जमीन से ज्यादा कागजों पर दौड़ा विष्णु का सुशासन, मोदी में ही लगी सरकार

CM Vishnudev Sai government one year tenure : सीएम की मंशा जरूर बहुत अच्छी होगी, लेकिन उनका सुशासन जमीन से ज्यादा कागजों पर दौड़ता दिखाई दिया। सुशासन सांय सांय चला, लेकिन सिर्फ कागजों पर।

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Arun Tiwari
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CM Vishnudev Sंai government one year tenure 2024 the sootr

CM Vishnudev Sai government one year tenure :  मुख्यमंत्री के तौर पर विष्णुदेव साय ने एक साल पूरा कर लिया है। ठीक एक साल पहले 13 दिसंबर को ही साय ने सीएम पद की शपथ ली थी।

शपथ लेने के साथ ही छत्तीसगढ़ में कुछ नए शब्द राजनीतिक फिजा में नजर आए। पहला था विष्णु का सुशासन यानी गुड गवर्नेंस। दूसरा था सांय सांय सरकार यानी तेजी से काम करने वाली सरकार। एक साल के कार्यकाल में इन दोनों शब्दों का बहुत ज्यादा असर नजर नहीं आया।

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ये माना जा सकता है कि सीएम की मंशा जरूर बहुत अच्छी होगी, लेकिन उनका सुशासन जमीन से ज्यादा कागजों पर दौड़ता दिखाई दिया। सुशासन सांय सांय चला, लेकिन सिर्फ कागजों पर। वहीं साल भर सरकार सिर्फ मोदी की गारंटी पूरी करने में लगी रही। जो कुछ चुनाव के दौरान मोदी फैला गए थे विष्णुदेव साय साल भर वही समेटते रहे। आइए आपको बताते हैं कि एक साल में अपने मापदंडों पर कितना खरा उतरा साय का सुशासन और उनका शासन। 

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सुशासन को नाम में नहीं काम में उतारो सरकार 

क्या छत्तीसगढ़ में सुशासन है। इस सवाल के जवाब में शायद ही कोई आम आदमी पहली बार में हां बोले। सीएम विष्णुदेव साय कहते हैं कि सुशासन शब्द रामराज से आया है। तो क्या छत्तीसगढ़ में विष्णु, रामराज चला रहे हैं। सवाल बड़ा है और गंभीर भी। हमने जानकारों से इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश की तो उत्तर मिला कि सीएम ने सुशासन को प्रशासन के कामकाज में उतारने की कोशिश बहुत की लेकिन यह सिर्फ कागज पर ही उतर पाया।

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पूर्व नौकरशाह सुशील त्रिवेदी कहते हैं कि सुशासन की नींव पारदर्शिता, जवाबदेही, जिम्मेदारी और डेडलाइन में काम होते हैं। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है इस पर सवाल उठता है। जब तक सुशासन आम आदमी के जीवन को प्रभावित न करे तब तक उसके होने न होने के कोई मायने नहीं होते।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उचित शर्मा कहते हैं कि कैसा सुशासन,हम एक साल बाद किस सुशासन की बात कर रहे हैं। अधिकारी फोन नहीं उठाते, आवेदनों की भरमार लगी रहती है और दिव्यांगों तक को आंदोलन करना पड़ रहा है तो फिर सुशासन कहां है। तो आखिर विष्णुदेव साय किस सुशासन की बात कर रहे हैं। 

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अब घोषणा नहीं डिलेवर करने का समय 

एक साल बीत गया और आखिरी का एक साल चुनावी साल होता है। यानी अब सरकार के पास सिर्फ तीन साल का समय है, जिसमें सिर्फ घोषणा नहीं उनको अमल में लाने यानी डिलेवर करने के लिए सरकार को काम करना होगा। सीएम को सुशासन कागजों से जमीन पर लाना होगा ताकि आम आदमी पर उसका असर पड़ सके।

आइए आपको बताते हैं कि सुशासन के लिए उठाए गए कदम और उसकी स्थिति....

