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छत्तीसगढ़ के धरसींवा ब्लॉक में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां संकुल समन्वयक पूर्णमा वर्मा को सरकारी स्कूल की पाठ्यपुस्तकें कबाड़ी को बेचते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। यह घटना सांकरा के शासकीय स्कूल में हुई। स्थानीय ग्रामीणों ने पूर्णमा को अवैध रूप से किताबें बेचते हुए देखा तो उसे पकड़ लिया। इसका भी वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूर्णमा वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
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ग्रामीणों की सतर्कता के चलते मिली सफलता
पूर्णमा वर्मा संकुल समन्वयक के पद पर कार्यरत थीं। पूर्णमा सांकरा शासकीय स्कूल में सरकारी खर्चे पर बच्चों के लिए मुफ्त उपलब्ध कराई गई पाठ्यपुस्तकों को कबाड़ी को बेच रही थीं। ये किताबें सरकार द्वारा छात्रों के लिए निःशुल्क वितरण के लिए भेजी गई थीं। ग्रामीणों की सतर्कता के चलते पूर्णमा को किताबें बेचते हुए पकड़ा गया। मौके पर पहुंचे शाला विकास समिति के अध्यक्ष नोहर वर्मा ने तुरंत उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी।
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वायरल वीडियो ने बढ़ाया दबाव
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला और गंभीर हो गया। वीडियो में पूर्णमा को कबाड़ी के साथ किताबें बेचते हुए स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस वीडियो ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया। लोगों ने सवाल उठाया कि जब सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए मुफ्त किताबें उपलब्ध कराती है, तो ऐसी हरकतें क्यों हो रही हैं?
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DEO ने की त्वरित कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल ने तुरंत एक्शन लिया। उन्होंने बताया कि पूर्णमा वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, इस मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। खंडेलवाल ने कहा, "यह घटना अत्यंत निंदनीय है। हम इसकी तह तक जाएंगे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"
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ग्रामीणों की सतर्कता की सराहना
ग्रामीणों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने इस मामले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शाला विकास समिति के अध्यक्ष नोहर वर्मा ने कहा, "हमारी कोशिश है कि स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले। ऐसी घटनाएं शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं। हमने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया ताकि कार्रवाई हो सके।"
जांच पर टिकी नजरें
इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर ऐसी घटनाएं कैसे हो रही हैं और क्या अन्य स्कूलों में भी इस तरह की अनियमितताएं चल रही हैं। जांच टीम को इस मामले की गहराई से पड़ताल करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। यह मामला न केवल शिक्षा विभाग के लिए एक सबक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जनता की जागरूकता और सतर्कता सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग को रोकने में कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। फिलहाल, जांच के नतीजों का इंतजार है, और यह देखना बाकी है कि इस मामले में और क्या खुलासे सामने आते हैं।
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