओं पर साजिश और झूठे आरोपों की बात कही गई है। दूसरी तरफ सदस्याओं का पलटवार, जो अध्यक्ष पर एकतरफा फैसले और भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही हैं। इस पूरे घमासान से महिला आयोग की साख पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।