प्रदेश की विष्णु सरकार कई ऐसे काम कर रही है जो चौंका रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नए पैटर्न पर काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के ठेकेदारों की दुकानें बंद कर दी है। प्रदेश के वे सारे ठेके जो खरीदी,निर्माण या फिर सप्लाई से जुड़े हैं,वे सभी केंद्र के हाथों में सौंपे जा रहे हैं। इस तरह के काम प्रदेश की एजेंसियों से लेकर केंद्रीय एजेंसियों को सौंपे जा रहे हैं।
यह फैसला दलाली रोकने या इन कामों में भ्रष्टाचार के लूप होल्स बंद करने को लेकर है तब तो ठीक है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इससे खास किस्म के ठेकेदारों को फायदा तो नहीं होगा। खास किस्म के ठेकेदार यानी बड़े अफसरों और मंत्रियों से जुड़े लोग जो केंद्रीय एजेंसियों में भी रजिस्टर्ड होते हैं। कारण कुछ भी हो लेकिन सिस्टम ठीक करने का विष्णु का ये तरीका कई लोगों को रास नहीं आ रहा है।
लूप होल या भ्रष्टाचार की पोल
प्रदेश में सरकारी खरीदी हो या फिर निर्माण का ठेका या फिर सरकारी सामान की सप्लाई का काम। यह सभी काम ठेके पर होते हैं। यह काम अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के जरिए ठेकेदारों से कराए जाते हैं। लेकिन इन कामों में ही भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल होता है। मोटे कमीशन के इस खेल में ठेकेदारों और अफसरों का गठजोड़ रहता है।
क्वालिटी से समझौता होता है और इस गठजोड़ से जुड़े लोगों की जेबें भरती हैं। पिछली सरकार में दवा खरीदी का मामला हो या फिर शराब,कोयला या कस्टम मिलिंग का मामला, सभी में अफसरों और ठेकेदारों के हाथ काले हुए हैं। लेकिन अब प्रदेश की नई सरकार का अपनी एजेंसियों से भरोसा उठ गया है। अब यह सारा काम केंद्र की एजेंसियां करेंगी। सीएम विष्णुदेव साय ने इस तरह का सारा काम केंद्रीय एजेंसियों को सौंप दिया है।
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केंद्र के हाथों में प्रदेश का ठेका
नान का ठेका नाबार्ड को : नान यानी नागरिक आपूर्ति निगम। नान के पास अनाज सप्लाई का ठेका होता है। यह अनाज सप्लाई गरीबों के राशन के लिए होती है। प्रदेश में हुआ नान घोटाला राष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियां बना था। नान प्रदेश सरकार की एजेंसी है तो नाबार्ड केंद्र सरकार की एजेंसी। अब अनाज सप्लाई का काम नान की जगह नाबार्ड करेगा। यहां पर एक पेंच भी है। नाबार्ड अपने पंजीकृत ठेकेदारों से यह काम करवाएगा लेकिन उन रजिस्टर्ड ठेकेदारों में आला अफसरों और मंत्रियों से जुड़े ठेकेदार भी शामिल होते हैं। तो कहीं यह अपने ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए तो नहीं क्योंकि यहां सारा खेल कमीशन का है। सवाल तो उठता है।
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पीडब्ल्यूडी का काम एनबीसीसी करेगा
निर्माण से जुड़े काम पीडब्ल्यूडी के हिस्से में आते हैं। लेकिन अब यह काम केंद्रीय एजेंसी एनबीसीसी यानी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन के जिम्मे हो गया है। जेल में बैरकों का निर्माण होना है। अब यह काम पीडब्ल्यूडी से लेकर केंद्रीय एजेंसी एनबीसीसी को दे दिया गया है। इतना ही नहीं एनबीसीसी को एडवांस में पैसा भी दे दिया गया है।
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सीएसआईडीसी का काम जैम पोर्टल से
सरकारी सामान या उपकरणों की सारी खरीदी अब केंद्र सरकार के जैम पोर्टल से होगी। इसके बाकायदा आदेश भी जारी हो चुके हैं। सरकारी खरीदी में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है। कैबिनेट ने इसको मंजूरी भी दे दी है। पहले यह खरीदी का काम काम राज्य सरकार की एजेंसी सीएसआईडीसी यानी राज्य औद्योगिक विकास निगम करता था लेकिन अब यह काम जैम पोर्टल से होगा। पेंच यहां पर भी है। जैम में भी बड़ा स्कैम होता है। इसमें ऐसी शर्तें हैं जो मंत्री,अफसरों से जुड़े बड़े ठेकेदार ही पूरी करते हैं। यानी नियम और कमीशन दोनों की पूर्ति।
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चिप्स की जगह टीसीपी
प्रदेश में इन दिनों आईटी पर खूब काम हो रहा है। मंत्रालय में भी ई गवर्नेंस काम करने लगी है। नोटशीट भी अब ऑनलाइन लिखी जाने लगी है। प्रदेश में साफ्टवेयर से जुड़ा सारा काम राज्य की एजेंसी चिप्स यानी छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसायटी। राज्य में आईटी विकास और ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी के रुप में काम करती रही है। लेकिन अब यह काम केंद्रीय एजेंसी टीसीपी के जिम्मे हो गया है।
शराब के होलोग्राम भी केंद्रीय एजेंसी से
देशी/विदेशी मदिरा बोतलों पर चस्पा किये जाने के लिए Excise Adhesive Label (Hologram) होलोग्राम में अधिक सुरक्षात्मक फीचर्स उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के उपक्रम भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, नासिक रोड (महाराष्ट्र) से होलोग्राम खरीदने का फैसला लिया गया है। इसको कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई है।
प्रदेश में हो चुके हैं बड़े घोटाले
पहले इन सभी कामों में राज्य की एजेंसियां शामिल रही हैं। और बड़े बड़े घोटाले भी सामने आ चुके हैं। शराब घोटाले में नकली होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया। यह सभी यहीं के ठेकेदारों ने तैयार किए थे। नान घोटाला तो पूरे देश में चर्चित रहा है। नान ने गरीबों के राशन की सप्लाई में ही घोटाला कर दिया।
दवा खरीदी में मेडिकल कार्पोरेशन ने दो रुपए की चीज दो हजार रुपए में खरीदी। कस्टम मिलिंग घोटाले में सरकारी अफसरों और ठेकेदारों की बड़ी भूमिका रही है। कोयला घोटाले में हाथ काले करने वाले सभी अफसर जेल के अंदर हैं। सीएम विष्णुदेव साय ने सुशासन के लिए यह फैसला तो किया है लेकिन इसमें जो पेंच सामने आ रहे हैं उनको भी कसना होगा नहीं तो यह भी सिर्फ सरकारी फैसला बनकर रह जाएगा। इस फैसले से कई लोगों की नींद उड़ी हुई है।