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रायपुर : पिछले कुछ दिनों से राजस्व के मामलों को लेकर सरकार बहुत परेशान है। मीटिंग पर मीटिंग हुईं बात कुछ आगे बढ़ी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के माथे पर जो सलवटें हैं वे राजस्व विभाग को लेकर हैं। यह विभाग सीधा लोगों से जुड़ा है और यहीं पर काम की रफ्तार बहुत धीमी है।
एक तरफ सरकार सुशासन तिहार चलाकर लोगों की समस्याएं निपटाने का प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ की तहसीलों में धूल खा रही फाइलों का अंबार लगा हुआ है। प्रदेश में पौन दो लाख मामले पेंडिंग हैं। इनमें से 48 हजार तो नामांतरण के ही हैं जो सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। सरकारी दफ्तर के चक्कर काटकर और घूस देकर भी लोगों की समस्याओं का हल नहीं निकल रहा है।
अब सरकार ने इसका तकनीक से नया हल निकालने का दावा किया है। इस तकनीक में लोगों का नामांतरण वाट्सएप से ही उनके फोन पर पहुंच जाएगा। क्या लोगों की परेशानी इस तकनीक से दूर हो पाएगी। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
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पांच साल से अटके मामले
ऐसा माना जाता है कि राजस्व विभाग उन विभागों में शामिल है जहां पर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होता है। यह विभाग सीधे आम आदमी से जुड़ा है इसलिए यहां बिना लेन देन के काम नहीं होता। सरकार भी ऐसा मानती है कि यही विभाग उसके सुशासन की साख पर बट्टा लगा रहा है। एक तरफ तो सरकार सुशासन तिहार चलाकर लोगों की समस्याएं निपटा रही है तो दूसरी तरफ तहसील कार्यालयों में लोग अपने कामों को लेकर भटक रहे हैं।
इस विभाग में जमीन से जुड़े मामले आते हैं जो रजिस्ट्री और नामांतरण से जुड़े होते हैं। प्रदेश की तहसीलों में पौने दो लाख मामले पेंडिंग हैं। यह मामले एक साल से लेकर पांच साल तक पुराने हैं। अकेले नामांतरण के मामले 48 हजार से ज्यादा हैं। तहसीलों में अटके इन मामलों को लेकर लोग परेशान हैं। तहसीलों का चक्कर काट काट कर लोग आजिज आ चुके हैं लेकिन उनकी समस्याओं का हल नहीं हो रहा।
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इन जिलों में इतने अटके मामले
दुर्ग - 8637
सरगुजा - 8389
रायपुर - 8169
बिलासपुर - 6725
बलरामपुर - 6559
सूरजपुर - 5111
महासमुंद - 5039
कोरबा - 4982
जांजगीर चांपा - 4989
रायगढ़ - 4960
एमसीबी - 4136
बालोद - 4762
बलौदाबाजार - 4333
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पेंडिंग मामलों पर सीएम खफा
राजस्व के इन लंबित मामलों को लेकर सीएम विष्णुदेव साय ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने हाल ही में समीक्षा बैठक लेकर इन मामलों को प्राथमिकता से निपटाने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने इन मामलों को निपटाने के लिए तकनीक का सहारा लिया है। इसके लिए कुछ जरुरी कदम उठाए गए हैं।
सरकार कहती है कि अब रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण हो जाएगा और उसकी कॉपी संबंधित व्यक्ति के वाट्सएप पर पहुंच जाएगी। वित्त मंत्री ओपी चौधरी कहते हैं कि ऑटोमेशन की प्रक्रिया के तहत कई फायदे होंगे।
रजिस्ट्री के बाद तत्काल भूमि रिकॉर्ड अपडेट हो जाएगा।
रजिस्ट्री के बाद भूमि रिकॉर्ड की हस्ताक्षरित प्रति तत्काल दे दी जाएगी।
रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होते ही राजस्व अभिलेखों (भुइयां सॉफ्टवेयर) में स्वतः नए क्रेता का नाम अपडेट हो जाएगा।
रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर और भुइयां सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़ा गया है।
नामांतरण को रजिस्ट्री से जोड़ने कानूनी संशोधन किए गए हैं।
संपत्ति की डुप्लीकेट बिक्री और भूमि संबंधी धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
न्यायालयों में भूमि विवाद व मुकदमेबाजी में कमी आएगी।
नागरिकों को पटवारी और तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी।
वर्तमान में लंबित हजारों नामांतरण प्रकरणों का तेजी से निपटारा संभव होगा।
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नामांतरण के 24 हजार से ज्यादा मामले
प्रदेश में नामांतरण के 24 हजार 410 मामले पेंडिंग हैं। इसी तरह सीमांकन के 10 हजार से ज्यादा मामले हैं। इनमें से अधिकांश मामले एक साल से ज्यादा समय से अटके हुए हैं। इन मामलों को लेकर समय समय पर कई बार निर्देश जारी हो चुके हैं। लेकिन अधिकारी इसकी परवाह ही नहीं करते और अपने ढर्रे पर ही काम करते हैं।
यही कारण है कि सरकार ने अब इसकी प्रक्रिया में ही बदलाव किया है। अब तहसील की जगह रजिस्ट्री कार्यालय से ही नामांतरण हो सकेगा। लेकिन यदि सरकार ने मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं बनाया तो यह प्रक्रिया भी पहले की तरह सिर्फ कागजों में ही रह जाएगी और लोग परेशान होते रहेंगे।
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