मुख्य सचिव अमिताभ जैन को न मिले एक्सटेंशन, बीजेपी के वरिष्ठ नेता की मोदी को गोपनीय चिट्ठी

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), केंद्रीय गृह मंत्री और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री (डीओपीटी) को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है, जिसमें मुख्य सचिव अमिताभ जैन को सर्विस एक्सटेंशन देने का विरोध किया है।

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Arun Tiwari
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Chief Secretary Amitabh Jain should not get extension, senior BJP leader sends confidential letter to Modi
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रायपुर : छत्तीसगढ़ के सत्ता के गलियारों में एक नई बहस छिड़ गई है। यह बहस छिड़ी है पीएम नरेद्र मोदी को लिखी गई एक गोपनीय चिट्ठी की वजह से। राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), केंद्रीय गृह मंत्री और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री (डीओपीटी) को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है, जिसमें मुख्य सचिव अमिताभ जैन को सर्विस एक्सटेंशन देने का विरोध किया है। 9 जून 2025 को लिखे सात पेज के इस गोपनीय पत्र में जैन के 31 जुलाई को होने वाले रिटायरमेंट के बाद भी उनके कार्यकाल को जारी रखने के किसी भी प्रस्ताव को अस्वीकार करने की बात कही गई है।

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अमिताभ जैन सबसे लंबी अवधि के सीएस 

1989 बैच के आईएएस अधिकारी अमिताभ जैन को नवंबर 2020 में तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली भूपेश बघेल सरकार में मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। दिसंबर 2023 में सत्ता परिवर्तन के बावजूद जैन पद पर बने रहे। इस गोपनीय पत्र में बीजेपी नेता ने जैन पर पिछली कांग्रेस सरकार के साथ बहुत निकटता से जुड़ने और व्यापक भ्रष्टाचार के सामने प्रशासनिक निष्क्रियता प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है। 9 जून, 2025 को लिखा गया यह पत्र उन अटकलों के बीच आया है कि  जब जैन के 31 जुलाई को होने वाले रिटायरमेंट का वक्त करीब आ गया है। जैन पहले से ही छत्तीसगढ़ में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य सचिव हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल पड़ी है कि 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने का सेवा विस्तार दिया जा सकता है। बीजेपी  के अपने ही खेमे के भीतर इस विरोध ने राजनीतिक बेचैनी बढ़ा दी है। 

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इस पत्र की मुख्य बातें :
बीजेपी नेता अपने पत्र में लिखते हैं कि यह व्यक्तित्व का मामला नहीं है, बल्कि शिष्टाचार का मामला है। छत्तीसगढ़ के लोगों ने स्वच्छ शासन के वादे पर बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए वोट दिया था। पिछली सरकार के कुकृत्यों को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देने वाले व्यक्ति को सेवा विस्तार देना विरोधाभासी संदेश देता है। पत्र में जैन को मुख्य सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान संबोधित की गई शिकायतों का जिक्र भी किया है। विशेष रूप से, इसमें आठ आधिकारिक पत्रों को सूचीबद्ध किया गया है। दिनांक 25 अप्रैल, 2023, 7 मार्च, 2024, 20 दिसंबर 2023, 13 अप्रैल 2024, 8 अप्रैल 2025, 22 अप्रैल 2025, 14 मार्च 2025, और 10 अप्रैल 2025 की तारीख है।  जिसमें उनसे कई वित्तीय घोटालों में कथित रूप से शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया गया है। बीजेपी नेता का आरोप है कि इन पत्राचारों का कोई जवाब नहीं दिया गया या उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि जानबूझकर निष्क्रियता अपनाई गई है। 

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चिट्ठी में चेतावनी :
गोपनीय पत्र में चेतावनी दी गई है कि जैन अब भूपेश बघेल सरकार द्वारा 2019-2023 तक किए गए विभिन्न घोटालों में निष्क्रियता और मिलीभगत के रिकॉर्ड के बावजूद कुछ सत्ता के दलालों के माध्यम से अपनी सेवानिवृत्ति की आयु से परे मुख्य सचिव के रूप में विस्तार प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। पत्र में हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार घोटालों से जुड़ी शिकायतों का घटनाक्रम बताया गया है- जिसमें 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से लेकर कोयला लेवी अनियमितताएं, खनन पट्टे में हेराफेरी और महादेव ऐप रैकेट शामिल हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि जैन की निष्क्रियता ने इन गिरोहों को पनपने में मदद की। पत्र में कहा गया है कि यह पैटर्न तत्कालीन पुलिस महानिदेशक और छत्तीसगढ़ कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक जुनेजा को दिए गए विस्तार से जुड़े पिछले विवाद से मिलता-जुलता है। यह एक ऐसा उदाहरण जिसे दोहराया नहीं जाना चाहिए।

कई योग्य अफसर मौजूद :
पत्र में तर्क दिया गया है कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रेणु पिल्ले, सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ जैसे योग्य उत्तराधिकारी हैं, जो जैन द्वारा कथित तौर पर ढोए जा रहे राजनीतिक बोझ के बिना प्रशासनिक जनादेश को कायम रख सकते हैं। पत्र में निष्कर्ष दिया गया है, यह केवल योग्यता का सवाल नहीं है, बल्कि सार्वजनिक धारणा और नैतिक स्पष्टता का भी सवाल है।इउल्लेखनीय रूप से, पत्र में किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत हमले से परहेज किया गया है, लेकिन इसमें चेतावनी भरा लहजा बरकरार रखा गया है। बीजेपी नेता ने आगे दावा किया कि जैन की निगरानी में संस्थागत जांच और संतुलन -विशेष रूप से राज्य आर्थिक अपराध जांच और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अपनी स्वायत्तता खो बैठे। कथित तौर पर एफआईआर को दबा दिया गया। मुखबिरों को दबा दिया गया। और बीजेपी पदाधिकारियों को निशाना बनाया गया। 

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