कोबरा जवानों ने 10 लाख के इनामी नक्सली कमांडर अमित हांसदा को मार गिराया

छत्तीसगढ़-झारखंड में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इसी क्रम में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक बड़े ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने 10 लाख रुपये के इनामी कुख्यात नक्सली कमांडर अमित हांसदा उर्फ अपटन को मार गिराया।

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Krishna Kumar Sikander
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Cobra jawans killed Naxal commander Amit Hansda who had a bounty the sootr
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छत्तीसगढ़ और झारखंड में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के नाक में दम कर रखा है। सुरक्षा बलों की ताबड़तोड़ करवाई से घबराकर जंगलों में भी लगातार ठिकाना बदल रहे हैं। इस बीच झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन में भाकपा (माओवादी) के कुख्यात जोनल कमांडर अमित हांसदा उर्फ अपटन को मार गिराया। उस पर झारखंड सरकार ने 10 लाख रुपये का इनाम रखा था।

यह मुठभेड़ गोइलकेरा थाना क्षेत्र के रेलापराल जंगल और बुरजूवा पहाड़ी के पास हुई। इसके बाद छत्तीसगढ़ से सटे सीमावर्ती इलाकों में सर्च अभियान को और तेज कर दिया गया है। इस ऑपरेशन को नक्सल विरोधी अभियानों में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, जिसने माओवादी संगठन के मनोबल को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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मुठभेड़ की पूरी कहानी

पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि चाईबासा के गोइलकेरा थाना क्षेत्र के रेलापराल जंगल में नक्सलियों का एक बड़ा समूह किसी बड़े हमले की योजना बना रहा है। इस जानकारी के आधार पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कोबरा इकाई, झारखंड पुलिस, और अन्य सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने रविवार सुबह 6:30 बजे एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया।

जैसे ही सुरक्षा बल जंगल में पहुंचे, नक्सलियों ने उन पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने भी तुरंत जवाबी कार्रवाई की और दोनों ओर से भीषण गोलीबारी हुई। कोबरा कमांडो और झारखंड पुलिस की भारी जवाबी फायरिंग के दबाव में नक्सली पीछे हटने लगे और घने जंगल का सहारा लेकर भागने की कोशिश की। इस दौरान जोनल कमांडर अमित हांसदा मुठभेड़ में मारा गया।

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मुठभेड़ खत्म होने के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया, जिसमें हांसदा का शव बरामद हुआ। उसके पास से एक सेल्फ-लोडिंग राइफल, कारतूस, माओवादी पर्चे, और अन्य सामग्री भी जब्त की गई। 

कौन था अमित हांसदा?

अमित हांसदा उर्फ अपटन भाकपा (माओवादी) का एक प्रमुख जोनल कमांडर था, जो पिछले एक दशक से पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, और खूंटी जिलों में सक्रिय था। वह कई हिंसक वारदातों, सुरक्षा बलों पर हमलों, सड़क निर्माण और सरकारी परियोजनाओं में बाधा डालने, और लेवी वसूली जैसे मामलों में वांछित था। उसकी गतिविधियों ने क्षेत्र में लंबे समय तक तनाव बनाए रखा था।

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झारखंड सरकार ने उसकी गिरफ्तारी या जानकारी के लिए 10 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। पुलिस के अनुसार, हांसदा का मारा जाना माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह संगठन की रणनीति और ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। उसकी मौत से क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगने की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ सीमा पर सतर्कता बढ़ाई गई

चाईबासा मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर सर्च अभियान को और तेज कर दिया है। यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, और घने जंगल होने के कारण नक्सली अक्सर यहां छिपने और हमले की योजना बनाने के लिए आते हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे सीमावर्ती जिलों में भी सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, ताकि भागे हुए नक्सलियों को पकड़ा जा सके।

पिछले कुछ महीनों में झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी आई है। हाल ही में, अगस्त 2025 में चाईबासा के पोस्ता जंगल में एक अन्य नक्सली कमांडर अरुण को मार गिराया गया था, और अब हांसदा की मौत ने सुरक्षा बलों की सफलता को और मजबूत किया है।

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सुरक्षा बलों की रणनीति और सरकार का संकल्प

झारखंड पुलिस के प्रवक्ता और आईजी (ऑपरेशंस) माइकलराज एस ने कहा, "यह ऑपरेशन कोबरा बटालियन और जिला पुलिस की संयुक्त मेहनत का नतीजा है। अमित हांसदा जैसे खूंखार नक्सली को मार गिराना क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" कोल्हान के डीआईजी अनिरंजन किस्पोट्टा ने भी इस मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए कहा कि सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है और आसपास के इलाकों को घेर लिया गया है।

केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने हाल ही में कहा था कि राज्य में नक्सली गतिविधियां लगभग खत्म हो चुकी हैं, और केवल चाईबासा जैसे कुछ क्षेत्रों में ही उनकी मौजूदगी बची है। इस मुठभेड़ को उसी दिशा में एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।

नक्सलियों के लिए बढ़ती चुनौतियां

हांसदा की मौत नक्सलियों के लिए एक और बड़ा झटका है। इस साल झारखंड में 16 नक्सली मारे जा चुके हैं, और 10 ने आत्मसमर्पण किया है। इसके अलावा, अप्रैल 2025 में बोकारो जिले में एक अन्य मुठभेड़ में आठ नक्सलियों, जिसमें 1 करोड़ रुपये के इनामी कमांडर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक शामिल था, को मार गिराया गया था। 

सुरक्षा बलों की रणनीति अब पहले से कहीं अधिक आक्रामक और सूचनाओं पर आधारित हो गई है। कोबरा, झारखंड जगुआर, और CRPF की संयुक्त टीमें लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। इसके साथ ही, स्थानीय लोगों से मिलने वाली खुफिया जानकारी भी इन ऑपरेशनों को और प्रभावी बना रही है।

आम लोगों के लिए संदेश

इस मुठभेड़ ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। हालांकि, छत्तीसगढ़ और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। पुलिस ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत सुरक्षा बलों को दें, ताकि नक्सलियों के मंसूबों को और नाकाम किया जा सके।

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