छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के मगरपारा स्थित भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) शाखा में एक बड़ा बीमा घोटाला सामने आया है। पांच पॉलिसीधारकों ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर एलआईसी से कुल 14 लाख रुपए का क्लेम ले लिया। इस मामले में एलआईसी के तीन एजेंटों की संलिप्तता उजागर हुई है, जिससे पूरे बीमा तंत्र पर सवाल खड़े हो गए हैं।
एलआईसी के शाखा प्रबंधक अलबन टोप्पो ने सिविल लाइन थाने में धोखाधड़ी की लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि मस्तूरी क्षेत्र के ओखर निवासी संतोषी साहू के नाम से तीन साल पहले बीमा पॉलिसी ली गई थी। इसके बाद संतोषी के पिता नंद कुमार साहू ने एलआईसी को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र पेश किया और एजेंट के माध्यम से 6 लाख रुपये का क्लेम ले लिया।
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दोबारा पॉलिसी ने खोल दी पोल
क्लेम लेने के कुछ समय बाद ही नंद कुमार साहू ने अपनी जीवित पुत्री संतोषी के नाम पर फिर से बीमा पॉलिसी खरीद ली। जैसे ही नई पॉलिसी के कागजात ऑफिस पहुंचे, अधिकारियों ने पुराने रेकॉर्ड से मिलान किया और यह फर्जीवाड़ा उजागर हो गया।
जांच में सामने आए और नाम
एलआईसी ने जब मामले की आंतरिक जांच कराई तो पता चला कि यह कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि संगठित रूप से किया गया बड़ा घोटाला था। जांच में सामने आया कि ममता पांडेय, बबला पांडेय, ईश्वर पांडेय, और शिवकुमार पांडेय इन चारों ने भी फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कर पांच से आठ लाख तक की बीमा राशि क्लेम की। बाद में इन सभी ने भी दूसरी बार बीमा पॉलिसी खरीदी, जिससे यह जालसाजी सामने आई।
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तीन बीमा एजेंटों की भूमिका संदिग्ध
मामले में तीन एलआईसी एजेंटों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है, जिनके जरिए फर्जी दस्तावेज जमा कर क्लेम की प्रक्रिया पूरी की गई। फर्जी दस्तावेजों की सत्यता की जांच किए बिना क्लेम पास कर देना एलआईसी की प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
पुलिस जांच शुरू
फिलहाल बिलासपुर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और सभी दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को शक है कि यह एक संगठित गिरोह का काम हो सकता है, जो राज्यभर में बीमा धोखाधड़ी कर रहा हो।
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LIC की साख पर सवाल
यह मामला एलआईसी जैसी प्रतिष्ठित संस्था की सुरक्षा और सत्यापन प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करता है। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के जरिए इस तरह से बड़ी राशि का क्लेम पास होना बीमा क्षेत्र में चौंकाने वाली लापरवाही को दिखाता है।
यह घोटाला सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि बीमा प्रणाली के प्रति लोगों के भरोसे पर हमला है। जरूरत है कि एलआईसी और प्रशासन मिलकर ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई करें और भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक सतर्कता बढ़ाएं।
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