ये है विष्णु का सुशासन 

जनदर्शन : सीएम ने हर गुरुवार को जनदर्शन कार्यक्रम शुरु किया। इसमें जनता सीधे सीएम को अपनी समस्या का आवेदन दे सकती थी। लेकिन जनदर्शन दो तीन बार हुआ और हर बार किसी न किसी कारण से स्थगित हो रहा है। 

शिकायतों का अंबार : सरकार के पास आवेदनों का अंबार लग गया। छोटे से छोटे काम यहां तक कि राशन कार्ड तक बनवाने के आवेदन सीएम के पास आ रहे हैं तो फिर प्रशासन क्या कर रहा है।  

समस्या निवारण शिविर : सरकार ने वॉर्ड तक जाकर लोगों की मौके पर ही समस्याएं दूर करने के लिए शिविर लगाए लेकिन आधे से ज्यादा समस्याएं सिर्फ आवेदन बनकर रह गईं। 

अपराध पर जवाबदेही तय : सीएम ने कलेक्टर_एसपी कान्फ्रेंस बुलाई। इस कान्फ्रेंस में साफ साफ कह दिया कि अपराधों के लिए जिले के एसपी_कलेक्टर जवाबदेह होंगे। लेकिन पिछले एक साल से अपराध सांय_सांय चल रहा है। 

जिले में प्रभारी सचिव : आईएएस को एक-एक जिले की जिम्मेदारी सौंपी। उनसे मंत्रालय से निकलकर तक जिलों में जाने को कहा गया है। इससे पहले भी सीएम यह प्रयोग कर चुके हैं लेकिन उनका नतीजा कुछ नहीं मिला। 

सिंगल विंडो सिस्टम : उद्योगों को लगाने के लिए नई उद्योग नीति लाई गई। इस नीति में सिंगल विंडो सिस्टम की बात की गई। लेकिन उद्योग विभाग में आवेदनों का अंबार लगा है। लोगों को उद्योग लगाने के लिए जमीन ही नहीं मिल पा रही। 

दिव्यांगों का आंदोलन : अपनी मांगों को लेकर दिव्यांग सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर हैं। इस समय सुशासन कहां चला गया। 

तीजन बाई की सुध नहीं : छत्तीसगढ़ का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर करने वाली पद्म पुरस्कार से सम्मानित पंडवानी गायिका तीजन बाई इस समय मुश्किल में हैं लेकिन उनकी सुध कोई नहीं ले रहा। महीने से उनको पेंशन तक नहीं मिली है। 

ऑनलाइन ठेके : बड़े-बड़े ठेके ऑनलाइन कर दिए गए हैं ताकि पारदर्शिता रहे लेकिन इनसे आम आदमी का क्या असर पड़ रहा है। 

तबादलों में मंत्री का नाम : राजस्व विभाग के थोकबंद तबादले हुए। इन तबादलों में राजस्व मंत्री तक का नाम आ गया। एक तहसीलदार ने आरोप लगाया कि मंत्री ने पैसे लेकर तबादले किए हैं। 

फैसलों के नाम पर महज मोदी की गारंटी 

 एक साल में सरकार ने जितने भी फैसले लिए हैं उनमें से अधिकांश मोदी की गारंटी से जुड़े रहे हैं। 13 दिसंबर को विष्णुदेव ने सीएम की शपथ ली थी और 14 दिसंबर 2023 को पहली कैबिनेट बैठक ली गई है। इसमें सिर्फ मोदी की गारंटी से जुड़े फैसले लिए गए] जिनको लोकसभा चुनाव तक पूरे कर लिए गए।

इनमें महतारी वंदन योजना, किसानों को बोनस की राशि, किसानों की धान खरीदी की अंतर की राशि, तेंदूपत्ता की ज्यादा मूल्य पर खरीदी और 18 लाख पीएम आवास देने जैसी मोदी की गारंटी को पूरा कर दिया गया। यानी सरकार पूरे साल भर मोदी की गारंटी पूरी करने में ही लगी रही। अभी भी वही सिलसिला जारी है। 3100 रुपए में धान खरीदी मिस मैनेजमेंट का शिकार हो गई है। सीएम एक साल की अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। 

 

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