हर कलेक्टर से शिकायत, जांच की जहमत किसी नहीं उठाई

छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे घोटाले की आग 2021-22 से ही सुलगने लगी थी। अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत का पता चलने के बाद लोगों ने इसकी शिकायत कलेक्टर की थी, लेकिन सभी उदासीन बने रहे।

author-image
Krishna Kumar Sikander
New Update
Complained to every collector no one bothered to investigate the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे घोटाले की आग 2021-22 से ही सुलगने लगी थी। अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत का पता चलने के बाद बहुत से लोगों ने इसकी शिकायत तत्कालीन कलेक्टर की थी। कलेक्टर से ये शिकायतें कोई मौखिक नहीं थे, बल्कि लोगों ने लिखित दी थी।

भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे घोटाले के मामले प्रशासन यह कहने की स्थिति में नहीं है कि उसके पास कोई लिखित शिकायत नहीं मिली थी। मगर, कलेक्टर बदलते रहे, दोबारा शिकायतें आती रहीं, लेकिन किसी ने इन शिकायतों की जांच की जहमत नहीं उठाई। नतीजा यह हुआ कि आरोपी बेखौफ रहे। 

ये खबर भी पढ़ें... सुरक्षाबलों से घिरे खूंखार नक्सलियों के समर्थन में उतरे कई नेता

भारतीदासन, सौरभ और डॉ. सर्वेश्वर रहे कलेक्टर

ईओडब्ल्यू ने भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे घोटाले की जांच शुरू की है तो अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत की परतें खुलने लगी हैं। जांच की आंच उस समय जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों तक पहुंच गई है। जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ उस समय छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डॉ. एस भारतीदासन, सौरभ कुमार और डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे कलेक्टर रहे थे। तीनों कलेक्टर के पास विभिन्न स्तर पर शिकायतें पहुंची थी। लेकिन, तीनों इस घोटाला मामले में उदासीन बने रहे। किसी ने मामले की जांच करवाने की दिशा में कोई पहल नहीं की। 

ये खबर भी पढ़ें... सुशासन तिहार पर बट्टा लगा रहा राजस्व विभाग, तहसीलों में पौने दो लाख फाइलों का अंबार

कलेक्टर ने मंत्री की भी नहीं सुनी

भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे घोटाले की जांच शुरू हुई तो यह भी सामने आया कि एक कलेक्टर के कार्यकाल में यह मामला कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन राजस्व मंत्री भी पहुंचा था। राजस्व मंत्री ने कलेक्टर को इसकी जांच के निर्देश भी दिए थे। इतना ही नहीं कलेक्टर ने मंत्री जी को भरोसा दिलाया कि जांच हो रही है। इसके बावजूद अधिकारियों को बयान लेने से रोक दिया गया।

दरअसल, इस आईएएस अधिकारी की एक जमीन दलाल के साथ अच्छी पटती थी। वह दलाल बेरोकटोक उक्त आईएएस अधिकारी के घर और कार्यालय में भी आता-जाता था। परिवार के सदस्यों से भी उसका मिलना जुलना आम था।

ये खबर भी पढ़ें... यूपीएससी क्रेक करने पर सरकार देगी 1 लाख रुपये

जांच के दायरे में सराफा कारोबारी भी 

भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे घोटाले में मोटी कमाई करने वाले अधिकारियों ने काले धन का निवेश सोना-चांदी में किया था। जांच के दौरान ईओब्ब्ल्यू के हाथ कई ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जो सोना-चांदी निवेश के सबूत हैं। इन दस्तावेजों में रायपुर सराफा बाजार के दो ज्वेलर्स के नाम भी हैं। बताया जा रहा है कि काली कमाई करने वाले अधिकारियों और दलालों से दोनों दोनों ज्वेलर्स ने सोने में निवेश करवाया था।

दोनों ज्वेलर्स के ही कहने पर इन लोगों ने सोना खरीदा और दाम चढ़ा तो बेचकर मुनाफा कमाया। इसके बाद फिर दाम कम हुआ तो मुनाफे और पूरी रकम दोबारा सोने में निवेश की गई। दोनों ज्वेलर्स ने अधिकारियों और दलालों को बताया था कि सोने की कीमत एक लाख के पार जाएगी।

ये खबर भी पढ़ें... नक्सलियों के खात्मे के लिए आईबी की एंट्री.... सरकार का बड़ा एक्शन

प्रोजेक्ट की काली कमाई कंपनी में भी लगाई

ईओडब्ल्यू के हाथ लगे दस्तावेजों में निलंबित एसडीएम बाबूलाल कुर्रे की पत्नी भावना कुर्रे के साथ हरमीत सिंह खनूजा ने एक कंपनी बनाई थी। इसी कंपनी में आशीष तिवारी, अर्पिता मोघे और घनश्याम सोनी को पार्टनर बनाया गया। बाद में इसी कंपनी में सभी ने बड़ी रकम निवेश की।

इसी कंपनी के नाम से दो बार 40-40 लाख के शेयर भी खरीदे गए। कुछ मुनाफा हुआ तो शेयर बेच दिए गए। इस तरह से काली कमाई सफेद हो गई और निवेशकर्ताओं के खाते में जमा हो गई। इसी कंपनी की रकम से नवा रायपुर और अभनपुर में दो होटल भी खोले गए हैं।

 

complained | collector | investigate | bharat mala project | Raipur | CG News | छत्तीसगढ़ की खबर 

छत्तीसगढ़ की खबर रायपुर भारतमाला प्रोजेक्ट कलेक्टर CG News Raipur bharat mala project investigate collector complained